न्यायालय की अवमानना पर जवाबदावा नहीं दे रहे अफसर, 3 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस

अब एकपक्षीय कार्यवाही की चेतावनी

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न्यायालय की अवमानना पर जवाबदावा नहीं दे रहे अफसर, 3 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस

भोपाल: प्रदेश के न्यायालयों में अवमानना प्रकरणों की संख्या लगातार बढ़ रही है और जिम्मेदार अफसर जवाबदावा भी पेश नहीं कर रहे है। सामान्य प्रशासन विभाग समय-समय पर सारे विभागों को न्यायालयीन अवमानना के प्रकरणों में समय पर जवाबदावा पेश करने के लिए निर्देशित करता है। इसके बाद भी काम नहीं करने वाले अफसरों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही कर उन्हें दंडित भी किया जाता है लेकिन इसके बाद भी सुधार नहीं हो रहा है। अब इसी तरह के मामलों में अब जलसंसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जिम्मेदार अफसरों को नोटिस थमाकर कहा है कि समय पर जवाबदावा पेश नहीं किया और स्पष्टीकरण नहीं दिया तो अब एक पक्षीय कार्यवाही की जाएगी।

जलसंसाधन विभाग में अनूपपुर संभाग के कार्यपालन यंत्री जगमोहन दास के संभाग में 23 प्रकरण है जिनमें से 19 प्रकरणों में अभी तक जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किए गए है।, अपर पुरवा नहर संभाग रीवा के कार्यपालन यंत्री आरके वर्मा के संभाग में रिट याचिका के 59 प्रकरण प्रचलित है। इनमें से 16 प्रकरणों में अभी तक जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया गया है। जलसंसाधन संभाग क्रमांक दो शहडोल के कार्यपालन यंत्री प्रतीक खरे को भी कारण बताओ नोटिस थमाया गया है। उरनके संभाग के अंतर्गत अवमानना के 28 प्रकरण प्रचलित है, जिनमें 15 प्रकरणों में अभी तक जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किए गए है।

अपर मुख्य सचिव जलसंसाधन के निर्देश पर इन तीनो अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए है। नोटिस में कहा गया है कि अवमानना प्रकरणों में समय पर जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किए जाने की यह स्थिति संतोषजनक नहीं है। न्यायालयीन प्रकरणों के त्वरित निराकरण हेतु उन्हें अनेक बाद निर्देशित किए जाने के बाद भी न्यायालयीन प्रकरणों में समयसीमा में शासन की ओर पे पक्ष प्रतिरक्षण तथा जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया गया है। इससे न्यायालय के समक्ष विभाग की छवि धूमिल हो रही है। उन्हें दिए गए नोटिस में कहा गया है कि उनकी यह लापरवाही दायित्वों के प्रति उनकी स्वेच्छाचारिता और उदासीनता का परिचायक है। उच्च न्यायालय में लंबित न्यायालयीन प्रकरणों में समयसीमा में जवाबदावा प्रस्तुत न करने के कारण क्यों न उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। तीनों अफसरों से सात दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया है। समय पर जवाब प्राप्त न होंने पर यह माना जाएगा कि उन्हें कुछ नहीं कहना है और एक पक्षीय अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।