Deputy Collector Appointed as DPC : डीपीसी के पद पर डिप्टी कलेक्टर नियुक्त, किसी की जुगत नहीं लगी!

9 स्कूलों को फर्जी तौर पर मान्यता के बाद पूर्व डीपीसी निलंबित हुए थे!

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Deputy Collector Appointed as DPC : डीपीसी के पद पर डिप्टी कलेक्टर नियुक्त, किसी की जुगत नहीं लगी!

Indore : जिला प्रशासन ने जिला परियोजना समन्वयक (DPC) के पद पर डिप्टी कलेक्टर प्रियंका चौरसिया को नियुक्त कर दिया। ये पद 25 मई को अक्षय सिंह राठौर के निलंबन के बाद से खाली था। लोक शिक्षण संचालनालय कमिश्नर अनुभा श्रीवास्तव ने राठौर को अनियमितताओं की शिकायत सही पाए जाने के बाद निलंबित कर दिया था।

अक्षय सिंह राठौर के खिलाफ 9 प्राइवेट स्कूलों की फर्जी तौर पर मान्यता देने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। इसके बाद राठौर को निलंबित कर दिया गया। निलंबन अवधि में राठौर संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय मुख्यालय रहेगा, राठौर ने ज्वाइन भी कर लिया है। हालांकि उन्होंने निलंबन समाप्त कराए जाने व पद पर बने रहने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन मामला कोर्ट में होने से उच्च अधिकारियों ने भी हाथ पीछे खींच लिए थे।

अक्षय सिंह राठौर के खिलाफ काफी समय पहले राजेंद्र नगर थाने में 9 स्कूलों को फर्जी तरीके से मान्यता देने के मामले में प्रकरण दर्ज हो चुका है। राठौर के निलंबन के बाद खाली हुए डीपीसी के पद पर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी से लेकर कई प्राचार्य जुगाड़ में लगे थे, लेकिन उनकी युक्ति भी काम नहीं आई। बताया जा रहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी भी इस पद पर अपनी पसंद का व्यक्ति बैठाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने बकायदा नोटशीट भी चलाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ और इस पद पर डिप्टी कलेक्टर प्रियंका चौरसिया को नियुक्त किया गया है।

अभी तक बिना डीपीसी के जिला शिक्षा केंद्र
अक्षय सिंह राठौर के निलंबन के बाद करीब एक पखवाड़े से जिला शिक्षा केंद्र बिना डीपीसी के संचालित हो रहा था। इससे कामकाज का संचालन प्रभावित हो रहा था। शिक्षकों का वेतन भी नहीं मिल पाया। डीपीसी की नियुक्ति नहीं होने से नए शिक्षा सत्र में राज्य शिक्षा केंद्र से जारी होने वाले आदेशों का परिपालन ठीक से नहीं हो पा रहा था। कई अन्य कार्य भी बिना डीपीसी के रुके हुए थे।

यह जानकारी भी सामने आई थी कि नया शिक्षा सत्र 8 दिन पहले ही चालू हो गया। 8वीं तक के बच्चों के लिए एडमिशन भी जारी हैं। इसके बाद भी डीपीसी को लेकर विभाग गंभीर नहीं दिखाई दिया। इसके पीछे मुख्य कारण यह सामने आया कि डीपीसी के अधिकार किसी को नहीं दिए गए हैं। तत्कालीन सीईओ जिला पंचायत नेहा मीणा ने फर्जी तरीके से मान्यता जारी करने के मामले में अक्षय सिंह राठौर के खिलाफ राजेंद्र नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी, जिसके बाद अभी विभाग ने अभी तक नया अधिकारी नियुक्त नहीं किया था।