विपक्ष की पटना बैठक क्या लिख पाएगी नया इतिहास!

420

विपक्ष की पटना बैठक क्या लिख पाएगी नया इतिहास!

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक अरुण पटेल

​2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन के खिलाफ छः मुख्यमंत्रियों और चौदह पार्टी प्रमुखों को एक साथ एक मंच पर बैठाने के प्रयासों में लगे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रारंभिक चरण में सफलता मिल गयी है। 15 राजनीतिक दलों ने यह तय किया है कि वह मिलकर 2024 के चुनाव में भाजपा के खिलाफ लड़ेंगे तथा उसे सत्ता से हटाकर ही दम लेंगे। इस प्रकार विपक्षी दलों का एक महागठबंधन बन गया है जिसकी अगली बैठक 10 या 12 जुलाई को शिमला में होगी। इस बैठक की ओर तमाम राजनीतिक विश्लेषकों, राजनीतिक पंडितों और विपक्ष की विचारधारा से जुड़े लोगों की नजरें तो लगी हुई थीं, लेकिन सबसे ज्यादा इससे निकलने वाले फलितार्थ पर केन्द्र की सत्तारुढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी के आला नेताओं की निगाहें जमीं हुई थीं।

जहां तक विपक्षी नेताओं का सवाल है उनमें बैठक के बाद काफी उत्साह था जो उनके दमकते हुए चेहरों से पढ़ा जा सकता था। ऐसा नहीं है कि सब मीठा-मीठा हुआ, कुछ कड़वा स्वाद भी चाहे वे माने या न मानें उन्हें हुआ ही होगा, क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल की जल्दबाजी ने मुंह का जायका कुछ न कुछ बिगाड़ ही दिया होगा। इस सबके बावजूद यह संकल्प लिया गया कि सब मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे और नेतृत्व पर फैसला सितम्बर में होगा। देखने वाली बात यही होगी कि कई बड़ी क्रांति या बदलाव की साक्षी रही बिहार की धरा से विपक्षी एकजुटता का जो उद्घोष हुआ है वह बिहार की इस परम्परा को आगे बढ़ायेगा या नहीं।

विपक्ष की पटना बैठक क्या लिख पाएगी नया इतिहास!

महागठबंधन की हुंकार के बाद बैठक में मौजूद नेताओं की जिम्मेदारी अब इस मायने में और बढ़ गई है कि एक नई इबारत लिखने की जो उम्मीद व हसरतें लोगों ने पाल रखी हैं उन्हें आपसी अहम् के टकराव में अंततः निराशा के क्षीरसागर में गोते न खाने पड़े। शायद बैठक में उपस्थित नेताओं ने यह भी समझ लिया होगा कि भविष्य में उनके इस अभियान में विलेन कौन हो सकता है और वह एकजुटता को अधिक नुकसान न पहुंचा पाये इसकी इन्हें अपने मन-मस्तिष्क में अभी से विवेचना करके रखना होगी। आम आदमी पार्टी इस बात पर अड़ी रही कि पहले दिल्ली सरकार के अधिकार छीनने वाला जो अध्यादेश केन्द्र सरकार लाई है उस पर कांग्रेस अपना रुख स्पष्ट करे और यदि कांग्रेस ऐसा नहीं करती तो उसके साथ किसी भी बैठक में शामिल नहीं होंगे। पटना के 1, अणे मार्ग, स्थित मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मेजबानी में हुई लगभग 30 विपक्षी नेताओं की बैठक मिशन 2024 को लेकर एकजुट होने का पहला बड़ा महा-अभियान माना जायेगा।

विपक्ष की पटना बैठक क्या लिख पाएगी नया इतिहास!

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस बैठक पर जो अपनी प्रतिक्रिया दी है उसको देखकर यह लगता है कि इस बैठक से निकलने वाले परिणामों की ओर उनकी कितनी पैनी नजर थी। इस बैठक को गंभीरता से न लिया जाए, उनका यह आशय इसी बात से प्रकट होता है कि शाह ने कहा कि आज पटना में फोटो सेशन चल रहा है । विपक्ष पीएम नरेंद्र मोदी और एनडीए को चुनौती देना चाहता है, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि 2024 में 300 से ज्यादा सीटें जीतकर मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। विपक्षी नेताओं के अहम् को जगाने का मकसद उनके भीतर आपसी अहम् की लड़ाई तेज करना शायद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का था। उनका कहना था कि विपक्षी दलों की पटना में हुई बैठक उनकी भाजपा को न हरा पाने की हताशा को दर्शाता है। उनका यह भी कहना था कि जो नेता कल तक कांग्रेस से बुरी तरह लड़ रहे थे वे आज सत्ता पाने के लिए उसकी अगवानी कर रहे हैं।

