बांधो की सुरक्षा में कोई भी चूक बर्दाश्त नहीं,10 वर्षो की स्थिति का आकलन कर बाढ़ ,अतिवृष्टि के डाटा से विश्लेषण करे-जल संसाधन मंत्री सिलावट

अतिवर्षा ,जलभराव और डेम के गेट खोलने की सूचना स्थानीय जनप्रतिनिधियो को भी दी जाए

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बांधो की सुरक्षा में कोई भी चूक बर्दाश्त नहीं,10 वर्षो की स्थिति का आकलन कर बाढ़ ,अतिवृष्टि के डाटा से विश्लेषण करे-जल संसाधन मंत्री सिलावट

भोपाल:जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने मंत्रालय में आयोजित जल संसाधन विभाग की बैठक में निर्देश दिए की बांधो की सुरक्षा में किसी भी प्रकार से कोई भी लापरवाही नहीं होना चाहिए। इसके लिए अधिकारियो की भी जिम्मेदारी तय की जाए ।

बांध सुरक्षा, बाढ़ और आपात स्थिति से निपटने की तैयारियों के लिए वैकल्पिक प्लान तैयार कर के रखे। बड़े और मध्यम स्तर के बांधो के संरक्षण, सुरक्षा का भौतिक सत्यापन का कर रिपोर्ट बनाई जाए । इसके साथ ही सभी बांधो के गेट को खेलने और बंद करने के संबंध गेट का संचालन कर सभी परिस्थियो का आकलन कर लिया जाए। और निर्माणधीन परियोजना के संबंध में भी सभी समीक्षा कर ली जाए।

चैनल से पानी निकालने व्यवस्था भी सुचारू बनाई जाए।
मंत्री श्री सिलावट ने बैठक में बांधो से निकलने वाली नहरों की सफाई और मरम्मत का काम 10 दिन में पूर्ण करने के निर्देश भी दिए है

मंत्री श्री सिलावट ने सभी बड़े बांधों पर अधिकारियो की तैनाती और जिम्मेदारी तय की जाए।इसके लिए भोपाल में कंट्रोल रूम स्थापित किया जाए और सीसीटीवी कैमरे से भी 24*7 निगाह रखे जाने के निर्देश दिए ।

बैठक में अपर मुख्य सचिव श्री एस एन मिश्र ने बताया की प्रदेश के 1362 जलशयो का भौतिक सत्यापन कराया गया है जिसका डाटा केंद्र और राज्य सरकार दोनो को उपलब्ध कराया गया है। कंट्रोल रूम राज्य स्तर पर स्थापित किया गया है जिसमे 15 अधिकारियो की ड्यूटी लगाई गई है।
15 जून से कंट्रोल रूम अपना काम शुरू कर देगा और हर 4 घंटे की अपडेट रिपोर्ट लेकर कार्रवाई की अनुशंसा भी भेजेगा।
मंत्री श्री सिलावट ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियो मुख्य अभियंता, प्रमुख अभियंता, और अन्य अधिकारियो को निर्देश दिए की मानसून आने से पहले प्रदेश के सभी छोटे-बड़े जलाशयों का अनिवार्य रूप से भौतिक निरीक्षण कर लिया जाये। यह सुनिश्चित कर लिया जाये कि किसी जलाशय में सीवेज़ और लीकेज के जैसी स्थिति तो नहीं है। यदि ऐसी कोई स्थिति है तो उसे तुरंत ठीक कर लिया जाये।

सभी जलाशयों के गेटों की मरम्मत कर ली जाये तथा उनका संचालन करके देख लिया जाये।

विगत् 10 वर्षों में प्रदेश में अतिवृष्टि से उत्पन्न समस्याओं का अध्ययन कर उनके अनुसार कार्ययोजना तैयार की जाये। राज्य स्तर पर, मुख्य अभियंता स्तर पर एवं संभाग स्तर पर बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ का गठन कर लिया गया है या नहीं। यदि नहीं किया गया है तो तुरंत कर लिया जाये।

मानसून काल में बाढ़ की स्थिति से बचाव हेतु राजस्व विभाग के प्रभारी अधिकारियों एवं जिला स्तर पर गठित बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ के अधिकारियों के साथ समन्वय कर सभी के मोबाईल नंबर व्हाटस् एप ग्रुप बनाकर साक्षा किये जायें।

जलाशयों के वॉटर लेवल, गेटों की स्थिति एवं वर्षा के आंकड़े व्हाटस् एप एवं फोन द्वारा प्रतिदिन भेजा जाना सुनिश्चित किया जाये।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा की प्रत्येक प्रमुख जलाशय पर एक जिम्मेदार अधिकारी की ड्यूटी लगाई जाये।
राज्य स्तर से एक टीम बनाकर प्रदेश के सभी प्रमुख जलाशयों का भौतिक परीक्षण करा लिया जाये। अतिवृष्टि की स्थिति में बाढ़ नियंत्रण की कार्ययोजना तैयार कर ली जाये।

मंत्री ने कहा की मंत्रालय के सिचुऐशन रूम में बाढ़ की मॉनिटरिंग माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा की जाती है, इसलिए (डिज़ास्टर वॉरनिंग एण्ड रिस्पोंस सिस्टम) में मोबाईल एप के माध्यम से आंकड़ों की प्रवृष्टि किया जाना सुनिश्चित किया जाये। जल संरचनाओं को अतिक्रमण मुक्त किया जाये। सभी मुख्य अभियंताओं को निर्देश दिए की संभागीय आयुक्त और कलेक्टरों के साथ इस संबंध में बैठक कर ले।