Satpura tiger reserve M P : शिकार के पांच दिन बाद मिला सिर कटे बाघ का क्षत विक्षत शव, तांत्रिक क्रिया के लिए वध का शक
संभागीय ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की रिपोर्ट
नर्मदापुरम। टाइगर स्टेट कहे जाने वाले मप्र में बाघों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। एक बार फिर एक बाघ के शिकार का मामला सामने आया है। शिकारियों का दुःसाहस इतना कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में घुसकर बाघ का शिकार कर उसे मार दिया। बाघ का सिर भी काट दिया। एसटीआर के चूरना रेंज के डबरा देव बीट में 26 जून को बाघ का शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला था। लेकिन बाघ की गर्दन मौके पर नहीं मिली। बाघ की मौत कैसे हुई ? इस वजह को बताने से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अफसर बचते रहे।
तीसरे दिन बुधवार रात को एसटीआर के उपसंचालक संदीप फेलोज से मोबाइल कॉल पर संपर्क हो पाया। उप संचालक फेलोज ने बाघ के शिकार होने की पुष्टि की। बाघ का सिर काटा गया है। टाइगर स्ट्राईक फोर्स विवेचना कर रही है। एसटीएफ और एसटीआर की टीम ने कुछ संदिग्धों से पूछताछ भी कर रही है। तंत्र-मंत्र क्रिया के लिए टाइगर के शिकार कर गर्दन काटने की आशंका है। टाइगर के शिकार की पुष्टि होने के बाद अब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में सुरक्षा को लेकर एक बड़े सवाल उठ रहे। आखिर कैसे एसटीआर की सुरक्षा में चूक हुई? कैसे शिकारी एसटीआर के कोर एरिए में घुसकर बाघ का शिकार कर भाग गए? क्या एसटीआर की गश्त टीम रोजाना गश्त नहीं कर रही थी, जो पांचवे दिन बाघ का शव मिल पाया।
26 जून सोमवार को चूरना रेंज के डबरादेव बीट में गश्त टीम को बाघ का शव मिला था। सूचना मिलते ही एसटीआर के सभी वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। शव क्षत-विक्षत अवस्था में पाया गया जो कि लगभग 5-7 दिन पुराना था। डॉग स्क्वाड की मदद से क्षेत्र की तलाशी की गई, आसपास खोज करने पर मृत्यु संबंधी साक्ष्य नहीं पाए गए। क्षेत्र संचालक, उप संचालक तथा एनटीसीए के प्रतिनिधि की उपस्थिति में वन्यप्राणी चिकित्सक दल द्वारा बाघ का पोस्टमार्टम एनटीसीए के प्रोटोकोल अनुसार किया गया। स्थानीय अमले के बताए अनुसार बाघ काफी समय से इसी क्षेत्र में अपना इलाका बनाकर रह रहा था। परीक्षण के लिए पोस्टमार्टम के दौरान बाघ के अवयवों को एकत्रित कर लिया गया, जिसके बाद बाघ के शव को सभी वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में एनटीसीए के प्रोटोको अनुसार जला दिया गया।
एसटीआर के क्षेत्र संचालक एल कृष्णमूर्ति, उपसंचालक संदीप फेलोज ने बताया कि मामला बाघ के शिकार का है। बाघ का सिर कटा है। एसटीएफ ने मौका स्थल का निरीक्षण कर विवेचना शुरू कर दी है।एसटीआर से ही सटे भातना समेत कुछ गांवों में तलाश जारी है। कुछ संदिग्ध से पूछताछ की जा रही है। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यदि किसी की लापरवाही सामने आती है तो कार्रवाई करेंगे।
ज्ञात रहे कि एसटीआर में ही कुछ माह पूर्व भी एक बाघ का शिकार हुआ था। 5 माह पहले ही इन शिकारियों को एसटीआर और एसटीएफ ने बैतूल और छिंदवाड़ा से पकड़ा था। उनसे बाघ की खाल भी बरामद हुई। शिकारियों में एक टीचर भी था। तब तांत्रिक क्रिया के लिए बाघ की खाल खरीदने की बात भी प्रकाश में आई थी।
दिलचस्प बात यह है कि एसटीआर के चूरना रेंज में जहां एक बाघ का शव मिला,उसी रेंज में एसटीआर के अफसर बायसन यानि भारतीय गौर का रेस्क्यू कर शिफ्टिंग में लगे है। ज्ञात रहे कि संजय गांधी अभयारण्य सीधी बायसन का पुनर्विस्थापन किया जाना है। जिसके लिए एसटीआर से 15 भारतीय गौर भेजे गए है। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के चिकित्सक, भोपाल मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी शुभरंजन सिंह अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक, डॉ. पराग निगम, एसटीआर क्षेत्र संचालक एल कृष्णमूर्ति, उपसंचालक संदीप फेलोज, एसडीओ, रेंजर समेत सभी अधिकारी व तमाम वन अमला इसी कार्य में युद्ध स्तर पर सक्रिय है।