Kissa-A-IPS: पत्रकारिता के बाद IPS अधिकारी बनी लेडी सिंघम की प्रेम कहानी

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Kissa-A-IPS: पत्रकारिता के बाद IPS अधिकारी बनी लेडी सिंघम की प्रेम कहानी
Kissa-A-IPS: पत्रकारिता के बाद IPS अधिकारी बनी लेडी सिंघम की प्रेम कहानी

Kissa-A-IPS: पत्रकारिता के बाद IPS अधिकारी बनी लेडी सिंघम की प्रेम कहानी

यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सिलेक्ट होने वाले आईएएस और आईपीएस अफसरों को मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में लंबा प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां वे कई महीनों तक साथ रहते हैं। इसका नतीजा ये होता है कि मसूरी की प्राकृतिक खूबसूरती में भविष्य के ये अफसर प्रशिक्षण के दौरान अपना दिल खो देते हैं। कभी भावी कलेक्टरों का दिल खो जाता है, तो कभी भावी पुलिस अधीक्षकों का! इस बार ऐसी ही एक कहानी जो IPS प्रीति चंद्रा व विकास पाठक की है।

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प्रशिक्षण के दौरान ही राजस्थान की प्रीति चंद्रा और यूपी के विकास पाठक मसूरी में एक-दूसरे को दिल दे बैठे थे। शुरू में दोनों के बीच दोस्ती हुई। फिर आगे की ट्रेनिंग लेने के लिए दोनों हैदराबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (SVPNPA) पहुंच गए। वहां दोनों की मोहब्बत पूरी हुई। दोनों के परिवार भी मिले, बात पक्की हो गई और 2010 में दोनों में प्रेम विवाह कर लिया। अभी दोनों ही राजस्थान में DIG रैंक के पुलिस अधिकारी हैं।

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प्रीति अपने नाम में पिता के सुंडा सरनेम के बजाए अपने पिता रामचंद्र के नाम से चंद्रा सरनेम लगाती है। प्रीति के पिता रामचंद्र सुंडा पूर्व सैनिक हैं और मां शांति देवी हाउसवाइफ। भाई कमलेश चंद्रा मोटिवेशनल स्‍पीकर और बहन कीर्ति चंद्रा फैशन डिजाइनर। प्रीति चंद्रा सीकर जिले के गांव कुंदन में जाट परिवार से है। प्रीति का जन्म कुंदन गांव में 21 अगस्त 1979 को हुआ। प्रीति चंद्रा ने 12वीं तक की पढ़ाई सीकर के मारू स्कूल से की। उन्होंने एमए और एमफिल की डिग्री ली। फिर जयपुर के महारानी कॉलेज से एमए किया और जयपुर में रहकर पत्रकारिता की। लेकिन, उनके लक्ष्य बदले।

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IPS ऑफिसर बनने से पहले वे स्कूल में बच्चों को पढ़ाया करती थीं। इसके बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में हाथ आजमाया। हालांकि, वे कुछ बड़ा करना चाहती थीं। उनके अंदर आगे बढ़ने का जुनून था। मां के साथ परिवार ने भी उनका सपोर्ट किया। पत्रकार रहते हुए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करना शुरू की। दिन-रात कड़ी मेहनत रंग लाई और पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा क्लियर कर ली। इसके लिए उन्होंने सेल्फ पढ़ाई की। बिना किसी कोचिंग के प्रीति चंद्रा ने 2008 में 255वीं रैंक हासिल की। उन्हें होम कैडर राजस्थान मिला।

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लेडी सिंघम

उत्तर प्रदेश के बस्ती के रहने वाले विकास पाठक को ट्रेनिंग के बाद तमिलनाडु कैडर अलॉट हुआ था। मगर, प्रीति चंद्रा से शादी करने के लिए वे राजस्‍थान कैडर में आ गए। 26 जुलाई 1981 को जन्मे विकास पाठक ने एमबीबीएस किया है। विकास उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण परिवार से हैं। प्रीति चंद्रा व विकास पाठक की दो बेटी आरिका पाठक व ऋत्विक चौधरी हैं। इनकी दोनों बेटियां अलग-अलग सरनेम लगाती हैं। बेटी आरिका अपना सरनेम पाठक और छोटी ऋत्विक चौधरी लगाती हैं।

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Kissa-A-IPS: पत्रकारिता के बाद IPS अधिकारी बनी लेडी सिंघम की प्रेम कहानी

प्रीति चंद्रा को राजस्थान में लेडी सिंघम के रूप में जाना जाता है। प्रीति चंद्रा राजस्थान की एक दबंग और ईमानदार छवि की IPS अधिकारी के रूप में मशहूर हैं। अधिकारी बनने के बाद प्रीति चंद्रा की पहली पोस्टिंग राजस्थान के अलवर में एसएसपी पद पर हुई। फिर वे बूंदी और कोटा में एसपी के पद पर तैनात हुईं। वे जहां भी तैनात रही, अपराधी उनके खौफ से कांपते हैं। जब वे करौली की एसपी थी, तब वहां के कई डकैतों ने उनका दबंग रूप देखकर खुद ही सरेंडर कर दिया था। देह व्यापार में बच्चियों को धकेलने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करके भी प्रीति काफी सुर्ख़ियों में आई थीं। उन्होंने कई नाबालिग लड़कियों को इस नरक से बाहर निकाला। वे पिछड़े इलाकों में लोगों की समस्याओं को सुनती और उनका निवारण करने की पूरी कोशिश करती।

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प्रीति की कामयाबी में उनकी मां की बड़ी भूमिका रही। उनकी मां का मानना था कि जीवन में कुछ करना है, तो सपने भी बड़े देखने होंगे। वे यही शिक्षा अपने बच्चों को दिया करती थी। मां ने कभी कलम नहीं उठाई, स्कूल का चेहरा नहीं देखा। लेकिन, वे शिक्षा की अहमियत को बखूबी जानती थीं। प्रीति चंद्रा ने एक इंटरव्यू में बताया भी था कि आईपीएस अधिकारी बनने के पीछे उनकी मां का बहुत बड़ा हाथ रहा। उन्होंने हमेशा सपोर्ट किया। वे बताती हैं कि उनकी मां खुद पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन मां ने प्रीति चंद्रा और उनके भाई को पढ़ाया। प्रीति के मुताबिक जब वह कॉलेज में पढ़ाई करने गईं तो रिश्तेदारों ने शादी करने के लिए दबाव डाला, रिश्ते भिजवाए, लेकिन मां ने उनको मना कर दिया। हमेशा पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया और आज उनकी वजह से ही इस मुकाम पर पहुंची हूं।

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