पटना में विपक्षी दलों की बैठक में राहुल गांधी के दावे पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तंज कसते हुए ट्वीट में कहा कि ‘‘सुना है पटना में काठ की हांडी चढ़ रही है।‘‘ इस बैठक में राहुल ने कहा था कि तेलंगाना, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में आपको भाजपा दिखायी नहीं देगी और इन राज्यों में कांग्रेस जीत कर दिखायेगी। कर्नाटक का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस इसलिए जीती क्योंकि हम सब मिलकर एक साथ खड़े हो गये। विपक्षी नेताओं की बैठक के बाद सभी दलों के नेता मीडिया से रुबरु हुए और सबने एकजुटता की बात कही।

Mamta Banerjees

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना था कि जो बैठक हुई वह अच्छी रही और हमने तीन चीजों पर जोर दिया है कि हम लोग एक हैं, हम लोग एक साथ लड़ेंगे और अगली बैठक शिमला में होगी। भाजपा पर तंज कसते हुए ममता ने कहा कि बीजेपी चाहती है कि इतिहास बदल जाये और हम चाहते हैं कि बिहार से इतिहास बचाया जाए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो बातें हुई उनमें नेताओं ने जो कुछ कहा उसका लब्बोलुआब यह रहा कि नीतीश कह रहे थे भाजपा देशहित के खिलाफ काम कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम एकजुट होकर लड़े तो 2024 में भाजपा को केंद्र की सत्ता से बाहर कर देंगे। राहुल गांधी का कहना था कि यह विचारधारा की लड़ाई है, हमारे बीच कुछ मतभेद हो सकते हैं परन्तु हम उदारता के साथ मिलकर देश बचायेंगे। इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस सब दलों को एक साथ लाने के लिए अपनी ओर से त्याग करने को तैयार है।

ममता बनर्जी का कहना था कि हम विपक्ष नहीं हैं, देशप्रेमी हैं, बिहार से इतिहास बदलने की शुरुआत हुई है। भाजपा को हराने के लिए लोकतांत्रिक दल एक होंगे यह स्वर डीएमके सुप्रीमो और तामिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन का था तो वहीं सबसे अनुभवी राजनेता शरद पवार का कहना था कि व्यापक हित में हम सब साथ हुए हैं और आगे भी साथ रहेंगे। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कहना था कि हम देश की अखंडता के लिए साथ आये हैं और तानाशाही करने वालों का विरोध करेंगे।

… और यह भी
​बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अब फिर से अपने पुराने रंग ढंग में लौट रहे हैं और उनका अंदाजे-बयॉ सबसे अलग होता है। इशारों ही इशारों में वे बहुत कुछ कह जाते हैं इसकी बानगी पटना में आयोजित विपक्षी नेताओं की बैठक में देखने को मिली। लालू ने राहुल गांधी से कहा कि अब आप शादी कर लीजिए हम सब बारात में चलेंगे। लालू मजे-मजे में काफी दूर की बात कहने के लिए जाने-पहचाने जाते हैं और जब उन्होंने यह बात कही तो राहुल गांधी का अंदाज भी बदल गया, उन्होंने कहा कि आप कहते हैं तो कर लेंगे। अब लालू ने तो अपनी बात कह दी, जो जैसा चाहे अपनी सुविधानुसार उसका अर्थ निकाल सकता है।

 

लालू ने राहुल को यह भी समझाइश दी कि अभी भी समय नहीं गया है, सोनिया गांधी का बिना नाम लिए उन्होंने कहा कि आपकी मम्मी से हमारी बात होती थी वह कहती थीं कि हमारी बात नहीं मानता है, आप कहिएगा तो बात मान लेगा। इस पर राहुल गांधी जोर से हंस पड़े। लालू ने आगे कहा कि नीतीश जी की राय है कि आप दाढ़ी छोटी कर लीजिए, इस पर राहुल ने कहा कि छोटी कर दी है। लालू का कहना था कि पीएम मोदी को देखे हैं ना, उनकी दाढ़ी छोटी है आपकी दाढ़ी उससे ज्यादा नहीं बढ़नी चाहिए।