Kissa-A-IAS :IPS-IRS दंपति का बेटा IAS
यदि आपके घर में पहले से सफल लोग होंगे, तो आपको उनसे प्रेरणा मिलेगी। साथ ही एक मानसिक दबाव भी बनता है कि हमें भी उस लेबल तक पहुंचना है। आपके ऊपर अच्छा नहीं, बल्कि श्रेष्ठ करने का दबाव पड़ता है। आपके आसपास यदि सफल और अच्छे पदों पर आसीन लोग होते हैं, तो नेचुरली बचपन से ही आपके घरवालों से लेकर बाहर वाले तक यह मानने लगते हैं कि आपका अच्छा करना तो स्वाभाविक है।
एक IPS ऑफिसर पिता डीसी जैन और IRS ऑफिसर मां सिम्मी जैन के बड़े बेटे अक्षत जैन की जिंदगी का कुछ ऐसे ही हालात बने।
इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि यदि सपने हमने देखे हैं तो उन्हें पूरा करने का फर्ज भी हमारा है। मेहनत और सही सूझ-बूझ से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। पहले प्रयास में केवल 2 नंबर से चूके, लेकिन जब दूसरी बार एग्जाम में बैठे तो उनकी कामयाबी ने सबको हैरत में डाल दिया। इस शख्स ने देशभर में सेकंड रैंक हासिल की। महज 23 साल की उम्र में UPSC की परीक्षा क्रैक करने वाले इस अफसर का नाम है अक्षत जैन।
राजस्थान के जयपुर के रहने वाले अक्षत अच्छे पढ़े-लिखे परिवार से आते हैं। इनके पिता धर्मचंद जैन भारतीय पुलिस सेवा और मां सिम्मी जैन भारतीय राजस्व सेवा में कार्यरत हैं। दोनों ही 1991 बैच के अधिकारी हैं। अक्षत का परिवार मूल रूप से टोंक का रहने वाला है। अक्षत के पिता अभी तक राजस्थान में एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस के पद पर कार्यरत थे। अब सीबीआई में 2023 तक जॉइंट डायरेक्टर के पद पर ऑन डेपुटेशन पर रहेंगे।
अक्षत को बचपन से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पसंद थी। इसीलिए जेईई एडवांस की कठिन परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने आईआईटी गुवाहाटी में बीटेक में दाखिला लिया था। वहीं आईआईटी गुवाहाटी से डिजाइनिंग में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। अक्षत यूं तो इंजीनियरिंग करके खुश थे। लेकिन, माता-पिता को देश सेवा से जुड़ा देखकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का फैसला लिया। इसीलिए साल 2017 में बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू की।
2017 में उन्होंने पहली बार UPSC की परीक्षा दी थी। महज 3 महीने की तैयारी करके अक्षत ने ये एग्जाम दिया था, लेकिन केवल 2 नंबर से वे चूक गए। इसके बावजूद हार नहीं मानी। सफलता हासिल करने की जिद के साथ अक्षत प्रयास करते रहे। एक वक्त ऐसा आया कि उन्होंने एक साल बाद 2018 में UPSC की परीक्षा में सफलता हासिल की। अक्षत ने सेकंड रैंक हासिल की। अक्षत ने तैयारी के लिए एक स्ट्रेटजी बनाई, जिसके तहत वो शॉर्ट नोट्स बनाते थे। इससे उन्हें रिवाइज करने काफी आसानी होती थी। अक्षत जैन का मानना है कि सिलेबस के अनुसार अगर आप शॉर्ट नोट्स तैयार कर लेते हैं तो चीजों को समझने और याद करने में आसानी होती है।
शुरू में पढ़ाई में कमजोर रहे
बचपन में वे पढ़ाई में एवरेज स्टूडेंट थे। लेकिन, छोटी सी उम्र से ही सफल न हो पाएं तो क्या होगा, जैसे विचारों का दबाव वे फील करने लगे थे। स्कूल लाइफ लगभग ऐसी ही कटी। जब पहली बार अक्षत के हाईस्कूल में काफी अच्छे अंक आए तो उनका खोया कांफिडेंस कुछ हद तक वापस मिला। उन्हें लगा कि वे भी कुछ बड़ा हासिल करने का माद्दा रखते हैं। इसके बाद अक्षत की जिंदगी के दो सालों को वे अपनी जिंदगी का सबसे खराब टाइम मानते हैं। वे हमेशा इंजीनियर बनने का सोचा था, इसलिए 11वीं में जेईई के लिए कोचिंग ज्वाइन कर ली। इन दो सालों में अक्षत ने खूब मेहनत की, पर कभी उनका परफॉर्मेंस नहीं सुधरा। वे खुद नहीं समझ पा रहे थे, कि कहां गलती हो रही है। वे बार-बार असफल हो रहे थे। ये वो समय था, जब वे पूरी तरह टूट चुके थे। उनके आसपास वालों को भी लगने लगा था कि अक्षत जेईई क्रैक नहीं कर सकते!
