बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना प्रथम चरण: 2567 करोड़ से देश के 7 राज्यों के 223 बांधों का पुनर्वास!

द्वितीय एवं तृतीय चरण में राजस्थान के कुल 189 बांध शामिल, पाली लोकसभा के 14 बांधों के पुर्नवास और सुधार पर खर्च होंगे 100 करोड़, पाली सांसद चौधरी के सवाल के जवाब में जल शक्ति मंत्रालय ने पेश किए आंकड़े

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बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना प्रथम चरण: 2567 करोड़ से देश के 7 राज्यों के 223 बांधों का पुनर्वास!

गोपेंद्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट

नई दिल्ली। विश्व बैंक द्वारा वित पोषित नरेन्द्र मोदी सरकार की 10,211 करोड़ रु की दस वर्षीय बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (DRIP) के प्रथम चरण के अंतर्गत 7 राज्यों में स्थित 223 बांधों का 2567 करोड़ की राशि से पुर्नवास किया गया है ।साथ ही परियोजना के द्वितीय एवं तृतीय चरण की मंजूरी के अनुसार राजस्थान के 189 बांध, ओडिशा के 13, और उत्तर प्रदेश के 39 बांध शामिल है।

यह जानकारी जल शक्ति मंत्रालय ने पाली सांसद और पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री पीपी चौधरी के सवाल पर लोकसभा के पटल पर रखी गई ।

पाली लोकसभा क्षेत्र के इन बांधों को किया शामिल

द्वितीय एवं तृतीय चरण में पाली लोकसभा क्षेत्र में आने वाले 14 बांधों को भी शामिल किया गया है। इन सभी बांधों के पुर्नवास और सुधार के तहत करीब 100 करोड़ की राशि खर्च होगी।

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सांसद चौधरी ने बताया कि पाली लोकसभा के कुल 14 बांध डीआईपीआई परियोजना के द्वितीय चरण शामिल किए गए है। इसमें जवाई बांध, जसवंत सागर, बणियावास, डांडिया (हरिओम सागर), हेमावास, गिरीनंदा बांध, जूना मलारी, कंटालिया, खारडा, फूलाद, रायपुर लूणी, सादड़ी, सरदार समंद और सिंदरू शामिल है। इन सभी बांधों के पुर्नवास और सुधार पर 100 करोड़ की राशि व्यय होगी।

उल्लेखनीय हैकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति ने विश्व बैंक और एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक की वित्तीय सहायता से देश के बाँधों के पुनर्वास और सुधार परियोजना की महत्वाकांक्षी परियोजना के प्रथम, द्वितीय और तृतीय चरण को मंजूरी दी गई। इस परियोजना की कुल लागत 10,211 करोड़ है और लागू करने की अवधि 10 वर्ष है। राजस्थान के लगभग सभी जिलों के छोटे एवं बड़े बांधों को इसमें शामिल किया गया है।

उद्यमियों को तोहफा

पहली पीढ़ी के कई उद्यमियों को बैंक से ऋण प्राप्त करने हेतु कोलेटरल या तीसरे पक्ष की गारंटी देनी पड़ती थी। इस समस्या का समाधान करने हेतु केंद्र सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने सुलभ ऋण उपलब्धता हेतु एक संशोधित क्रेडिट गारंटी योजना (सीजीएस) गत अप्रैल शुरू गई है ।

सांसद चौधरी ने बताया कि इस योजना के तहत अब उद्यमी आवेदक को तीसरे पक्ष के बिना भी ऋण प्राप्त कर रहे हैं। राजस्थान में, गत मार्च तक इस योजना के तहत कुल 2,99,171 गारंटी स्वीकृत की गई हैं और 17,250 करोड़ की गारंटी को मंजूरी दी गई है। वहीं पाली जिले में कुल 300 करोड़ रूपये की गारंटी स्वीकृत की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के छोटे कारोबारियों के हित में लगातार कार्य कर रही है।