That’s why PM Coming to Shahdol : PM की शहडोल यात्रा कहां, क्या असर डालेगी, इस पर सबकी नजर!

नरेंद्र मोदी के 27 के दौरे से विंध्य और महाकौशल के समीकरण बदलने की कोशिश!

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That’s why PM Coming to Shahdol : PM की शहडोल यात्रा कहां, क्या असर डालेगी, इस पर सबकी नजर!

Bhopal : मध्यप्रदेश के बदलते माहौल से भाजपा चिंतित है। उसे इस बार के विधानसभा चुनाव में विंध्य-महाकौशल में भी खतरा नजर आने लगा। पार्टी को लगने लगा है कि विंध्य और महाकौशल को हाथ से निकलने से बचाना है, तो कोई बड़ी जुगत लगाना पड़ेगी। यही कारण है कि इस बार पार्टी कमजोर इलाकों को साधने में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 27 जून को होने वाले धार के दौरे को बदलकर शहडोल करने के पीछे भी यही मकसद रहा। संघ के चुनावी सर्वे में भी विंध्य-महाकौशल में भाजपा को कमजोर पाया गया है। जहां तक आदिवासियों का मामला है, माहौल उनके बीच भी भाजपा के पक्ष में नहीं लग रहा। पार्टी की रणनीति महाकौशल और विंध्य के साथ यहां के आदिवासी इलाके में अपनी पकड़ बनाना भी है।

इस कोशिश में आदिवासी वर्ग को पार्टी के नजदीक लाना भी एक काम है। कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री यहाँ से देशभर के लिए सिकल सेल एनीमिया मिशन लांच करेंगे। साथ ही वे शहडोल के युवा फुटबॉल खिलाड़ियों से भी मिलेंगे। कमिश्नर राजीव शर्मा ने यहां ‘फुटबॉल क्रांति’ के नाम से फुटबॉल खिलाड़ियों की नई पौध तैयार की है। नरेंद्र मोदी यहां एक आदिवासी परिवार के घर जाकर भोजन भी करने वाले हैं।
विंध्य और महाकौशल को जोड़ने वाला जिला शहडोल ही है। इस तरह भाजपा विंध्य और महाकौशल में अपनी स्थिति सुधारने के साथ आदिवासियों पर भी अपना असर बनाना चाहती है। शहडोल, अनूपपुर, उमरिया के साथ मंडला और डिंडोरी जिले में विधानसभा की 13 सीटें हैं जो गोंड बहुल हैं। 2018 के चुनाव में अनूपपुर जिले से भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ था। उसे मंडला-डिंडोरी में भी राजनीतिक खामियाजा भुगतना पड़ा था। हाल ही में पार्टी को शहडोल लोकसभा सीट का जो फीडबैक मिला है, वो उसके पक्ष में नहीं है। यही कारण है कि भाजपा ज्यादा सचेत हो गई और प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को अचानक धार से बदलकर शहडोल किया गया।

भील के बाद गौंड सबसे बड़ी जनजाति
भील के बाद प्रदेश में आदिवासियों की सबसे बड़ी जनजाति गोंड ही है। ये जनजाति शहडोल, मंडला, बैतूल, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद, बालाघाट और सागर जिले में निवास करती है। मोदी के शहडोल कार्यक्रम से भाजपा विंध्य और महाकोशल को साधने के साथ आदिवासी वर्ग में अपनी मजबूत पकड़ बनाने में जुटी है। शहडोल संसदीय सीट को लेकर शुरुआती फीडबैक से भाजपा हाईकमान ने ज्यादा सचेत रहकर तैयारी करने को कहा है। प्रदेश में यह पहला मौका है, जब प्रधानमंत्री का आदिवासी परिवार के साथ भोजन का कार्यक्रम बनाया गया है।

एक-एक सीट पर जमावट की कोशिश
2018 के विधानसभा चुनाव में शहडोल जिले की ब्यौहारी, जयसिंहनगर और जैतपुर सीट पर भाजपा जीती थी। लेकिन, अनूपपुर की तीनों सीटें कोतमा, अनूपपुर और पुष्पराजगढ़ कांग्रेस ने जीत ली थी। मार्च 2020 में हुई पार्टी बदल वाली जोड़तोड़ के दौरान अनूपपुर से जीते कांग्रेस के बिसाहूलाल सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था और वे भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीते थे। उधर, उमरिया की दोनों सीटें बांधवगढ़ और मानपुर में भी भाजपा ने जीत दर्ज की थी। मंडला-डिंडोरी की 5 सीटों में से 4 पर कांग्रेस काबिज हुई थी। यही कारण है कि भाजपा इस बार हर सीट पर पूरी तैयारी के साथ जमावट करने में लगी है। उसे यह भी भय है कि कहीं वोटरों की नाराजी उसका गणित न बिगाड़ दे!

22% जनजातियों वाला प्रदेश
मध्य प्रदेश में आदिवासियों की कई जनजातियों हैं, ये आबादी करीब 22% है। इनमें 51 लाख गोंड, 60 लाख भील-भिलाला, 47 लाख सहरिया, कोरकू व अन्य जनजातियां हैं। इसके अलावा करीब 12 लाख कोल जनजाति है। विधानसभा की 230 सीटों में से 47 अजजा वर्ग के लिए आरक्षित हैं। 2018 में भाजपा को यहां बड़ा घाटा उठाना पड़ा था, इस कारण पार्टी को बहुमत का टोटा पड़ गया था। भाजपा की कोशिश है कि इस बार ऐसे हालात न बने।