Possibility of Big Changes in BJP : कर्नाटक के बाद BJP अपनी चुनावी रणनीति बदलेगी!

सरकार और संगठन में बड़े फेरबदल की संभावना, तीन बड़े नेताओं की मैराथन बैठक में बहुत कुछ तय!

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Possibility of Big Changes in BJP : कर्नाटक के बाद BJP अपनी चुनावी रणनीति बदलेगी!

Possibility of Big Changes in BJP : कर्नाटक के बाद BJP अपनी चुनावी रणनीति बदलेगी!

New Delhi : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार और माहौल से मिल रहे संकेतों ने पार्टी के बड़े नेताओं को चिंता में डाल दिया। यही कारण है कि अब वे अपनी चुनावी रणनीति को बदलने की तैयारी में है। सोमवार देर रात और मंगलवार सुबह हुई पार्टी के तीन बड़े नेताओं की बैठक में जो तय किया गया, उसके नतीजे बहुत जल्दी दिखाई देंगे। अंदर से मिली जानकारियां बताती है कि पार्टी और सरकार से कुछ लोगों की अदला-बदली किए जाने की तैयारी है। कुछ लोगों को सरकार से संगठन में भेजा जा सकता है और कुछ को संगठन से सरकार में लाया जाएगा। यह पूरी कवायद इस साल कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल के लोकसभा चुनाव को देखते हुए की जा रही है। पार्टी का सबसे ज्यादा ध्यान केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश पर है। नई रणनीति के नतीजे बहुत जल्द दिखाई भी देंगे।

राजनीति के जानकारों का अनुमान है कि बदलाव की इस प्रक्रिया में संगठन के कुछ लोगों को सरकार में भेजा जा सकता है और सरकार से कुछ नेताओं को संगठन में लाकर उन्हें अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। अगले कुछ दिनों में यह पूरी प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा के केंद्रीय संगठन में बड़ा बदलाव संभावित है। पार्टी की केंद्रीय इकाई में बड़े बदलाव के साथ साथ चुनावी राज्यों की टीमों में भी बड़ा फेरबदल होने के आसार है। सोमवार रात 10 बजे से देर रात तक गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष और कई अन्य बड़े पदाधिकारियों की बैठक पार्टी कार्यालय पर हुई। बात पूरी नहीं हो सकी तो दूसरे दिन मंगलवार को भी यह बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई जो देर शाम तक चली। इस बैठक में बदलावों को लेकर विचार विमर्श हुआ।

जानकार बताते हैं कि कर्नाटक में पार्टी की करारी हार के बाद पार्टी अपनी चुनावी रणनीति को एक बार फिर ‘रिसेट’ करने के मूड में है। पार्टी के बड़े नेताओं का मानना है कि जिस तरह से कांग्रेस ने लोकप्रिय योजनाओं के सहारे हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित किया, उससे 2024 में पार्टी के सामने कई राज्यों में बड़ी चुनौती मिल सकती है। इसे देखते हुए पार्टी को अपनी रणनीति में बडे बदलाव करने की जरूरत है। इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।

चुनावी राज्यों में बड़े बदलाव
ज्यादा बदलाव चुनावी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को लेकर देखने को मिल सकते हैं। क्योंकि, लोकसभा चुनाव के पहले हो रहे इन विधानसभा चुनावों को 2024 के सेमीफाइनल की तरह से देखा जा रहा है। यही कारण है कि इन चुनावों की महत्ता बहुत ज्यादा बढ़ गई। भाजपा इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन कर 2024 के लिए अपनी दावेदारी मजबूत करना चाहती है। इसे देखते हुए इन राज्यों में पार्टी के विशेष बड़े नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

सामाजिक और जातीय समीकरणों का ध्यान
भाजपा नए सहयोगियों के साथ सामाजिक और जातीय समीकरणों को साधते हुए नई योजनाओं के सहारे अपने वोट बैंक को साधने की कवायद कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही कुछ अन्य लोकप्रिय घोषणाओं के साथ सामने आ सकते हैं, जिससे विपक्ष के वार को भोथरा किया जा सके। संगठन में बदलाव इसकी एक अहम कड़ी साबित हो सकता है।

केंद्र सरकार दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और युवाओं को अपने साथ रखकर आगे बढ़ने और इन वर्गों के विकास के लिए लगातार प्रयत्नशील रहने की रणनीति अपनाती रही है। इनका बहुत सकारात्मक असर भी दिखाई पड़ा है। लेकिन, नए समीकरणों में इस रणनीति को नई धार दी जा सकती है। अनुमान है कि बदलाव की इस प्रक्रिया में संगठन के कुछ लोगों को सरकार में भेजा जा सकता है, तो सरकार से कुछ नेताओं को संगठन में लाकर उन्हें अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। यह पूरी प्रक्रिया अगले कुछ दिनों में पूरी कर ली जाएगी।

इनकी भूमिका बदलने के आसार
कर्नाटक चुनाव में हार का ठीकरा पार्टी संगठन महासचिव बीएल संतोष पर फूटा था। पार्टी के राज्य स्तरीय नेताओं ने आरोप लगाया था कि बीएल संतोष और प्रहलाद जोशी ने अपने गुट के नेताओं को ज्यादा प्राथमिकता दी और दूसरे वर्गों को नाराज कर दिया। इसी का परिणाम हार के रूप में दिखाई पड़ा। माना जा रहा है कि नए बदलावों में इन नेताओं की भूमिका भी बदल सकती है।

कर्नाटक ने परिदृश्य बदला
कर्नाटक चुनाव के बाद राजनीतिक परिदृश्य बदल गया। नीतीश कुमार विपक्ष की एकजुटता बनाने की दिशा में सकारात्मक पहल कर रहे हैं, तो कांग्रेस अपने अंदर नई ऊर्जा महसूस कर रही है। राहुल गांधी के हमले केंद्र पर ज्यादा सटीक होते दिखाई दे रहे हैं। इसे देखते हुए भाजपा बड़े बदलाव के साथ चुनावों का सामना करने की रणनीति बना रही है।