क्या वसुन्धरा राजे को किनारे कर PM मोदी के नेतृत्व में ही राजस्थान विधान सभा का चुनाव लड़ा जायेगा?

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क्या वसुन्धरा राजे को किनारे कर PM मोदी के नेतृत्व में ही राजस्थान विधान सभा का चुनाव लड़ा जायेगा?

गोपेंद्र नाथ भट्ट की खास रिपोर्ट

नई दिल्ली।भारतीय जनता पार्टी द्वारा राजस्थान के लिए गुरुवार को घोषित चुनाव प्रबंधन समिति और चुनाव घोषणा (मेनिफेस्टो) कमेटी में प्रदेश की क़द्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल नहीं किया जाना जयपुर से दिल्ली तक ज़बर्दस्त चर्चा और बहस के विषय बने रहें । साथ ही यह कयास लगने भी शुरु हो गए कि क्या प्रदेश की भावी चुनाव प्रचार समिति में भी वसुन्धरा राजे को किनारे रखा जायेगा। हालाँकि राजस्थान के लिए बीजेपी द्वारा नियुक्त चुनाव प्रभारी और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि वसुंधरा राजे हमारी वरिष्ठ नेता हैं।हम हमेशा से उन्हें कई कार्यक्रमों में शामिल करते रहे हैं और आगे भी करेंगे।दूसरी ओर राजे की भावी भूमिका के बारे में पूछे गए एक सवाल पर प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह ने कहा कि बाकी सभी वरिष्ठ नेता चुनाव प्रचार करेंगे।साथ ही दोनों नेताओं ने यह भी संकेत दिए कि वसुन्धरा राजे और इन समितियों में शामिल नही हुए पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को चुनाव प्रचार समिति में शामिल किया जा सकता है लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि इस समिति का संयोजक कौन होगा क्योंकि इस कमेटी का संयोजक ही राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री और प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री होता है।

वैसे वसुन्धरा राजे अकेली नही है जिन्हें गुरुवार को घोषित कमेटियों में शामिल नही किया गया है। प्रतिपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत आदि कई अन्य नेता भी इन समितियों में शामिल नही है लेकिन वसुन्धरा राजे को शामिल नही किया जाना विशेष चर्चा का विषय हो गया है।राजनीतिक पण्डितों का कहना है कि यह बात राजे को प्रदेश की राजनीति से साइडलाइन किए जाने की ओर संकेत करती है। प्रदेश के सियासी हलकों में इस बात की चर्चा खूब हो रही है कि भाजपा इस बार वसुंधरा राजे को साइड लाइन कर रही है और दोनों घोषित समितियों में वसुन्धरा के घोर विरोधियों को शामिल किया गया है हालाँकि आधिकारिक तौर पर यह बात किसी ने नहीं कही है। राजस्थान की राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस बार भाजपा में भी कई खेमें सक्रिय है।विशेष कर आरएसएस से जुड़े कई प्रादेशिक नेता वसुन्धरा राजे के खिलाफ़ लामबंध हो गए है और केन्द्रीय नेतृत्व भी उनकी राय को ही तव्वज्जों दे रहा है।

तीन महीने दूर चुनाव की वजह से राजस्थान चुनावी मोड में आ चुका है।प्रदेश में इसी साल के अंत में विधान सभा का चुनाव होना है। वैसे अभी ओपचारिक रूप से चुनावी रणभेरी भले ही नहीं बजी हो,लेकिन राजनीतिक दलों की तैयारियाँ तेज हो गई है। इसी कड़ी में गुरुवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत नारायण नड्डा के निर्देशानुसार प्रदेश के लिए दो महत्वपूर्ण समितियों प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति और प्रदेश संकल्प पत्र समिति की घोषणा की हैं, लेकिन इन दोनों समितियों में राजस्थान की कद्दावर भाजपा नेता वसुंधरा राजे का शामिल नहीं होना आश्चर्य का विषय बताया जा रहा है।

उल्लेखनीय है वसुंधरा राजे दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रही है और उन्होंने दस साल तक राजस्थान में राज किया है।वे प्रदेश में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा रही हैं,लेकिन चुनाव की दोनों समितियों में राजे का शामिल नहीं होना उनके लिए एक बड़ा झटका बताया जा रहा है और राजनीतिक जानकारों के अनुसार इसका असर विधानसभा चुनाव में पड़ सकता है।

गुरुवार को घोषित ‘प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति’ में 21 तो “प्रदेश संकल्प पत्र समिति” में 25 नेता शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को संकल्प पत्र समिति तो पूर्व सांसद नारायण पंचारिया को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया गया है। प्रदेश की राजनीति में अर्जुन राम मेघवाल को लगातार महत्व देना भी एक नया सन्देश माना जा रहा है।

इन समितियों में वसुंधरा राजे के खेमे के नेताओं की भी अनदेखी की गई है। इस बारे में पूछे जाने पर राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि वसुंधरा राजे चुनावी कैंपेन का अहम हिस्सा रहेंगी। वो हमारी वरिष्ठ नेता हैं। प्रदेश प्रभारी भले ही राजे को चुनावी कैंपेन में शामिल किए जाने की बात कर रहे हो लेकिन चुनाव से जुड़ी दो अहम समितियों में राजे को शामिल नहीं करना कई सियासी सवालों को जन्म दे रहा है!

बीते दिनों 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नई टीम बनाई थी।इस टीम में वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। उस समय से ही राजे को राज्य से बाहर केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने के समय से ही यह चर्चा हो रही थी कि उन्हें राजस्थान से दूर रखने की कोशिश की जा रही है।उन्हें झारखण्ड भी भेजा गया था।हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन सियासी जानकारों की अटकलें ऐसी ही हैं।

केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को प्रदेश संकल्प पत्र समिति का संयोजक बनाया गया है। इसका मतलब यह है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के घोषणा पत्र की जिम्मेवारी मेघवाल संभालेंगे।इस काम में सह-संयोजक की भूमिका में राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी, किरोड़ीलाल मीणा, राष्ट्रीय मंत्री व पूर्व विधायक अल्का सिंह गुर्जर, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष मेहरिया, प्रभुलाल सैनी और राखी राठौड़  शामिल है. इसके अलावा सदस्य के रूप में भी कई भाजपा नेताओं का नाम शामिल है।

इसी तरह प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद नारायण पंचारिया चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक बनाए गए हैं।पूर्व प्रदेश महामंत्री ओकार सिंह लखावत, राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा, दामोदर अग्रवाल, सी.एम.मीणा, कन्हैयालाल बैरवाल को सह-संयोजक की जिम्मेदारी दी गई है।

पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के अलावा प्रदेश के कई और बड़े नेताओं का नाम इन दोनों समितियों में शामिल नहीं है। जिसमें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पार्टी इन चार्ज अरुण सिंह, गजेंद्र शेखावत, सतीश पुनिया और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड आदि शामिल नहीं है। अब राज्य के चुनाव तक यह देखना दिलचस्प होगा कि वसुंधरा राजे का इस्तेमाल पार्टी कैसे करती है और यदि उन्हें साइटलाइन किया जाता है तो उनकी जगह कौन लेगा? अथवा राजे को किनारे रख कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ही राजस्थान विधान सभा का चुनाव लड़ा जायेगा?