Fake Soldier : व्यापम के फर्जीवाड़े से सिपाही बना, जांच के बाद FIR, अब गिरफ़्तारी!

किसी और से परीक्षा दिलवाकर नौकरी में आया, 9 साल जांच के बाद कार्रवाई!  

944

Fake Soldier : व्यापम के फर्जीवाड़े से सिपाही बना, जांच के बाद FIR, अब गिरफ़्तारी!

Indore : विजयनगर थाने में पदस्थ सिपाही धर्मेंद्र शर्मा ने व्यापमं भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा किया और उसका चयन हो गया। इस मामले की 9 साल जांच चली। जांच के बाद पिछले साल एफआईआर हुई और अब गिरफ्तारी होगी। इंदौर पुलिस पूरे मामले से पूरी तरह अनजान रही। भोपाल एसटीएफ ने मामले की जांच की है।

व्यापमं में फर्जीवाड़ा करके नौकरी पाने की शिकायत को लेकर इंदौर पुलिस परेशान है। विजय नगर में पदस्थ इस सिपाही को दो सप्ताह पहले जब भोपाल एसटीएफ पकड़ने आई, तो पुलिस को बचाव में उतरना पड़ा। कहा कि इसे हम ही पेश करवा देंगे। लेकिन, एसटीएफ के जाते ही सिपाही छुट्‌टी पर चला गया। अब डीसीपी ने एसटीएफ को पत्र लिखकर एफआईआर और कार्रवाई की जानकारी मांगी है।

एसटीएफ के आने के पहले इंदौर पुलिस को सिपाही की एफआईआर के बारे में पता नहीं था। जबकि, सिपाही पर जुलाई 2022 में ही धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज सहित कई धाराओं में केस दर्ज कर लिया था। सिपाही ने भी इंदौर के अफसरों से खुद पर दर्ज एफआईआर की जानकारी छुपाई। इसकी शिकायत दस्तावेजों के आधार पर 2013 में सरकार और सीबीआई से की गई थी, लेकिन सरकार ने मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी।

परिचित ने ही की थी शिकायत
विजयनगर में पदस्थ सिपाही का नाम धर्मेंद्र शर्मा है। उसके परिचित पंकज शर्मा ने ही व्यापमं में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। कहा गया है कि धर्मेंद्र ने अपनी जगह किसी और को पुलिस भर्ती परीक्षा में बैठाया था। उसने अंगूठे के निशान भी बदले थे। 2013 में शिकायत के बाद 9 साल जांच ली। 2022 में एफआईआर दर्ज की गई।

पंकज शर्मा ने शिकायत में बताया कि धर्मेन्द्र शर्मा ने व्यापमं परीक्षा में सितबंर 2013 में अपने स्थान पर दूसरा लड़का परीक्षा में बैठाकर शासन को धोखाधड़ी देकर फर्जी नियुक्ति प्राप्त की। इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। यह एक फर्जी नियुक्ति कराने वाला रैकेट है। शिकायत में दावा किया गया कि इस रैकेट में कई लोग उच्च पदों पर बैठे अफसर व नेता भी शामिल हैं। इस कारण से रैकेट बच जाते हैं। इस मामले में एसटीएफ के कार्यवाहक निरीक्षक बीएल त्यागी ने बताया कि मामले में एफआईआर उनके द्वारा ही लिखी गई थी। जिसमें जांच अब टीआई सुभाष दयाशंकर कर रहे है।