Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : तीन IAS अधिकारियों पर कोर्ट ने आंखें तिरछी की!
मध्य प्रदेश के प्रशासनिक हलकों के लिए बीता सप्ताह अच्छा नहीं कहा जा सकता। इस सप्ताह कुछ ऐसे मामले सामने आए, जिनमें तीन IAS अधिकारियों को अदालत ने कटघरे में खड़ा किया। इसमें सबसे चर्चित मामला चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैंस से जुड़ा था। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भोपाल के एक मामले में उनकी अनदेखी व लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई। इस मामले में कांग्रेस अब चुनावी मौसम में इकबाल के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठा सकती है।
दूसरा मामला IAS शीलेंद्र सिंह से जुड़ा है, जब वे छतरपुर कलेक्टर थे। इसमें तत्कालीन पंचायत सीईओ IAS अधिकारी अमर बहादुर सिंह भी शामिल है। प्रदेश के प्रशासनिक इतिहास में पहली बार दो IAS अधिकारियों को जेल की सजा सुनाई। वह तो भला हो डबल बेंच का कि इसे स्टे कर दिया, वरना प्रदेश के प्रशासनिक इतिहास में नई घटना दर्ज हो जाती।
शीलेंद्र सिंह पहली बार कटघरे में नहीं आए। वे पहले भी कई बार अदालत से लगाकर कई मामलों में चर्चा में रहे हैं।बताया गया कि जब वे छिंदवाड़ा में एसडीओ थे, तब भी अदालत के एक मामले में फंस गए थे। बताया गया है कि एक मामले में हाईकोर्ट ने कोई आदेश दिया, जिस पर शीलेंद्र सिंह ने अपने रीडर को टिप लिखकर दी कि
‘परीक्षण कर प्रस्तुत करें।’ उनकी इस टीप पर वकील ने उसकी फोटो कॉपी करवाकर हाईकोर्ट में प्रस्तुत कर दी। इससे मामला बिगड़ गया। क्योंकि, जब हाईकोर्ट ने किसी मामले में निर्णय दे दिया, तो उस पर परीक्षण की क्या जरूरत पड़ गई?
हाईकोर्ट ने शीलेंद्र सिंह की पेशी कर दी। ऐसा बताया जाता है कि उस समय उनके जबलपुर के एक अधिकारी ने सलाह पर यह कहना पड़ा था कि उन्हें इंग्लिश का प्रॉपर ज्ञान नहीं होने से वे आदेश को समझ नहीं पाए थे, इसलिए गलती से वह टिप लिख दी थी। इससे वे कोर्ट से बच गए थे। इसके अलावा जब वे छतरपुर में कलेक्टर थे, तब सत्तारूढ़ पार्टी के एमएलए उनके खिलाफ उनके बंगले के बाहर धरने पर बैठ गए थे। तब प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने बीच में पड़कर मामले को सुलझाया था।
कमलेश्वर पटेल ‘CWC’ में किस रास्ते से आए!
एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी का ऐलान किया। इसमें एमपी को लेकर सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि 39 सदस्यों की इस कमेटी में मध्य प्रदेश से दिग्विजय सिंह के अलावा जिस एक नेता को शामिल किया गया, वे हैं कमलेश्वर पटेल। दिग्विजय सिंह को तो इस कमेटी में शामिल किया जाना लाजमी लगता है। लेकिन, सीधी जिले की सिहावल सीट से विधायक कमलेश्वर पटेल को पार्टी की इस सबसे ज्यादा ताकतवर कमेटी में क्यों लिया गया, ये सोचा जा रहा है।
सिहावल सीट से दूसरी बार विधायक चुने गए कमलेश्वर पटेल कांग्रेस के पुराने नेता इन्द्रजीत पटेल के बेटे हैं, जो अर्जुन सिंह के विश्वस्त साथियों में रहे हैं। कमलेश्वर के बारे में बताया गया है कि वे राहुल गांधी के शुरुआती दौर की टीम के सदस्य रहे हैं। वे तब से राहुल के साथ हैं, जब वे राजनीति में भी नहीं थे। अभी कमलेश्वर को CWC में लिए जाने की वजह विंध्य के पिछड़ा वर्ग को साधना भी है।इसे कांग्रेस का बड़ा दांव माना जा रहा है। वैसे तो अजय सिंह राहुल भी विंध्य के ताकतवर नेता हैं, पर वे लगातार तीन चुनाव (दो लोकसभा, एक विधानसभा) हार चुके हैं। माना जा सकता है कि इसलिए पार्टी ने उन पर विचार नहीं किया।
एक और IAS अधिकारी हाई कोर्ट में तलब!
प्रदेश की एक और आईएएस अधिकारी को भी अवमानना के मामले में हाईकोर्ट ने तलब किया है। बताया गया कि जबलपुर हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बेंच ने रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल को 22 अगस्त को कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए। मामला रीवा के बसामन मामा मंदिर के आसपास की जमीन से जुड़ा है। कोर्ट ने इस जमीन पर किसी भी निर्माण या जीर्णोद्धार पर प्रतिबंध लगाया था।
रीवा के जिला न्यायाधीश अरुण कुमार सिंह ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना करते हुए निर्माण का काम जारी है। इस आधार पर हाईकोर्ट ने रीवा कलेक्टर और एसडीएम भारती मेरावी को व्यक्तिगत हाजिरी के लिए तलब कर लिया। नोटिस में हाईकोर्ट ने पूछा है कि व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर न्यायालय को बताएं कि अवमानना के कृत्य पर उन्हें दंडित क्यों नहीं किया जाए। अब देखना है कि उन्हें भी सजा मिलेगी या माफी!
