डॉक्टर की लापरवाही से हुई थी गर्भवती महिला की मौत,पति की शिकायत पर डेढ़ साल बाद दर्ज हुआ मामला
राजेश चौरसिया
छतरपुर: लगभग डेढ़ साल पहले जिला अस्पताल में एक गर्भवती महिला की प्रसव के दौरान मौत हो गई थी। इस मामले में महिला के पति ने अस्पताल के डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही करने के आरोप लगाए थे। सिटी कोतवाली पुलिस ने इस मामले में लगभग डेढ़ साल तक जांच करने के बाद अब डॉ. गीता चौरसिया पर धारा 304 A यानि कि उतावलेपन के कारण किए गए कार्य से मानववध होने का मुकदमा दर्ज किया है।
बता दें कि पुलिस को इस गंभीर मामले की जांच में डेढ़ साल का वक्त लग गया। कछुआ गति से की गई जांच के बाद इस बात का भी संदेह है कि पीडि़त को न्यायालय से कितने वर्षों बाद न्याय मिलेगा। फिलहाल कोतवाली पुलिस ने डॉ. गीता चौरसिया के विरुद्ध 13 जुलाई को एफआईआर दर्ज कर ली है।
●यह है पूरा मामला..
प्राप्त जानकारी के मुताबिक 19 जनवरी 2022 को महाराजपुर क्षेत्र के ग्राम उर्दमऊ में रहने वाले श्यामलाल कुशवाहा के द्वारा अपनी पत्नी भूरीबाई को प्रसव के लिए जिला अस्पताल लाया गया था। श्यामलाल ने पुलिस शिकायत में बताया था कि पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर वह आशा कार्यकर्ता आरती पटेल के साथ पत्नी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा था। यहां 2 घंटे इंतजार कराने के बाद उसकी पत्नी को प्रसव कक्ष में ले जाया गया। कुछ देर बाद डॉ. गीता चौरसिया और आरती पटेल ने बाहर आकर बताया कि तुम्हारी पत्नी गंभीर है लेकिन सब ठीक हो जाएगा, और यह कहते हुए मुझसे अस्पताल के पर्चों पर दस्तखत करवा लिए। इसके बाद डॉ. गीता चौरसिया पुन: प्रसव कक्ष में चली गईं और कुछ देर बाद वापिस आकर मुझे बताया कि तुम्हारी पत्नी की तबियत बिगड़ गई है, उसे ग्वालियर ले जाना पड़ेगा। यह कहते हुए एक बार फिर डॉक्टर ने मुझसे पर्चों पर साइन करा लिए।
जब मैं प्रसव कक्ष के भीतर गया तो मेरी पत्नी का पेट कटा हुआ था एवं अत्यधिक खून बह रहा था। डॉ. गीता चौरसिया ने ही मेरे मोबाइल से फोन लगाकर डायल 108 संजीवनी एंबुलेंस को बुलाकर पत्नी को एंबुलेंस में लिटा दिया और हमें ग्वालियर भेज दिया। हम लोग मऊरानीपुर के समीप ही पहुंचे तभी पत्नी ने दम तोड़ दिया। एंबुलेंस हमें बीच में छोड़कर चली गई, इसके बाद हम निजी वाहन से पत्नी के शव को लेकर जिला अस्पताल आए, जहां उसका पोस्टमार्टम किया गया।
पीडि़त ने बताया कि उसके तीन मासूम बच्चे हैं, और इन बच्चों की मां की लापरवाहीपूर्वक इलाज करने के कारण मौत हुई है। पीडि़त ने इस मामले की शिकायत सिटी कोतवाली थाने में दर्ज कराई थी।
●डेढ़ साल की जांच में पुलिस ने पाई डॉक्टर की लापरवाही..
सिटी कोतवाली पुलिस ने लगभग डेढ़ साल तक इस मामले को दबाए रखा। पीडि़त की शिकायत और छतरपुर में हुए हंगामे के बावजूद पुलिस ने शुरुआत में इस केस को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन जब पीडि़त अपनी शिकायत पर अड़ा रहा तब इस मामले की जांच प्रारंभ की गई। मामले की प्रारंभिक जांच उपनिरीक्षक जनकनंदिनी पांडे एवं उपनिरीक्षक मोहिनी शर्मा द्वारा की गई। सब इंस्पेक्टर रवि उपाध्याय ने इस मामले की जांच संभाली। पुलिस ने सभी पक्षों सहित सिविल सर्जन, डॉ. गीता चौरसिया, चिकित्सा विशेषज्ञों और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अध्ययन के बाद पाया कि डॉ. गीता चौरसिया के द्वारा लापरवाहीपूर्वक प्रसव कराते हुए महिला के पेट के भीतर मौजूद रैपरोपपेनीटॉनियल अंग चोटिल कर दिया गया था, जिसके कारण महिला के पेट में अत्यधिक रक्तस्त्राव होने से उसकी मौत हुई थी।
●304 A का मामला, डॉक्टर को हो सकती है 2 साल की सजा या जुर्माना..
पुलिस ने अब धारा 304 A के तहत डॉ. गीता चौरसिया पर प्रकरण दर्ज कर लिया है। अब यह मामला न्यायालय में चलेगा। यदि न्यायालय में डॉ. गीता चौरसिया दोषी पाई जाती हैं तो उन्हें दो वर्ष तक का कारावास या जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकता है।