ऊर्जा देता है शहर का सृजनात्मक वातावरण
रतलाम : शहर का सृजनात्मक माहौल मन में एक ऐसी अलख जगाता हैं जो सदैव एक नई प्रेरणा देती है।ऐसी ही प्रेरणा की झलक सुनें सुनाएं के आयोजन में सामने आई, जब शहर से रचनात्मकता को साथ लेकर बाहर गए युवा स्वरों ने अपनी धरती पर आकर पुनः उसी सृजनात्मकता से जुड़ने का प्रयास किया। ‘सुनें सुनाएं’ का ग्यारहवां सोपान जी.डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल पर हुआ ज़हां फ्रैंकफर्ट जर्मनी से आए रचनाप्रेमी अभिषेक सहित दस रचनाप्रेमी अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं का पाठ किया।
प्रस्तुति ने किया प्रभावित
‘सुनें सुनाएं’ में रचना प्रेमी साथियों ने अपनी प्रस्तुति से प्रभावित किया। किसी साथी का विदेश से आकर रचना पाठ करने का यह पहला अवसर था। इससे रतलाम शहर की रचनाशील प्रवृत्ति उभर कर सामने आई। ग्यारहवें सोपान पर रूपेश राठौड़ द्वारा जगदीश सोलंकी की रचना ‘यूं तो साथ देने को हजारों हाथ और है’का पाठ, अनीस ख़ान द्वारा अज्ञात रचनाकार की रचना ‘क्या फ़र्क पड़ता है’ का पाठ, कैलाश वशिष्ठ द्वारा काका हाथरसी की रचना ‘मेरठ में देखा हमने धूम धूसर कव्वाल’ का पाठ, डॉ.दीप व्यास द्वारा गोपाल दास ‘नीरज’ की रचना’ अब तो मज़हब कोई ऐसा चलाया जाए’ का पाठ, नीता गुप्ता द्वारा निहाल सिंह की कविता-मित्रता का पाठ किया। फ्रैंकफर्ट जर्मनी से रतलाम आए अभिषेक व्यास द्वारा गोपालदास ‘नीरज’ की रचना’हर मौसम सुख का मौसम है’ का पाठ किया गया।
शिक्षाविद डॉ.नरेन्द्र कुमार गुप्ता द्वारा सोहनलाल द्विवेदी की रचना ‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ का पाठ, प्रख्यात चित्रकार सुश्री ऋतम उपाध्याय द्वारा श्री अरविन्द की कविता ‘इनविटेशन’ का दिनकरजी द्वारा किया गया अनुवाद ‘आमन्त्रण’ का पाठ, समाजसेवी सुभाष जैन द्वारा डॉ.एस.के.मिश्र की कविता ‘मित्रता’का पाठ एवं राजेश कुमार द्विवेदी द्वारा उदय प्रताप सिंह की कविता “फूल और कली” का पाठ किया गया।
यह रहे मौजूद
आयोजन को रचनात्मक उपस्थिति से डा. मुरलीधर चांदनीवाला, कैलाश व्यास, नरेंद्र सिंह डोडिया, अनीस मोहम्मद खान, कैलाश चंद्र वशिष्ठ, जुझार सिंह भाटी, राजेश कुमार द्विवेदी, नीता गुप्ता, राधेश्याम शर्मा, आई. एल.पुरोहित, दुष्यंत कुमार व्यास, ऋतम उपाध्याय, विभा राठौड़, रुपेश राठौड़, इंदु सिन्हा, लगन शर्मा, सुरेश बरमेचा, विनोद झालानी, संजय परसाई ‘सरल’, ललित चौरड़िया, प्रकाश हेमावत, श्रीमती आशा श्रीवास्तव, नरेंद्र सिंह पंवार, श्याम सुंदर भाटी, डॉ.दीप व्यास, सुभाष जैन, प्रकाश मिश्रा, अभिषेक व्यास, प्रकाश सेठिया, उस्मान गनी सरकेजा, सुरेश चौधरी, रीता दीक्षित, कविता व्यास, सुभाष यादव, डॉ. नरेंद्र कुमार गुप्ता, डॉ.गोविंद प्रसाद डबकरा, कीर्ति कुमार शर्मा, अभिसार हाड़ा, राकेश पोरवाल, कारूलाल जमड़ा, महावीर वर्मा, आशीष दशोत्तर एवं सुधिजनों ने सार्थक बनाया।