NCST Chairman Removed : राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अध्यक्ष को अड़ंगेबाजी के कारण हटाया!
New Delhi : राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) के अध्यक्ष हर्ष चौहान ने मंजूर कर लिया। इसके बाद उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया। बताया गया कि पर्यावरण मंत्री से विवाद के बाद उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। वे सरकार के कई प्रोजेक्ट में अड़ंगेबाजी कर रहे थे। जबकि, उनके समर्थक ये हवा बनाने की कोशिश में हैं कि उन्हें मध्यप्रदेश में उपमुख्यमंत्री या प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया जा रहा है, इसलिए उन्होंने इस्तीफ़ा दिया। जबकि, भाजपा के सूत्रों ने ऐसी किसी बात से इंकार किया।
हर्ष चौहान का इस्तीफा वन संरक्षण नियम 2022 पर पर्यावरण मंत्रालय के साथ असहमति के बाद हटाया गया। बताया गया कि पर्यावरण मंत्रालय के मंत्री से उनका विवाद होने पर यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचा था। वे वन एवं पर्यावरण के नाम पर बड़े प्रोजेक्ट में बेवजह अड़ंगा डाल रहे थे, इसके बाद एनसीएसटी के अध्यक्ष से इस्तीफा मांग लिया गया। जानकारी में बताया गया कि वन अधिकार अधिनियम को लेकर उनके मतभेद हुए थे। उन्हें फरवरी 2021 में तीन साल के कार्यकाल के लिए एनसीएसटी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
इंदौर के रहने वाले चौहान से इस्तीफा मांग लिया गया था और उन्होंने 26 जून को इस्तीफा दे दिया। पिछले साल अक्टूबर में पर्यावरण मंत्रालय के साथ उनका टकराव हुआ था। हर्ष चौहान ने पर्यावरण मंत्रालय को नए वन संरक्षण नियम 2022 का विरोध करते हुए कहा था कि इसके तहत परियोजनाओं को मंजूरी देना वन अधिकार अधिनियम 2006 का उल्लंघन होगा। उन्होंने इस बारे में पर्यावरण मंत्रालय से सवाल-जवाब भी किए थे।
उन्हें फरवरी 2021 में एनसीएसटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। एनसीएसटी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों को कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से तीन साल के लिए राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। आयोग के अध्यक्ष को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष हर्ष चौहान को कार्यकाल के 8 महीने शेष रहते हुए पद से हटाया गया है। इसके बाद आदिवासी अधिकार निकाय केवल एक सदस्य के साथ रह गया।
इंदौर से जुड़े हैं हर्ष चौहान
हर्ष चौहान के पिता स्व भारत सिंह चौहान धार क्षेत्र से सांसद भी रह चुके हैं। वे आरएसएस (संघ) से जुड़े हैं और कार्यवाह भी रह चुके हैं। संघ के पदाधिकारियों से मतभेद के चलते उनको वहां से भी हटाया गया था। इसके बाद वे एकता परिषद में जंगल बचाओ अभियान से जुड़े रहे। बाद में संघ के अनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण परिषद में भी लंबे समय तक काम किया। राज्यसभा सांसद के लिए भी हर्ष चौहान का नाम चला था। लेकिन, एन वक्त पर वनवासी कल्याण से ही सुमेर सिंह सोलंकी को राज्य सभा सदस्य बनाया गया। इसके कुछ दिनों बाद उन्हें को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया जाना तय हुआ था।