Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : तो MP के हर एडिशनल कलेक्टर पर हो सकती है FIR ?
पिछले दिनों लोकायुक्त पुलिस ने 2007 से 2012 के बीच जबलपुर में पदस्थ तत्कालीन तीन एडिशनल कलेक्टर के खिलाफ FIR दर्ज की। आरोप यह था कि इन तीनों ने अपने कार्यकाल के दौरान आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने की इजाजत दी। और यह कि यह पावर केवल कलेक्टर में ही निहित थे तो इन एडिशनल कलेक्टर ने जो अनुमति दी है वह प्रावधानों के विरुद्ध मानी जा रही है और इसी आधार पर यह FIR की गई है।
प्रशासनिक गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा है कि आखिर इन तत्कालीन तीनों एडिशनल कलेक्टर ने ऐसा क्या गुनाह किया कि उनके खिलाफ यह एफ आई आर दर्ज हो गई। दरअसल उन्होंने कलेक्टर द्वारा डेलीगेट पावर का उपयोग कर यह कार्यवाही एक न्यायालयीन प्रक्रिया के तहत की थी।
देखा जाए तो जिस आधार पर इन 3 अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, शायद यह एफआईआर प्रदेश के समय समय पर रहे सभी एडिशनल कलेक्टर फिर वह चाहे प्रमोटी हो या डायरेक्ट आईएएस,की जा सकती है, क्योंकि, उन सभी ने भी तो कलेक्टर द्वारा डेलीगेट पावर्स का उपयोग ही किया।
यदि इन तीन अधिकारियों के कार्यकाल में जबलपुर में यह हुआ है, तो यह उसके बाद भी और पहले भी इसी प्रक्रिया के तहत होता रहा है। हालांकि बताया गया है कि राज्य सरकार ने बाद के वर्षों में यह स्पष्ट किया है कि ये पॉवर्स केवल कलेक्टर के पास ही है और इसे डेलीगेट नहीं किया जाना चाहिए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन्हीं आधारों पर अब ये अधिकारी उनके खिलाफ की गई FIR को क्वाश कराने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले हैं।
नरेंद्र तोमर के राजनीतिक चातुर्य की परीक्षा
विधानसभा चुनाव में भाजपा की मुख्य कमान सर्वेसर्वा नरेंद्र तोमर के हाथ में आ गई है। इससे यह बात तो स्पष्ट हो गई कि दो चुनाव प्रभारियों भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव के अलावा प्रदेश में भाजपा के जो भी बड़े चुनावी फैसले होंगे, उसकी लगाम नरेंद्र तोमर के हाथ में रहेगी।
फिलहाल मध्यप्रदेश में ऐसा कोई भाजपा नेता नजर नहीं आता जो नरेंद्र तोमर किसी फैसले पर उंगली उठाए या उनके काम में अड़चन डाले, सिवाय ज्योतिरादित्य सिंधिया के! इसलिए कि ये दोनों नेता एक ही इलाके चंबल-ग्वालियर के नेता है और निश्चित रूप से वहां के चुनावी फैसलों में सिंधिया से उनको समन्वय बैठाना पड़ेगा। ये उनके लिए मुश्किल नहीं तो आसान भी नहीं है। ऐसे में नरेंद्र तोमर कैसे रास्ता निकालते हैं, यह उनका राजनीतिक चातुर्य माना जाएगा।
भाजपा की गलतियों से राजनीति करती कांग्रेस!
विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, पार्टियों की रणनीति भी समझ में आने लगी। लेकिन, कांग्रेस की अपनी मुश्किलें है कि वो अपनी तरफ से कोई इनीशिएटिव नहीं लेती। वो भाजपा की गलतियों में अपने फायदे ज्यादा ढूंढती है।
जब भी कोई ऐसी घटना घटी जिसमें भाजपा को घेरा जा सकता है, सारे नेता झंडे-बैनर लेकर सड़क पर आ जाते हैं। फिर, वो सीधी की घटना हो या पटवारी सिलेक्शन वाला मामला। याद भी किया जाए तो याद नहीं आता कि कांग्रेस ने अपनी तरफ से कोई आंदोलन खड़ा किया हो जिससे भाजपा परेशानी में आई हो!
कांवड़ियों के साथ IPS चलेंगे 80 किमी!
