Generic Drugs : IMA की मांग ‘जेनेरिक दवाएं लिखने वाले नियमों को फ़िलहाल टाला जाए!’

आखिर IMA क्यों चाहता है कि डॉक्टर्स को जेनेरिक दवाइयां लिखने के लिए बाध्य न करें!

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Generic Drugs : IMA की मांग ‘जेनेरिक दवाएं लिखने वाले नियमों को फ़िलहाल टाला जाए!’

New Delhi : सभी डॉक्टर्स के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने नए नियम जारी किए हैं। इसके तहत सभी डॉक्टर्स को अब जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए बाध्य होंगे। यदि ऐसा नहीं किया गया तो उनका प्रैक्टिस लाइसेंस एक अवधि के लिए सस्पेंड किया जा सकता है। सरकार का कहना है कि जेनेरिक दवाइयां ब्रांडेड की तुलना में 30% से 80% सस्ती होती हैं। इससे मरीजों का इलाज का बोझ कम होगा। लेकिन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने मरीजों को जेनेरिक दवाइयां लिखने वाले नियमों को टालने की मांग की है।

आईएमए ने भारत में निर्मित दवाइयों के मानक को लेकर चिंता जताई। क्योंकि, इनमें 0.10 प्रतशित से भी कम की गुणवत्ता जांच की जाती है। एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा कि यदि चिकित्सकों को मरीजों के लिए ‘ब्रांडेड’ दवाइयां लिखने की अनुमति नहीं दी जाएगी, तो आखिर इस तरह की औषधियों को लाइसेंस क्यों दिया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) ने अपने पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के पेशेवर आचरण से जुड़े नियमों में कहा है कि सभी चिकित्सक मरीजों को अवश्य ही जेनेरिक दवाइयां लिखें। ऐसा नहीं करने पर उन्हें (चिकित्सकों को) दंडित किया जाएगा और यहां तक कि ‘प्रैक्टिस’ करने संबंधी उनका लाइसेंस एक अवधि के लिए निलंबित कर दिया जाएगा। इसने चिकित्सकों से ‘ब्रांडेड’ जेनेरिक दवाइयां मरीजों को लिखने से बचने को भी कहा है।

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IMA ने कहा कि जेनेरिक दवाइयों के लिए सबसे बड़ी बाधा उनकी गुणवत्ता को लेकर अनिश्चितता है। देश में गुणवत्ता नियंत्रण बहुत कमजोर है। दवाइयों की गुणवत्ता की व्यावहारिक रूप से कोई गारंटी नहीं है और गुणवत्ता के बारे में आश्वस्त हुए बगैर दवाइयां लिखना मरीज के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होगा। कहा गया कि भारत में निर्मित दवाइयों में 0.1 प्रतिशत से भी कम की गुणवत्ता जांच होती है। जब तक सरकार बाजार में जारी सभी दवाइयों की गुणवत्ता का भरोसा नहीं दिला देती, तब तक इस फैसले को आगे बढ़ाया जाए।

आईएमए ने कहा कि एनएमसी के जरिये आगे बढ़ने के बजाय सरकार को फार्मा (दवा कंपनियों का) मार्ग अपनाना चाहिए और सभी ‘ब्रांडेड’ दवाइयों को प्रतिबंधित कर देना चाहिए। इसने कहा कि सरकार ‘ब्रांडेड’ और ‘ब्रांडेड जेनेरिक’ जैसी कई श्रेणियों की अनुमति देती है तथा फार्मास्यूटिकल्स कंपनियों को विभिन्न मूल्यों पर एक ही उत्पाद को बेचने की अनुमति देती है। चिकित्सकों के एसोसिएशन ने कहा कि कानून में मौजूद इस तरह की खामियों को दूर किया जाना चाहिए। एसोसिएशन के एक बयान में कहा गया है, ‘जेनेरिक को बढ़ावा देने को वास्तविक किये जाने की जरूरत है।

कहा गया कि यदि सरकार जेनेरिक दवाइयां लागू करने के बारे में गंभीर है तो जेनेरिक दवाइयों की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए केवल जेनेरिक को ही लाइसेंस देना चाहिए और किसी ब्रांडेड दवा को नहीं। बाजार में गुणवत्ता वाली दवाइयां उपलब्ध करानी चाहिए। आईएमए ने सरकार से ‘एक दवा, एक गुणवत्ता, एक मूल्य’ प्रणाली अपनाने की अपील की, जिसमें सभी ब्रांड एक ही मूल्य पर बेची जाए और इन दवाइयों की उच्चतम गुणवतता सुनिश्चित करने के दौरान केवल जेनेरिक दवा की अनुमति हो।