आदिवासी मतदाता शरणं गच्छामि…

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आदिवासी मतदाता शरणं गच्छामि…

मध्यप्रदेश विधानसभा 2023 का चुनाव आदिवासी मतदाताओं की तरफ आंखें टिकाए है। भाजपा की निगाहें पूरी तरह से आदिवासी मतदाताओं पर हैं, तो कांग्रेस की आदिवासी सीटों पर कब्जा कर पिछले विधानसभा चुनाव का इतिहास दोहराने की ललक है। मध्यप्रदेश में करीब 22 फीसदी जनसंख्या आदिवासियों की है और 230 सदस्यीय विधानसभा में 47 सीटों पर आदिवासियों का प्रतिनिधित्व है। ऐसे में प्रदेश में 23 मार्च 2020 को सत्ता में वापसी कर भाजपा का एजेंडा आदिवासी मतदाताओं पर ही रहा है। तीन साल ‌तीन महीने के समय में भाजपा की सरकार ने डबल इंजन के साथ आदिवासियों के हित में और खास तौर से उनके गौरव और प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापना में वह सब कुछ करने की कोशिश की है, जो किया जा सकता था। और अब भी मध्यप्रदेश में डबल इंजन के साथ भाजपा का यह मिशन जारी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका और मिस्र की यात्रा से लौटकर पांच दिन में दूसरी बार मध्यप्रदेश आए। और एक जुलाई का पूरा समय आदिवासियों के बीच आदिवासी क्षेत्र में ही बिताया। यह पार्टी के आदिवासी एजेंडा की ही प्रमाणित झलक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि रानी दुर्गावती जी की प्रेरणा से सिकल सेल एनीमिया मुक्ति अभियान जो कि एक बहुत बड़ा मिशन है, उसकी शुरूआत हो रही है। यानि कि रानी दुर्गावती का संबंध आदिवासी समाज से है और सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित भी आदिवासी ही बहुतायत में हैं। मध्यप्रदेश में 1 करोड़ लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड दिए गए। इन दोनों से बड़े लाभार्थी गौंड, भील और अन्य समाज यानि आदिवासी समाज ही है। शहड़ोल की धरती पर देश ने बहुत बड़ा संकल्प आदिवासी भाई-बहनों के जीवन को सुरक्षित बनाने का लिया। संकल्प है हर साल सिकल सेल एनिमिया की गिरफ्त में आने वाले ढ़ाई लाख बच्चे और उनके ढ़ाई लाख परिजनों का जीवन बचाने का। प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि देश आजादी के 100 साल मनाएगा तब 2047 तक हम सब मिलकर एक मिशन मोड में अभियान चलाकर सिकल सेल एनिमिया से आदिवासी परिवारों को मुक्ति दिलाएंगे। आदिवासी लोगों को समझाइश दी गई कि कांग्रेस समेत ऐसे हर राजनीतिक दलों की गारंटी से आप लोगों को सतर्क रहना है, इन झूठी गारंटी देने वालों का हमेशा से आदिवासियों के खिलाफ रवैया रहा है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा में पढ़ाई की सुविधा दी गई है लेकिन झूठी गारंटी देने वाले राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध कर रहे।
मोदी ने आदिवासियों के बीच उनकी सरकार और भाजपा को आदिवासी हितैषी साबित कर पहले की सरकारों  को घेरा। बताया कि पहले की सरकारों ने जनजातीय समुदायों की बहुत उपेक्षा की, हमने अलग आदिवासी मंत्रालय बनाकर उनकी भलाई को महत्व दिया, हमने इसका बजट 3 गुना बढ़ाया, पहले जंगल ओर जमीन को लूटने वालों को संरक्षण मिलता था लेकिन हमने फारेस्ट राइट एक्ट बनाकर 20 लाख से ज्यादा टाइटल बांटे हैं। पेसा एक्ट लागू कर जनजातीय समाज को उसका अधिकार दिया। पहले कला-कौशल का मजाक उड़ाया जाता था लेकिन हमने आदिवासी महोत्सव जैसे आयोजन शुरू किए। भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर 15 नवंबर को पूरा देश जनजातीय गौरव दिवस मनाता है। देश के अलग-अलग राज्यों में आदिवासी नायकों को समर्पित म्यूजियम बनाए जा रहे हैं। इन प्रयासों के बीच हमें पहले की सरकारों का व्यवहार नहीं भूलना क्योंकि जिन्होंने दशकों तक देश पर राज किया उनका रवैया आदिवासी, गरीबों के प्रति असंवेदनशील और असम्मानजनक रहा।
फिर बात हुई द्रौपदी मुर्मू की और उन्हें राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचाने की। छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम महान गौंड क्रांतिकारी राजा शंकर शाह के नाम पर रखने की। पातालपानी स्टेशन का नाम टंटया मामा के नाम पर रखने की। गौंड समाज के इतने बड़े नेता दलवीर सिंह के परिवार को सम्मान देने की।
फिर बात वही कि हमारे लिए आदिवासी नायकों का सम्मान, आदिवासी युवाओं और आप सभी का सम्मान है। फिर सीधी अपेक्षा भी कि मुझे विश्वास है कि आपका आशीर्वाद और रानी दुर्गावति की प्रेरणा ऐसे ही हमारा पथ प्रदर्शन करते रहेगी। 5 अक्टूबर को रानी दुर्गावति जी की 500वीं जयंती आ रही है। मैं रानी दुर्गावती जी के पराक्रम की इस पवित्र भूमि पर आया हूं तो देशवासियों के समक्ष घोषणा करता हूं कि रानी दुर्गावती जी की 500वीं जन्म शताब्दी भारत सरकार पूरे देश में मनाएगी। रानी दुर्गावती के जीवन के आधार पर फिल्म बनाई जाएगी। रानी दुर्गावती का एक चांदी का सिक्का भी निकाला जाएगा। रानी दुर्गावती जी का पोस्टल स्टैंप भी निकाला जाएगा और देश-दुनिया में 500 साल पहले जन्मी इस पवित्र मां की प्रेरणा की बात हर घर-घर पहुंचाई जाएगी। फिर बात वही कि हमारे लिए आदिवासी नायकों का सम्मान हमारे आदिवासी युवाओं का सम्मान है आप सभी का सम्मान है।
तो टंट्या मामा हों, रानी कमलापति हों, रानी दुर्गावती हों, शंकर शाह हों या रघुनाथ शाह हों…भाजपा संगठन और सरकारों का एजेंडा साफ है कि हम आदिवासी हित और गौरव की बात भर नहीं करेंगे बल्कि करके भी दिखाएंगे। और इसीलिए अपेक्षा भी है कि आदिवासी मतदाता भाजपा का समर्थन अवश्य करेगा। फिर मध्य प्रदेश विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा और हम सब भारतवासी साथ मिलकर विकसित भारत के सपने को पूरा करेंगे। निश्चित तौर से भाजपा को भरोसा है कि आदिवासी मतदाता 2023 में भाजपा की सरकार मध्यप्रदेश में बनाएगा और 2024 में फिर से मोदी की ही चलेगी। कांग्रेस कितनी भी कोशिश करे लेकिन मोदी और शिवराज का भरोसा है कि आदिवासी मतदाता उनकी अपेक्षा पर खरे उतरेंगे। क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और भाजपा की सरकारें आदिवासी शरणं गच्छामि हैं और अपेक्षा यही है कि आदिवासी मतदाता भाजपा को आशीर्वाद देकर डबल इंजन की सरकार बनाए रखेगा…।