इस बात पर कोई सहजता से भरोसा न करे, पर यह सच है कि छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के एसपी सुनील शर्मा भी कावड़ियों के साथ कैलाश गुफा तक की 80 किमी की यात्रा कर रहे हैं। ये शायद पहली बार हुआ कि कोई IPS कावड़ियों के साथ चल रहा हो। वे कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए खुद सामने आए हैं। इसके पीछे उनकी मंशा श्रद्धालुओं को सुरक्षा देना हो, लेकिन वे पूरे लवाजमे के साथ इतनी लंबी पैदल यात्रा आसान नहीं है।
अंबिकापुर के शंकर घाट स्थित बांक नदी से कांवड़ियों का हुजूम जल पात्र लेकर कैलाश गुफा के लिए रवाना हुआ। तीन दिन में 80 किमी चलकर कैलाश गुफा तक पहुंचकर जल चढ़ाना है। सुनील शर्मा के मुताबिक वे कांवड़ियों के साथ उनकी सुरक्षा के लिए कैलाश गुफा तक जा रहे हैं। उन्होंने असामाजिक तत्वों को चेतावनी दी है कि यात्रा में कोई गड़बड़ी की, तो खैर नहीं!
राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारियों का अनोखा संगठन!
इंदौर संभाग में अपनी प्रशासनिक सेवाएँ दे चुके राजस्व अधिकारियों ने अपने साथियों के सुख दुख बांटने के लिए एक संगठन बनाया है। इसका नाम है ‘Indore Chapter Of Administration’ इस संगठन में डेढ़ सौ से ज्यादा अधिकारी हैं, जो हर 2 महीने में मिलते हैं।
इस संगठन के मेम्बर्स में इंदौर संभाग में कभी ना कभी पदस्थ रहे नायब तहसीलदार से लगाकर डिप्टी कलेक्टर और कलेक्टर से लगाकर कमिश्नर तक की रैंक के अधिकारी हैं। संगठन में रिटायर अधिकारियों के अलावा इंदौर संभाग में फिलहाल पदस्थ अधिकारी भी शामिल होते हैं। इस संगठन को 2019 में बनाया गया था। कोरोना काल में भी सब संपर्क में रहे। खास बात ये कि संगठन के सदस्यों का इंदौर और मालवा क्षेत्र से भावनात्मक लगाव हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार अब 15 अगस्त के बाद
केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार की संभावना फिलहाल टल गई है। सूत्रों का कहना है कि अब विस्तार की संभावना 15 अगस्त के बाद हो सकती है। 11 अगस्त को संसद का मानसून सत्र समाप्त होगा और उसके बाद स्वतंत्रता दिवस समारोह है।
कौन बनेगा प्रवर्तन निदेशालय का ED
आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने ईडी के निदेशक को सरकार को पद से हटाने को मजबूर कर दिया। वे 31 जुलाई तक इस पद पर बने रहेंगे। सत्ता के गलियारों में इस पद को प्राप्त करने के लिए जोड तोड़ शुरू हो गई है। आईएएस, आईपीएस के अलावा कुछ आईआरएस – आईटी अफसर ईडी का अगला मुखिया बनने के लिए कोशिश मे लग गये हैं। सूत्रों के अनुसार 1988 बैच के आई आर एस अधिकारी सीमाचल दास इस दौड मे आगे बताए जा रहे हैं।
वे दो साल पहले तक ईडी में ही विशेष निदेशक थे। उम्मीद है कि 25 जुलाई के बाद सरकार इस पद पर नये अधिकारी को नियुक्त कर देगी। वैसे इस पद के लिए मध्यप्रदेश कैडर के 1994 बैच के आईएएस अधिकारी विवेक अग्रवाल और उत्तर प्रदेश कैडर की आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला का नाम भी दौड़ में बताया जा रहा है। बता दें कि पहले इन पदों पर आईएएस अधिकारी पदस्थ होते रहे हैं।
भयंकर बाढ़ में भी CM और उप राज्यपाल के बीच बनी रही तनावपूर्ण दूरी
दिल्ली की बाढ ने एक बार फिर आप सरकार की कमजोरी को उजागर कर दिया। मुख्यमंत्री और उप राज्यपाल के बीच भी तनावपूर्ण दूरी भी देखने को मिली। दोनों ही अलग अलग बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करते रहे। आप के नेता अधिकारियों के न सुनने का रोना ही रोते रहे। मुख्यमंत्री भी केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाते रहे। समन्वय की कमी का असर राहत कार्यों में देखने को मिला।