Priyanka’s Visit to Gwalior : प्रियंका ग्वालियर में सिंधिया को घेरने के साथ चुनाव अभियान शुरू करेगी!

कांग्रेस की रणनीति है सिंधिया के गढ़ में सेंध लगाना और नाराज भाजपाइयों को साधना!

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Priyanka’s Visit to Gwalior : प्रियंका ग्वालियर में सिंधिया को घेरने के साथ चुनाव अभियान शुरू करेगी!

Gwalior : कांग्रेस की बड़ी नेता और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी कल 21 जुलाई को ग्वालियर-चंबल संभाग के दौरे पर आ रही हैं। वे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर से चुनाव अभियान शुरु करेंगी। उनकी रैली को लेकर कांग्रेस ने तैयारी तेज कर दी। कई बड़े नेता दो दिन पहले ही ग्वालियर पहुंच गए। इस दौरे का मकसद विधानसभा चुनाव में सिंधिया की घेराबंदी करना है। ग्वालियर-चंबल अंचल में विधानसभा की कुल 34 सीट है। इनमें 7 सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। बाकी सीटों पर भी अनुसूचित जाति वर्ग के वोटरों का प्रभाव है और वे नतीजों को बदलने की ताकत रखते हैं।

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रियंका गांधी 21 जुलाई की सुबह 11 बजे दिल्ली से ग्वालियर पहुंचेंगी। वे 11.20 पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पहुंचकर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगी। प्रियंका गांधी साढ़े 11 बजे ग्वालियर के मेला ग्राउंड में कांग्रेस की विशाल जनसभा को संबोधित करेंगी। इसके अलावा उनका कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं है।

प्रियंका गांधी के दौरे को लेकर प्रदेश कांग्रेस के नेता उत्साहित हैं। उनका कहना है कि प्रियंका गांधी का यह दौरा मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कांग्रेस की रणनीति ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में सेंध लगाना है। यहां सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद से भाजपा दो खेमों में बंटी हुई है। 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल के कारण ही कांग्रेस की सरकार बनी थी। हालांकि, ज्योतिरादित्य के भाजपा में शामिल होने के बाद कमलनाथ सरकार गिर गई थी।

इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया से अपना पुराना हिसाब बराबर करना चाहती है। अनुमान है कि प्रियंका कल की ग्वालियर की सभा के जरिए कांग्रेस के साथ हुए धोखे को लेकर सिंधिया पर हमला कर सकती है। झांसी की रानी की प्रतिमा पर जाकर प्रियंका आजादी के संघर्ष के दौरान सिंधिया अध्याय की भी याद दिलाना चाहेगी। कांग्रेस की रणनीति है ग्वालियर अंचल में भाजपा को घेर कर प्रदेश के बाकी हिस्सों में भी दबाव बढ़ाया जाए।

सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ने वालों में अधिकांश विधायक ग्वालियर अंचल के थे। उनका विरोध करते हुए कांग्रेस इसे गद्दारी साबित करके इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है। ग्वालियर-चंबल अंचल 2018 के चुनाव से ही चर्चा में है। एट्रोसिटी एक्ट के विरोध से यहां भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ था। कमलनाथ सरकार गिरने के बाद 2020 में 28 विधानसभा क्षेत्रों में एक साथ उप चुनाव हुए, तो भी सर्वाधिक सीटें इसी अंचल की थीं। सरकार ने इन उपचुनाव में पूरी ताकत झोंकी फिर भी कांग्रेस का प्रदर्शन बुरा नहीं रहा। अब एक बार फिर इस अंचल पर सबकी नजरें हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों कांग्रेस के निशाने पर हैं। उनके गढ़ ग्वालियर-चंबल में सिंधिया की घेराबंदी कर कांग्रेस उन नाराज भाजपा नेताओं को भी साधने की कोशिश कर रही है, जो सिंधिया राजघराने के विरुद्ध राजनीति करते रहे हैं। नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी दूसरी बार मध्यप्रदेश आ रही हैं। वे जून में भी जबलपुर आई थीं।