National Handloom Day : मोदी सात अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस कार्यक्रम में होंगे शामिल
नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को यहां प्रगति मैदान के भारत मंडपम में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह में भाग लेंगे.इस साल नौवां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है।प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मोदी सात अगस्त को दोपहर 12 बजे दिल्ली में प्रगति मैदान के भारत मंडपम में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह में भाग लेंगे।
बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री हमेशा कारीगरों और शिल्पकारों को प्रोत्साहन और नीतिगत समर्थन देने के दृढ़ समर्थक रहे हैं, जो देश की कलात्मकता और शिल्प कौशल की समृद्ध परंपरा को जीवित रखे हुए हैं।
इस दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, सरकार ने सात अगस्त, 2015 से राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाना शुरू किया।हर साल 7 अगस्त के दिन राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day 2022) मनाया जाता है। इस दिन भारतीय लोकल हैंडलूम (Local Handloom) को प्रोत्साहित किया जाता है।
इंडियन ब्रांड्स और खादी (Khadi) को विश्वभर में पहुंचाने की पहल की जाती है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य आर्थिक रूप से हथकरघा उद्योग को मजबूत बनाना और इसे दुनिया में ब्रांड के तौर पर पेश करना है। हैंडलूम से बनी खादी की साड़ी, सूट, दुपट्टा या कुर्ता और शर्ट काफी कंफर्टेबल होता है और कई लोगों की आज भी पहली पसंद है. हथकरघा उद्योग हमारे आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे बहुत ही कम पूंजी और ऊर्जा की आवश्यकता होती है।थकरघा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लघु और मध्यम उद्योग को बढ़ावा देने का है। यह वस्त्र मंत्रालय के तहत आता है। बुनकर समुदाय को सम्मानित करने और भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में उनके योगदान को स्वीकार करने के लिए हथकरघा दिवस मनाया जाता है।
हथकरघा क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, और हमारे देश के ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण हिस्सों में आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह एक ऐसा क्षेत्र भी है जो सीधे तौर पर महिला सशक्तिकरण को संबोधित करता है, जिसमें सभी बुनकरों और संबद्ध श्रमिकों में से 70% से अधिक महिलाएं हैं। इसमें प्रकृति में निहित पूंजी और बिजली की न्यूनतम आवश्यकता के साथ पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन प्रक्रियाएं शामिल हैं, जो फैशन के रुझान और तेजी से बदलती ग्राहक प्राथमिकताओं में बदलाव को पूरा करने के लिए, उसमें नवाचार करने के लिए लचीलापन प्रदान करता है।
साल 1905 में लार्ड कर्ज़न ने बंगाल के विभाजन की घोषणा की थी। जिसके बाद इस दिन बंगाल के विभाजन के विरोध में भारतीयों द्वारा ब्रिटिश सरकार के विरोध में एक आंदोलन चलाया गया था जिसका नाम है स्वदेशी आन्दोलन। स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत 7 अगस्त 1905 को कोलकाता के टाउनहॉल में एक महा जनसभा से हुई थी। इस आन्दोलन में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने पर जोर दिया गया था अर्थात ऐसी सभी वस्तुएं जो पश्चिमी बाज़ार से भारतीय बाज़ार में विक्रय के लिए लाई गई है उन सभी वस्तुओं को बहिष्कृत करना था। दशी आंदोलन का लक्ष्य आयात पर निर्भरता कम करते हुए घरेलू उत्पादन बढ़ाना है। इस पहल के परिणामस्वरूप लगभग हर घर में खादी बनाना शुरू हो गया।