देश के इतिहास को जानने के लिए प्रधानमंत्री जी ने विभाजन विभिषिका दिवस मनाने का लिया निर्णय -विजयवर्गीय

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव ने नीमच जिले में आयोजित विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस कार्यक्रम को किया संबोधित

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देश के इतिहास को जानने के लिए प्रधानमंत्री जी ने विभाजन विभिषिका दिवस मनाने का लिया निर्णय -विजयवर्गीय

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी द्वारा विभिन्न जिलों में सोमवार को विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस के अवसर पर मौन जुलूस निकाला गया और कार्यक्रम आयोजित कर पूर्व सैनिक एवं उनके परिजनों का सम्मान किया गया।

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार को नीमच जिले में आयोजित विभाजन विभिषिका कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे इतिहास में अकबर को महान बताया गया लेकिन महाराणा प्रताप को नहीं। देश की आजादी में कई योद्धाओं व महापुरुषों का योगदान रहा है। देश के इतिहास को जानने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विभाजन विभीषिका दिवस मनाने का निर्णय लिया और पहल की। हमारे देश को 200 साल के संघर्ष के बाद आजादी मिल सकी। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 14 अगस्त मतलब आज के ही दिन हमारे देश ने विभाजन का दंश झेला। पूर्व में श्री विजयवर्गीय ने नीमच के जावद में कार्यकर्ता सम्मेलन को भी संबोधित किया।

श्री विजयवर्गीय ने कहा कि आजादी के लिए कई लोगों ने यातनाए सही है। उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ था। विभाजन के दौरान मारकाट मचाई गई। एक मां के मुंह से सुनी विभाजन की दास्तां सुनकर मैं सहम गया। ऐसी यातनाएं कई लोगों ने सही है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में गोपाल पाठक के नाम का जिक्र नहीं है जबकि उनका काफी अहम योगदान है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 14 अगस्त को हमारे देश ने विभाजन का दंश झेला। विभाजन के दौरान करीब डेढ़ करोड़ लोग विस्थापित हुए, लगभग 10 लाख लोग मारे गए। पंडित श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने पाकिस्तान से आने वाली ट्रेनों में लाशें देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई लेकिन उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया। इसी बात से व्यथित होकर पंडित मुखर्जी ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया था।

उन्होंने कहा कि इजराइल यहूदियों का एक छोटा देश है, जो 35 मुस्लिम देशों से घिरा हुआ है। एक ताकतवर देश कैसे मुस्लिम देशों की छाती पर बैठा है, इसका इतिहास बहुत ही रोचक है। विश्व के नक्शे पर 200 वर्षों तक वीर ताम का नाम नहीं था। वीरताम ने यहूदियों को खदेड दिया था। वहां के यहूदी दुनिया में शरणार्थियों की तरह जीते रहे। वहां के लोग रोज एक ही प्रार्थना करते थे कि अगली सुबह हमारी येरूशलम में हो। इस दर्द को उन्होंने लगातार अपनी पीढियों को बतायी। एक समय आया सभी यहूदी एकत्रित होकर इजराइल बनाया और आज ताकतवर देशों में एक है। भारतवासियों को भारत की आजादी में अपने प्राणों की आहूति देने वाले शहीदों को जानना जरूरी है। हमें भारत के इतिहास को सही ढंग से जाने इसलिए पार्टी ने देश भर में यह कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है।