Zoo Shifting Controversy : चिड़िया घर को शिफ्ट करने के मसले को अब ऐसे हवा दी जा रही!
इंदौर। चिड़ियाघर को उसके वर्तमान स्थल से रालामंडल शिफ्ट किए जाने की कोशिश फिर शुरू होने की चर्चा है। वैसे ये मुहिम करीब 4 साल पुरानी है। उस समय एक चिट्ठी के जरिए ये बात सामने आई थी। इस आधार पर चिड़ियाघर को नौलखा से रालामंडल शिफ्ट करने की बात शुरू हुई, लेकिन जन विरोध के बाद ऐसी कोशिशों को विराम दे दिया गया। वन मंत्री विजय शाह ने भी एक बार इस मामले में हाथ डाला था, पर जन विरोध को देखते हुए वे पीछे हट गए थे। नगर निगम भी इसका विरोध करता रहा है।
अब एक नए तरीके से इस मुद्दे को हवा देने की कोशिश की जा रही है। रविवार को महिला राइडर्स एक संस्था के जरिए इसी मुद्दे को अलग ढंग से उठाने की कोशिश कर रहा है। दो पहिया वाहन चालक महिलाएं रीगल तिराहे से चिड़िया घर होते हुए रालामंडल तक की राइड करेंगी। खास बात यह कि इस मुहिम को ट्रैफिक डीसीपी मनीष अग्रवाल हरी झंडी दिखाएंगे। मीडिया को जानकारी दी गई कि इस इवेंट के कवरेज के लिए आप सुबह 6 बजे रीगल तिराहे पर पहुंचे। अब यह समझ से परे है कि जिस मुद्दे को लेकर शहर में रोष है, उसे ट्रैफिक डीसीपी हरी झंडी दिखाकर हवा देने की कोशिश क्यों कर रहे हैं!
सितंबर 2016 में मुख्यमंत्री ने चिड़ियाघरों के विकास को लेकर हुई बैठक में इंदौर, सागर, ग्वालियर, जबलपुर और रायसेन के लिए चिड़िया घर के उद्धार की योजना बनाने को कहा था। इंदौर चिड़ियाघर में वाइल्ड लाइफ सफारी विकसित करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन, तत्कालीन डीएफओ वीके वर्मा ने चिट्ठी लिखी कि जानवरों की संख्या बढ़ रही है, इसलिए चिड़िया घर को देवगुराड़िया, रालामंडल या कामठिया शिफ्ट किया जाना उचित होगा। नगर निगम ने इसका विरोध किया तो प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
2020 में संभाग आयुक्त ने वन विभाग और निगम अफसरों के साथ बैठक करके वन मंत्री विजय शाह के सुझाव को आगे बढ़ाने की बात कही थी। जबकि, निगम ने इसका विरोध किया था। बाद में जब मामला वन मंत्री की जानकारी में आया तो वे उस बैठक में ही नहीं आए, जिसमें इसे लेकर चर्चा होना थी। इस तरह यह मामला ठंडा पड़ा रहा। लेकिन, महिला राइडर्स के बहाने इसे फिर आगे बढ़ाने की कोशिशें शुरू हो गई।
आशंका व्यक्त की जा रही है कि इसके पीछे किसी की बड़ी योजना है जिसे धीरे-धीरे आगे बढ़ाने की तैयारी है। लेकिन, इसमें ट्रैफिक डीसीपी की भूमिका पर लोगों को आश्चर्य है कि वे शहर के इस ज्वलंत मुद्दे में क्यों हाथ डालने की कोशिश कर रहे हैं। यदि रविवार को उन्होंने महिला राइडर्स को हरी झंडी दिखा दी तो तय है कि शहर में नया विवाद खड़ा हो सकता है।