मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में ताकत झोंकती भाजपा!
– वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक अरुण पटेल का कॉलम
छत्तीसगढ़ में कमल खिलाने और मध्यप्रदेश में अपनी उधार के सिंदूर से बनी सत्ता को बचाने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंकने का मन बना लिया है और उसके राष्ट्रीय नेताओं के तूफानी चुनावी दौरे आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे। कांगेस पर तीखा शाब्दिक हमला बोलते हुए भाजपा एक ऐसा मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की फिराक में है जिससे लगे कि कांग्रेस उससे चुनावी लड़ाई में पिछड़ गई है। लेकिन कांग्रेस भी गफलत में नहीं है और वह पूरी ताकत से अपनी चुनावी बिसात बिछाने लगी है। दोनों ही राज्यों में इस साल के अन्त में विधानसभा चुनाव होना हैं।
एक जुलाई को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नक्सल प्रभावित जिले कांकेर में पार्टी के नेताओं से मुलाकात करेंगे तथा केन्द्र सरकार की नौ साल की उपलब्धियों को गिनाते हुए वे एक आमसभा को भी सम्बोधित करेंगे। इनके अलावा अमित शाह और जे. पी. नड्डा भी जुलाई माह में ही छत्तीसगढ़ का दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दुर्ग का दौरा प्रस्तावित है और वे 7 अगस्त को दुर्ग जिले का दौरा कर सकते हैं और उस दिन छत्तीसगढ़ के पहले आईआईटी का उद्घाटन भी किया जा सकता है। भाजपा इन दिनों दोनों राज्यों में महाजनसंपर्क अभियान चला रही है। हर जिले में एक बड़ा कार्यक्रम करने की भाजपा की योजना है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले से ही यहां पर भाजपा को हाशिए पर रखने में सफल रहे हैं। भाजपा के जो भी पसंदीदा मुद्दे हो सकते थे उन सभी पर एक-एक कर उन्होंने अमल आरंभ कर दिया है। इस कारण भाजपा के पास यहां कोई खास मुद्दा नहीं बचा है और उसे नये सिरे से भूपेश बघेल सरकार की कथित विफलताओं को लेकर अपने पक्ष में वातावरण बनाना होगा, उसे भरोसा है कि इसमें राष्ट्रीय नेताओं के दौरे संजीवनी का काम करेंगे।
जहां तक मध्यप्रदेश का सवाल है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 27 जून को भोपाल आ रहे हैं और वह इसके बाद आदिवासी प्रधान जिले शहडोल भी जाने वाले हैं। वहां पर एक आदिवासी परिवार के घर पर प्रधानमंत्री मोदी भोजन करेंगे । राजधानी भोपाल से वह बूथ कार्यकर्ताओं को चुनाव जीतने के गुर इस अभियान के तहत बतायेंगे, जिसका नाम होगा ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत‘। मध्यप्रदेश में तो केंद्रीय नेताओं के आने-जाने का सिलसिला प्रारम्भ हो गया है। अमित शाह 22 जून को बालाघाट और 30 जून को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी . नड्डा खरगोन आ रहे हैं और वे वहां एक आमसभा को भी सम्बोधित करेंगे। यहां पर भाजपा व कांग्रेस दोनों ही काफी पहले से चुनावी मोड में हैं।
भाजपा जहां रोज अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए एड़ी-चोटी की ताकत लगा रही है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सीधे जनता से जुड़ी घोषणाएं कर हितग्राहियों का वोट बैंक अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कमलनाथ यह कह रहे हैं कि अगली सरकार मेरे ही नेतृत्व में बनेगी और मैं पुरानी अघूरी घोषणाओं के साथ ही जो नये वायदे कर रहा हूं वह पूरे करुंगा। कांग्रेस की राष्ट्रीय नेता प्रियंका गांधी भी चुनाव प्रचार अभियान का जबलपुर में मॉ नर्मदा के पूजन के बाद आगाज कर चुकी हैं। जो सीटें कांग्रेस के कब्जे में हैं उन्हें हर हाल में बनाये रखने के साथ 66 ऐसी सीटें जो कांग्रेस हारती रही है उन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि उसमें से कुछ पर पार्टी अपना कब्जा कर सके।
सामान्यतः राजनेता उन सीटों पर अपनी जिम्मेदारी लेते हैं जहां पार्टी मजबूत हो लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री सांसद दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस की कमजोर और हारी हुई 66 सीटों की जिम्मेदारी ली है और वह इनमें से अधिकांश पर अपना दौरा पूरा कर चुके हैं। दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ को इन सीटों की विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है। इन क्षेत्रों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं व अन्य लोगों से संपर्क कर दिग्विजय ने यह रिपोर्ट तैयार की है। इसमें इस बात का भी उल्लेख है कि किस सीट पर प्रमुख दावेदार कौन है।
कांग्रेस के अंदरुनी सूत्रों के अनुसार दिग्विजय की रिपोर्ट पर एक सप्ताह में सूक्ष्म विश्लेषण किया जायेगा और इसके साथ ही दावेदारों के नामों पर मुहर लगना आरम्भ हो जायेगी। कमलनाथ सर्वे के आधार पर टिकट देने के पक्षधर रहे हैं और वह दिग्विजय की रिपोर्ट तथा सर्वे के आधार पर एक महीने के अंदर इन हारी हुई सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर सकते हैं। इस प्रकार कांग्रेस पहली बार प्रदेश में इतना पहले से अपनी परिपाटी के विपरीत न केवल मैदान में सक्रिय हुई बल्कि उम्मीदवारों को भी हरी झंडी दे रही है ताकि उन्हें पर्याप्त समय मिल सके। जिन विधायकों की जीत की अधिक संभावना है उन्हें भी क्षेत्र में काम करने के लिए कमलनाथ कह चुके हैं।