CM’s Crossed Linguistic Limit : शिवराज जी आप तो ऐसे न थे!

1580

CM’s Crossed Linguistic Limit : शिवराज जी आप तो ऐसे न थे!

Bhopal : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की गिनती एक शालीन और सुसंस्कृत राजनीतिज्ञ के रूप में होती आई है। उनसे प्रदेश की जनता हमेशा यही अपेक्षा करती है कि वह अपनी यही पहचान बनाए रखें, इसलिए जब वे शब्दों की मर्यादा लांघ देते हैं तो लोगों का आश्चर्य होता है।

मुख्यमंत्री ने कल मनासा में कमलनाथ को लेकर जिस तरह तू तूकारे की भाषा का उपयोग किया ,उसकी सियासी गलियारों में विपरीत प्रतिक्रिया सामने आ रही है।

वैसे चुनाव के आते ही नेता अपनी भाषाई मर्यादा छोड़कर सड़क छाप भाषा पर उतर आते हैं। राजनीति में भाषा के संस्कार कभी ये शिक्षा नहीं देते कि विपक्षी नेता पर टिप्पणी करते समय भाषा की सीमा लांघी जाए, पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सोमवार को फिर कमलनाथ के लिए वही किया। इससे पहले अप्रैल में भी शिवराज सिंह ने कमलनाथ के लिए ऐसी ही भाषा का प्रयोग किया था, जिसकी आलोचना हुई थी।

नीमच जिले के मनासा में बोलते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रदेश की बदहाल सड़कों को लेकर कांग्रेस पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि कमलनाथ मुझसे मेरे 18 साल का हिसाब मांगते हैं। ऐ कमलनाथ, जब तेरी सरकार थी तब सड़कों में गड्ढे थे या गड्ढों में सड़क थी या गड्मगड्डा था, यह सब जानते हैं। सड़कों का अता-पता नहीं था। मुझसे बात कर रहा है।’

 

शिवराज सिंह की इस भाषा का कमलनाथ ने भी जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट किया। ‘शिवराज जी आपने मेरे लिए कहा, ‘तेरी पार्टी की सरकार थी।’ और भी शब्द बोले जिनका लहजा बेहद अशोभनीय था। आप क्यों इस तरह बौखला रहे हैं? आपने कुछ दिन पहले मुझे गालियां भी दी थीं। गालियां देकर कोई जनता का दिल नहीं जीत सकता। माना कि आप हार रहे हैं और बुरी तरह हार रहे हैं। लेकिन, ओछी भाषा का इस्तेमाल करने से क्या हासिल होगा? हां, मैं आपको जरूर आश्वस्त करता हूं कि आपकी गालियों के बदले में मेरी ओर से आपको अपशब्द नहीं मिलेंगे। जनता हमारी न्यायाधीश है, वह खुद अच्छे और बुरे की परख कर लेगी और न्याय करेगी।’

प्रदेश की राजनीति में भाषा को लेकर नया विवाद शुरू हो गया। मुख्यमंत्री के एक भाषण के इस हिस्से लेकर कांग्रेस ने आपत्ति जताई। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के अलावा कांग्रेस के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने भी मुख्यमंत्री की भाषा की आलोचना की है।

चुनाव की उल्टी गिनती शुरू होते ही कांग्रेस और भाजपा पूरे जोश से जनता के सामने उतर आए हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेता दौरे करके मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश में हैं। यह पहला मौका नहीं है, जब नेताओं की भाषा का स्तर दोयम दर्जे का हुआ हो। अब लड़ाई अंतिम दौर में है इसलिए इस तरह की भाषा का प्रयोग देखने को मिल रहा है।

शिवराज सिंह पहले भी बोले
‘कमलनाथ कहते हैं कि इस साल दंगे भड़क रहे हैं प्रदेश में अरे कहां मध्यप्रदेश में दंगे भड़क रहे हैं। कहां मध्यप्रदेश में अशांति है। लेकिन, वोटों की भूख में आप इतने पागल हो गए कि आप मध्य प्रदेश को अशांति और वैमनस्य की खाई में जोड़ना चाहते हैं! क्या आप मन ही मन कामना करते हैं कि दंगे भड़क जाएं!’

इसके बाद पटना में आयोजित विपक्ष की बैठक के बाद तंज कसते हुए शिवराज सिंह ने विपक्षी नेताओं की तुलना बाढ़ के मेंढक, सांप और बंदर की थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि जब बाढ़ आती है, तो सारे मेंढक, सांप और बंदर अपनी जान बचाने के लिए एक ही पेड़ पर चढ़ जाते हैं। इसी तरह विपक्ष के लोग भी पीएम मोदी की बाढ़ से बचने के लिए इकट्ठे हुए हैं।