गांवों में मिट्टी खोदने के लिए जगह चिन्हित कराएंगे कलेक्टर, खसरे में दर्ज होगा स्थान

452

गांवों में मिट्टी खोदने के लिए जगह चिन्हित कराएंगे कलेक्टर, खसरे में दर्ज होगा स्थान

भोपाल
प्रदेश में अब ग्राम पंचायतों में किस जगह की मिट्टी खोदकर कुम्हार और एससी-एसटी वर्ग के लोग कबेलू, बर्तन और ईंट का निर्माण कर सकेंगे, इसकी जानकारी खसरे में दर्ज कराई जाएगी। साथ ही निस्तार पत्रक में भी इसका उल्लेख किया जाएगा। राज्य शासन ने कलेक्टरों को इस तरह की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं ताकि कहीं भी कोई भी व्यक्ति मिट्टा का खनन न करने लगे।

खनिज साधन विभाग द्वारा माटी शिल्पी कामगारों के लिए मिट्टी उपलब्ध कराने की खातिर इस तरह की व्यवस्था कराने का फैसला लिया है। सभी कलेक्टरों को लिखे पत्र में विभाग ने कहा है कि माटी शिल्पकारों, कुम्हारों और एससी-एसटी वर्ग के लोगों को मिट्टी से संबंधित उत्पाद बनाने के लिए आसानी से मिट्टी मिल सके, इसलिए ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा के माध्यम से ऐसे स्थान चिन्हित कराना होंगे। इन चिन्हित स्थानों पर ग्राम सभा के अनुमोदन के बाद कलेक्टर की अनुमति से मिट्टी खनन का काम किया जा सकेगा। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भी कलेक्टर की अनुमति से मिट्टी खोदने की स्वीकृति ली जा सकती है। विभाग ने कहा है कि ऐसे खनिज उत्पाद ईंट, कबेलू का परिवहन करने के लिए ईटीपी जारी करने की व्यवस्था खनिज साधन विभाग द्वारा पोर्टल पर की जाएगी। विभाग ने यह भी कहा है कि कलेक्टर ग्राम सभा के फैसले के बाद जो स्थान खुदाई के लिए चिन्हित कराएंगे, उसका विवरण, खसरा पंचशाला के कॉलम 12 में दर्ज किया जाएगा और निस्तार पत्रक में भी यह जानकारी दर्ज की जानी चाहिए।

यहां नहीं कर सकते खनन
विभाग ने कहा है कि मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम में प्रावधान है कि मिट्टी का खनन राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग, रेल लाइन, सार्वजनिक भवन, श्मशाम भूमि, नदी के किनारों, बांध, नहर, जलाशय, प्राकृतिक जलमार्ग या जल संग्रहण करने वाली वाटर बॉडी से 100 मीटर या फिर पक्की सड़क या नालों से 50 मीटर अथवा ग्रामीण कच्चे रास्ते से 10 मीटर की दूरी के भीतर नहीं किया जा सकेगा। नियम में यह भी व्यवस्था है कि इन खनन करने वालों द्वारा परम्परागत साधनों से मिट्टी के खनन पर नियम लागू नहीं होते हैं लेकिन मशीन का उपयोग करने पर नियम प्रभावी होगा।

तहसीलदार प्रमाणित करेंगे स्थान
विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि ईटीपी की मांग किए जाने पर एक फार्मेट में जानकारी मांगी जाएगी। इसके बाद संबंधित व्यक्ति को छूट हासिल करने के लिए संबंधित क्षेत्र के नायब तहसीलदार और तहसीलदार से उसका प्रमाणीकरण कराना होगा। इसमें क्षेत्र की स्थिति, खनिज की मात्रा और खनन की अवधि का उल्लेख विशेष तौर पर किया जाएगा। इसके लिए रायल्टी लिए बगैर खनिज अधिकारी द्वारा ईटीपी जारी किया जाएगा।