प्रदेश भाजपा में शाही असर, “आल इज वेल”…

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Amit Shah. (File Photo: IANS)

प्रदेश भाजपा में शाही असर, “आल इज वेल”…

कौशल किशोर चतुर्वेदी की खास रिपोर्ट

मध्यप्रदेश भाजपा की चुनावी कमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संभालने और ताबड़तोड़ किए गए दौरों का असर दिखाई देने लगा है। सत्ता और संगठन दोनों ही जगह बेस्ट परफॉर्मेंस की झलक दिखाई दे रही है। अमित शाह के इंदौर में बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं को संबोधित कर चुनावी बिगुल फूंकने के बाद भाजपा अब फील गुड करती नजर आ रही है। लाड़ली बहना योजना और विकास पर्व समारोह के जरिए जहां शिवराज हर जिले में जन हुजूम के बीच में अपनी बात खुलकर रख रहे हैं, तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी जिलों में पहुंचकर कार्यकर्ताओं में एकजुटता और उत्साह का संचार करने में जुटे हैं।

भाजपा नेताओं को अब लगने लगा है कि 2023 के रण में जनता एक बार फिर कमल खिलाकर पार्टी को उपकृत करने जा रही है। शाह का वह अंदाज कार्यकर्ताओं के मन को भा रहा है कि चुनाव मंच पर बैठे पार्टी नेता नहीं जिताएंगे, बल्कि चुनाव जिताने का काम मंच के सामने बैठे कार्यकर्ता ही करेंगे। तो उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को अपना मित्र संबोधित कर यह साफ किया है कि संगठन और सत्ता सिर्फ और सिर्फ भाजपा की ही दो आंखें हैं। जो सिर्फ और सिर्फ लक्ष्य पर नजरें टिकाए हैं। परशुराम के धाम में जानापाव जाकर शाही वंदन किया जा रहा है, तो संत रविदास का सबसे भव्य मंदिर सागर जिले में बनाने के लिए भूमिपूजन के लिए खुद प्रधानमंत्री आने वाले हैं। बिरसा मुंडा, रघुनाथ शाह और शंकर शाह के जरिए आदिवासी मतदाताओं के मन में कमल खिलाने की हरसंभव कोशिश भाजपा बहुत समय से कर ही रही है। ओबीसी वर्ग की चिंता के लिए खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सत्ता में बैठे ही हैं। स्टेच्यू ऑफ वननेस, परशुराम महालोक, रामराजा महालोक जैसे कदम हार्ड कोर हिंदुत्व का संदेश दे रहे हैं। तो अब बदलाव बदलाव की कांव कांव थम गई है और भाजपा सरकार और संगठन स्थिर मन से जाम्बवंत बनकर कार्यकर्ताओं को हनुमान की तरह उनकी उस शक्ति का अहसास करा रहे हैं कि वह सत्ता में वापसी कराने में सक्षम हैं।

अब भाजपा की भाषा वही है, जो कार्यकर्ताओं के मन को भाए और बूथ स्तरीय कार्यकर्ता हर बूथ पर 51 फीसदी मतदान भाजपा के पक्ष में कराने में परिश्रम की पराकाष्ठा कर दे। भारतीय जनता पार्टी घोषणापत्र समिति की पहली बैठक संपन्न हो गई। समिति ने घोषणा पत्र बनाने के लिए सारे रोडमैप की तैयारी की है। जनआकांक्षाओं को एकत्रित करते हुए हर व्यक्ति को कैसे हम अपने साथ जोड़ें और उनके जो सुझाव हैं, लोग विकास के बारे में जो विचार करते हैं और प्रदेश के बारे में जो लोग सोचते हैं ऐसे सभी वर्गों को घोषणा-पत्र से जोड़ने का काम करने की दिशा में पार्टी ने काम करने का मन बना लिया है। समरसता यात्रा पूरे प्रदेश में जारी है। संत रविदास के संदेश और जीवन मूल्यों के प्रति समाज में जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रदेश के 5 स्थानों से निकाली जा रही समरसता यात्राएँ 12 अगस्त को सागर पहुँचेंगी जहाँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंदिर निर्माण का शिलान्यास करेंगे। यात्राओं ने आठवें दिन मंगलवार को सतना, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, शिवपुरी एवं उज्जैन जिले में सद्भावना का संदेश दिया। संत रविदास समरसता यात्राओं में प्रतिदिन जनसैलाब उमड़ रहा है। संत रविदास समरसता यात्रा रथ जहाँ-जहाँ से गुजर रहा है, वहाँ के लोगों से मंदिर निर्माण के लिये अपने क्षेत्र की मिट्टी और नदियों का जल एकत्र कर समरसता का संदेश दिया जा रहा है।

भाजपा के शीर्ष नेताओं के प्रवास जारी हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा 3 अगस्त को रीवा जिले के प्रवास पर रहेंगे।रीवा में रीवा-शहडोल की संभागीय बैठक लेंगे।सिरमौर विधानसभा में आयोजित विधानसभा सम्मेलन को संबोधित करेंगे। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय लगातार प्रवास पर हैं‌। विधानसभा सम्मेलन में संदेश दे रहे हैं कि भाजपा में कमल का फूल पार्टी का चेहरा होता है। यानि उन सब चेहरों को भूल जाओ जिनसे कोई तकलीफ हो। बस कमल का फूल याद रखो। केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर लगातार प्रवास कर कार्यकर्ताओं को शक्ति का अहसास करा रहे हैं कि भाजपा के कार्यकर्ता ही राष्ट्र को परम वैभव पर पहुंचाने का कार्य कर सकते हैं। यह भी संदेश दे रहे हैं कि भाजपा सरकारों ने विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी।

तो अमित शाह का अगला दौरा मध्यप्रदेश में जल्दी है। जुलाई के महीने में तीन दौरे हो चुके हैं। अगस्त का पहला दौरा जल्द है। संदेश यही है कि बड़े नेता एकजुट हैं और सरकार बनाने का काम भाजपा के देवदुर्लभ कार्यकर्ताओं के हाथ में ही है। प्रदेश भाजपा में यह शाही असर दिखने लगा है कि “आल इज वेल”…। मानसूनी बारिश के साथ जुलाई के महीने में शाही असर मध्यप्रदेश भाजपा सरकार और संगठन को फील गुड कराने में सफल रहा है। इससे अब बड़े नेता यह दावा करने लगे हैं कि कर्नाटक एपीसोड का दोहराव मध्यप्रदेश में नामुमकिन है और मोदी-शाह के नेतृत्व में कमल खिलना मुमकिन है…।