नई दिल्ली में 3 दिवसीय बाल रंग महोत्सव का समापन, 9 नाटकों का हुआ मंचन

डूंगरपुर की वीर आदिवासी बालिका काली बाई पर हुआ नाटक का मंचन, झुग्गियों के बच्चों ने दिखाया अपने अभिनय का जलवा

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नई दिल्ली में 3 दिवसीय बाल रंग महोत्सव का समापन, 9 नाटकों का हुआ मंचन

नीति भट्ट की विशेष रिपोर्ट

नई दिल्ली। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) एवं उड़ान-द सेंटर ऑफ थिएटर आर्ट एंड चाइल्ड डेवलपमेन्ट द्वारा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर आयोजित नाट्य प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षित बच्चों का तीन दिवसीय बाल रंग महोत्सव नई दिल्ली के जनपथ पर स्थित IGNCA के सम्वेत सभागार में सम्पन्न हुआ। महोत्सव में एनसीआर के बच्चों जिनमें झुग्गी झोपड़ी (स्लम) में रहने वाले बच्चे भी शामिल थे, ने नौ नाटकों का मंचन कर अपनी प्रतिभा का ग़ज़ब प्रदर्शन किया।

उडान के निदेशक रंगकर्मी संजय टुटेजा ने बताया कि इस महोत्सव में ‘गुमनाम बाल बलिदानी’ शीर्षक नाटक में दक्षिणी राजस्थान के डूंगरपुर जिले की वीर आदिवासी बालिका काली बाई की अमर और साहसिक घटना का भी मंचन हुआ ।
उन्होंने बताया कि वीरबाला काली बाई ने ब्रिटिश हकूमत द्वारा उनके गुरु सेंगा भाई को गाड़ी से बान्ध कर गाँव से बाहर घसीट कर ले जाते देख अपनी हँसिया से गाड़ी की रस्सी काट उनकी जीवन रक्षा की थी। आजादी से ठीक पहलें 76 वर्ष पूर्व डूंगरपुर ज़िले के रास्ता पाल गाँव में हुई इस लोम हर्षक घटना में ब्रिटिश पुलिसकर्मियों की गोलियां लगने से काली बाई शहीद हो गई थी। इस रोंगटे खड़ी कर देने वाली घटना में गाँव के स्कूल संचालक नानाभाई खांट भी शहीद हुए थे। वीर बाला काली बाई के इस प्रेरणादायी बलिदान की मिसाल को बाल कलाकारों ने उम्दा तरीक़े से मंच पर सजीव किया ।

टुटेजा ने बताया कि महोत्सव के समापन अवसर पर दौरान सहारनपुर से आये झुग्गी झोपड़ी (स्लम) में रहने वाले बच्चों ने भी अपनी अभिनय कला से दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया। इन बच्चों ने 1857 की ऐतिहासिक क्रांति को अपने उत्कृष्ट अभिनय से जीवंत कर दर्शकों को रोमांचित कर दिया।

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इस तीन दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के निदेशक प्रो. डॉ.रमेश चंद्र गौर ने किया जबकि आईजीएनसीए में कला दर्शन विभागाध्यक्ष प्रो.डॉ.ऋचा काम्बोज, सरंक्षण विभागाध्यक्ष डॉ.अचल पांड्या, शिक्षाविद एवं लेखिका मालविका जोशी, शिक्षाविद पूर्व प्राचार्या डॉ.नीलांजना किशोर, इंडियन ऑयल के डीजीएम धर्मेन्द्र सिंह तथा राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के पूर्व प्रेस अटेची रहें एवं राजस्थान के पूर्व सूचना अति.निदेशक गोपेन्द्र नाथ भट्ट महोत्सव के विशिष्ट अतिथि थे।

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टुटेजा ने बताया कि नाटक प्रशिक्षण शिविरों ने पाँच सौ बच्चों को प्रशिक्षित किया गया तथा इन बच्चों ने महोत्सव में 9 नाटको को प्रदर्शित किया।पहले दिन डायना ओमेन एवं सोम्या के सह निर्देशन में नाटक “शक्ति” रिद्धि मग्गो एवं लक्ष्मी के निर्देशन में नाटक “सबसे बड़ा दुश्मन कौन” एवं प्रभात सेंगर के निर्देशन तथा मनीषा के सह निर्देशन में “मां की पहचान” नाटको का मंचन हुआ। महोत्सव के दूसरे दिन डायना ओमेन के निर्देशन एवं शुभ के सह निर्देशन में नाटक “गुमनाम बलिदानी” , राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के कृष्णा राजपूत एवं शिवांग मिश्रा के निर्देशन में नाटक “कार्यवाही शुरू की जाए” नाटक का मंचन हुआ । महोत्सव के अंतिम तीसरे दिन सहारनपुर से आये झुग्गी झोपड़ी निवासी बाल कलाकारों ने योगेश पंवार के निर्देशन एवं रवि कर्णवाल और अभिनव गौतम के सह निर्देशन में नाटक “नन्हे सेनानी” का मंचन किया।

इस मौके पर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक सागर वशिष्ठ के निर्देशन एवं निकिता मित्तल और खुशी बौद्ध के निर्देशन में “भारत रत्न अरूणा” तथा प्रभात सेंगर के निर्देशन में नाटक “बच्चों की कचहरी” का मंचन भी किया जबकि स्लम के बाल कलाकारों ने रवि कर्णवाल एवं अभिनव गौतम के निर्देशन में “मानव विकास यात्रा” पर एक मूक अभिनय नाटिका का मंचन किया।
इन नाटकों में बच्चों ने अपने उत्कृष्ट अभिनय से दर्शकों को अभिभूत कर दिया।