टीचर्स को भी उन पर भरोसा नहीं था
अक्षत सफलता को तरस रहे थे, इधर उनके मां-बाप का हौसला भी खो रहा था। वे भी निराश रहने लगे थे। उसी समय एक दिन आया, जब अक्षत का प्रदर्शन देखकर उनके एक टीचर ने उनके पापा के सामने कहा कि जैसे तुम पढ़ रहे हो, जेईई में तुम्हारी रैंक 20 हजार भी आ जाए तो बड़ी बात। अक्षत के पिताजी और अक्षत खुद यह बात सुनकर बहुत दुखी हुए। यही वो दौर था जब अक्षत के पापा कोचिंग के टीचर्स से मिलकर रिक्वेस्ट कर रहे थे कि उनके बच्चे को देख लें, वह कोप-अप नहीं कर पा रहा है।
अक्षत इन बातों से खासकर माता-पिता को परेशान देखकर बहुत परेशान थे। तभी अचानक उन्होंने एक दिन खुद को इस मेंटल प्रेशर से निकाल फेंका और खुद से प्रॉमिस किया कि भविष्य में जो होगा देखा जाएगा। फिलहाल मुझे आने वाली परीक्षा पर फोकस करना है। रिजल्ट का डर मन से मिटाकर अक्षत ने एक नई शुरुआत की और उसका परिणाम भी सामने आने लगा। अक्षत ने 94% मार्क्स के साथ जयपुर के इंडिया इंटरनेशनल स्कूल से 12वीं पास की। इसके बाद अक्षत ने अपनी असफलताओं पर फोकस न करके जेईई भी दिया। अपनी उम्मीद से कुछ कम, लेकिन अक्षत ने 4 हजार के करीब रैंक के साथ जेईई निकाल लिया। अक्षत को आईआईटी गुवाहाटी मिला।
जीवन के प्रति अपना नजरिया बदला
आईआईटी में सिलेक्ट होने के बाद अक्षत ने जीवन के प्रति अपना नजरिया काफी हद तक बदल लिया। नए अक्षत ने पूरे जोश के साथ ग्रेजुएशन के चौथे साल से सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी। अक्षत बचपन से अपने माता-पिता से प्रभावित थे और एक मैच्योरिटी लेवल आने पर उन्होंने तय किया कि वे भी इसी क्षेत्र में जाएंगे। अक्षत ने साल 2017 में अपना पहला अटेम्ट दिया, जोकि एक औपचारिकता मात्र थी क्योंकि अक्षत ने केवल तीन महीने ही तैयारी की थी। इसमें वे दो अंक से रह गए। पर, इसे वे एक अच्छा लर्निंग एक्सपीरियंस मानते हैं। इसके बाद अक्षत ने जान लगा दी और साल 2018 में न केवल यूपीएससी परीक्षा पास की, बल्कि ऑल इंडिया रैंक 2 भी पाई। आखिरकार अक्षत को उनकी सालों की मेहनत का फल मिल गया। उन्हें मध्य प्रदेश कैडर मिला है। वे छतरपुर और महू में एसडीओ रहे और फ़िलहाल सिवनी में एडिशनल कलेक्टर हैं।