Raid on Chocolate Factory : चॉकलेट फैक्ट्री पर छापा, 276 किलो चॉकलेट वेफर्स जब्त!

चाइल्ड लाइन और श्रम विभाग ने भी 10 बच्चों को यहां काम करते पाया!

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Raid on Chocolate Factory : चॉकलेट फैक्ट्री पर छापा, 276 किलो चॉकलेट वेफर्स जब्त!

Indore : चॉकलेट बनाने वाली फैक्ट्री आईओ वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के लसूडिया मोरी पर खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के दल ने जांच की। जहां कन्फेक्शनरी वेफर्स निर्माण एवं संग्रहण होना पाया गया। मौके पर विभिन्न ब्रांड के वेफर्स बनाए जा रहे थे। दो दिन पहले इस फैक्ट्री में बच्चों से काम करवाए जाने की शिकायत के बाद कार्रवाई की गई थी।

मौके पर उपस्थित फैक्ट्री के सेल्स मैनेजर आदर्श कुशवाहा ने बताया कि वह विभिन्न कंपनियों के लिए जॉब वर्क करते हैं। उनके लिए वेफर्स का निर्माण कर उनको सप्लाई करते हैं। मौके पर टू मच वेफर्स चॉकलेट लेयर, चेरी टू मच चॉकलेट कोटेड वेफर्स, चेरी क्लासिक चॉकलेट कोटेड वेफर्स एवं निर्माण सामग्री कोकोआ पाउडर, शक्कर एवं मैदा के कुल 6 नमूने जांच के लिए लिए गए। 21 कार्टून में 276 किलो वेफर्स जब्त किया गया, जिसका अनुमानित मूल्य 36640 रुपए है। लिए गए नमूनों को जांच के लिए स्टेट फूड टेस्टिंग लैबोरेट्री भोपाल को भेजा गया।

श्रम विभाग ने कार्यवाही की
चाइल्ड लाइन ने पाया था कि लसूड़िया क्षेत्र में एक चॉकलेट फैक्ट्री में काम कर रहे सभी 10 बच्चों से अमानवीयता से काम लिया जा रहा था। सभी बच्चे पसीने में लथपथ काम कर रहे थे। इलेक्ट्रॉनिक भट्‌टी के बीच काम कर रहे बच्चों के लिए वेंटिलेटर था न एसी-कूलर। ये सभी बच्चे 30 रुपए प्रति घंटे में काम कर रहे थे। बच्चों के कारण उनके माता-पिता फैक्ट्री संचालक के बचाव में उतर आए हैं। फैक्ट्री में ब्रांडेड चॉकलेट की डुप्लिकेट भी पैक हो रही थी। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।

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बच्चों के माता-पिता का दावा है कि ये सभी बच्चे स्कूल जाते हैं। छुटि्टयों के कारण वे बच्चों को काम सीखने के लिए फैक्ट्री में भेज रहे थे। लेकिन, फैक्ट्री के हालात पर सवाल-जवाब करने पर वे चुप्पी साध गए। कार्रवाई करने गए महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रम विभाग, चाइल्ड लाइन और पुलिसकर्मियों ने बताया कि फैक्ट्री संचालक को यह पता है कि बच्चों से काम लेना अपराध है। इसलिए वह पूरे समय परिसर का शटर बंद रखता था।

10 बच्चों को छुड़ाया गया
सूचना मिली थी कि यहां नाबालिगों से दिनभर काम लिया जाता है। इस पर चाइल्ड लाइन, श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग व पुलिस इन चारों विभागों की टीम ने गुरुवार रात को दबिश दी। यहां 10 बच्चे काम करते हुए मिले। फैक्ट्री में मशीन चलने काफी गर्मी रहती थी और बच्चे पसीने में तर रहते थे। वेंटिलेशन नहीं होने से उन्हें घबराहट भी होती थी। इसके चलते बच्चों का मेडिकल भी कराया गया। यहां से मिले बच्चों में 4 बालक व 6 बच्चियां हैं।

बच्चों को अलग-अलग समय पर काम करने बुलाया जाता है और ये बच्चे इसी क्षेत्र व आसपास के हैं। पता चला कि कुछ बच्चों को दिन में तो कुछ को दूसरी शिफ्ट में बुलवाया जाता है। इन बच्चों में 13 से 17 साल के बच्चे शामिल हैं। यह पता लगने के बाद चारों विभागों ने कैलोद हाला के एसडीए कंपाउंड स्थित आईओ वेंचर्स प्रालि चॉकलेट फैक्ट्री पर कार्रवाई की। फैक्ट्री संचालक का नाम हरीश कस्तूरी बताया जा रहा है जो नहीं मिला।

टीम को देखते सभी भयभीत
रात को संस्था ‘आस’ व ‘कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन’ की जानकारी के बाद चाइल्ड लाइन डायरेक्टर वसीम इकबाल, बचपन बचाओ आंदोलन के सलमान, महिला बाल विकास विभाग के आशीष वर्मा, श्रम विभाग के रवींद्र ठाकुर, तृप्ति डावर, कुलदीप, विशेष किशोर पुलिस इकाई से कुसुम बास्कले, राजकुमार खण्डेलवाल, रामेश्वर चौधरी पुलिस टीम के साथ फैक्ट्री में पहुंचे।

इन्होंने बताया कि अंदर एक हॉल में ये बच्चे नीचे बैठकर मशीन से पैक्ड की हुई चॉकलेट्स को अलग-अलग बॉक्स में पैक कर रहे थे। पास ही में प्लास्टिक की बहुत सारी ट्रे रखी थी जिसमें उन्हें रखा जा रहा था। मौके पर सात महिलाएं काम करती मिली जबकि तीन लड़के भी थे। इनमें एक महिला सुपरवाइज़र भी थी।

एक घंटे के 30 रुपए मिलते
इस दौरान कुछेक महिलाओं ने कहा कि बच्चों से कोई बाल श्रम नहीं कराया जा रहा है। ये सारे परिचित परिवारों के ही बच्चे हैं। इनके माता-पिता की सहमति के बाद ही इन्हें भेजा गया है। टीम ने दो बच्चों से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें काम करने के 30 रु. प्रति घंटा मिलते थे और चार घंटे के 130 रु. मिलते थे। वे शाम को यहां आते थे।

थाने पर माता-पिता का हंगामा
कुछ बच्चों परिवार के लोग भी आ गए और कहा कि वे कोई कार्रवाई नहीं चाहते। एक ने कहा कि स्कूल की छुटि्टयां चल रही है इसलिए बच्चों को यहां भेजा। जब विवाद बढ़ने लगा तो पुलिस ने माता-पिता के खिलाफ भी कार्रवाई की चेतावनी दी तो मामला कुछ शांत हुआ। पुलिस बच्चों को लेकर रात को लसूड़िया थाने पहुंचे तो वहां अन्य बच्चों के माता-पिता आ गए और टीम से विवाद करने लगे कि हमारे बच्चों को क्यों लाया गया, हम कोई कार्रवाई नहीं चाहते। पुलिस ने उन्हें कहा कि बच्चों से पूरी पूछताछ और मेडिकल के बाद सौंप दिया जाएगा। इसके बाद रात को ही इन बच्चों को मेडिकल के लिए भेजा गया और वहां से एक संस्था में रैफर किया गया। मामले में हर बच्चे से अलग-अलग काउंसलिंग की जा रही है।