विधानसभा चुनाव में बड़े फेरबदल!
इस बार विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में कांग्रेस और भाजपा दोनों कई बड़े फेरबदल होने की चर्चा है। सबसे ज्यादा चर्चा भोपाल और इंदौर की सीटों को लेकर है। जानकारी मिली कि आरिफ अकील के विधानसभा क्षेत्र से अब आरिफ मसूद को लड़ाया जा सकता है। आरिफ मसूद की सीट से पीसी शर्मा को लड़ाए जाने की संभावना है।
इंदौर में भी काफी उलटफेर की खबर है। उषा ठाकुर को महू के बजाए इंदौर-3 से चुनाव के मैदान में उतारा जा सकता है। आकाश विजयवर्गीय को लेकर दो तरह की चर्चा है। उन्हें या तो क्षेत्र क्रमांक-दो से लड़ाया जा सकता है या उनके पिता कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव लड़ाने की ख़बरे हैं। ऐसी स्थिति में रमेश मेंदोला को क्षेत्र-1 से भाजपा मैदान में उतार सकती है। रमेश मेंदोला को संजय शुक्ला के सामने लड़ाने की तैयारी है।
कौन-कौन पूर्व IAS है चुनावी दौड़ में!
तीन रिटायर्ड IAS अधिकारियों को भाजपा ने पार्टी में शामिल कर लिया। वेद प्रकाश भाजपा के टिकट पर जबलपुर की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। वेद प्रकाश ‘लक्ष्य भेदी फाउंडेशन’ संगठन से पिछले एक साल से जुड़कर लोगों के संपर्क में है। डीएस राय कांग्रेस के टिकट पर रायसेन या बैतूल से मैदान में उतारे जा सकते हैं। शिवनारायण सिंह चौहान राजगढ़ से भाजपा का टिकट पाने में सफल हो सकते है। भागीरथ प्रसाद इन दिनों भिंड में काफी सक्रिय हो गए है। माना जा रहा है कि वे भी भिंड जिले की किसी आरक्षित सीट से दावेदारी कर सकते हैं। कांग्रेस से बाथम और बीजेपी से कवीन्द्र कियावत के नाम भी चर्चा में हैं।
महापौर के पत्र से पुलिस की नींद खुली
इंदौर में कुछ महीनों से अपराध जिस तेजी से बढे वो निश्चित रूप से चिंता की बात है। ऐसे माहौल में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कलेक्टर और पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर मामले की गंभीरता को सामने ला दिया। उसी का नतीजा था कि शनिवार रात को एक हजार पुलिस वाले सड़क पर उतर आए और नामजद बदमाशों की धरपकड़ की। शहर की बड़ी आपराधिक घटनाओं के लिए महापौर ने नाइट कल्चर को जिम्मेदार बताया।
महापौर ने पत्र में नाइट कल्चर को बंद करने पर विचार करने के लिए कहा है। उनका ये नजरिया सही है, कि नाइट कल्चर के नाम पर शहर में रातभर खुले रहने वाले बाजारों ने समृद्ध सांस्कृतिक शहर की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का काम किया है। रात के बाजार के कारण रोज नए अपराध हो रहे हैं। महिलाओं के साथ भी आपराधिक घटनाओं की जानकारी संज्ञान में आ रही है। महापौर का ये कदम तारीफ के काबिल कहा जाएगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चाओं पर विराम!
दिल्ली के सत्ता के गलियारों में मे चल रही चर्चा पर अगर विश्वास किया जाय तो केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होना मुश्किल है। इस वर्ष के अंत में तीन राज्यों – मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं और सभी प्रमुख राजनीतिक दल तैयारियों मे लग गये हैं।
भाजपा ने तो दो राज्यों के लिए पहली सूची भी जारी कर दी है। बहरहाल, मंत्रिमंडल विस्तार टलने की खबर से उन संभावितों को झटका लगा है जो शामिल होने की आशा में थे।
दिल्ली के अधिकारियों ने ली राहत की सांस
दिल्ली सेवा अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने बडी राहत की सांस ली है। प्रशासन भी काफी हद तक पटरी पर आ गया है। आप सरकार के मंत्रियों की मनमानी और बिना वजह की बयानबाजी पर अंकुश भी लगा है।
हालांकि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने स्वतंत्रता दिवस समारोह में राजनीतिक बयान दिया और कहा कि वे इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। इस बीच दिल्ली प्रशासन मे अब बडे पैमाने पर फेरबदल की संभावना बढ़ गई है।
रेलवे बोर्ड के मुखिया को मिल सकता है सेवा विस्तार
रेलवे बोर्ड मे भी इसी महीने नये मुखिया को लेकर फैसला होना है। चेयरमैन अनिल कुमार लाहौटी ३१ अगस्त को रिटायर होने वाले हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि उन्हें छह महीने का सेवा विस्तार मिल सकता है। हालांकि इस पद को पाने के लिए एक जोनल रेल्वे के महाप्रबंधक भी जोर लगा रहे हैं।