Rajasthan Assembly Elections: इस बार भी विधान सभा चुनावों में ERCP बड़ा मुद्दा बनेगी?

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Rajasthan Assembly Elections: इस बार भी विधान सभा चुनावों में ERCP बड़ा मुद्दा बनेगी?

गोपेंद्र नाथ भट्ट की खास रिपोर्ट

 

राजस्थान विधान सभा चुनाव के नज़दीक आते ही पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) को लेकर प्रदेश में लगातार राजनीति बढ़ती ही जा रही है।एक ओर केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत इन दिनों रोज गहलोत सरकार पर हमला बोल रहें हैं वही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित कराने के लिए केन्द्र पर लगातार दबाव बना रहें है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी कई बार 40 हजार करोड़ कीERCP को लेकर उनके द्वारा दिए गए आश्वासनों की याद दिलवातें है। साथ ही कहते है कि पूर्वी राजस्थान के तेरह जिलों में पेयजल और सिंचाई के अति महत्वपूर्ण इस योजना को हर हालात में केन्द्रीय स्वीकृति मिलनी चाहिए । विशेष कर वे कहते है कि पानी की कमी वाले राजस्थान के लिए इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना के बाद इस सबसे बड़ी परियोजना पूर्वी राजस्थान के लोगों के लिए जीवन रेखा साबित होंगी तथा उत्तरी पश्चिमी राजस्थान की तरह इस इलाके के दिन भी फिरेंगे और इसका कायाकल्प होंगा। गहलोत ने भाजपानीत केन्द्र सरकार को यहाँ तक कहा कि भाजपा की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के कार्यकाल में बनी ERCP परियोजना को उनकी सरकार ने बंद नही किया वरन उसे आगे बढ़ा रहीं है।इतना ही नहीं केन्द्र सरकार से हताश होकर उनकी सरकार ने राज्य के बजट से इसे शुरू कराने के लिए बड़ा बजट प्रावधान तक कर दिया है तथा इसका प्रारम्भिक कार्य भी शुरू कराने जा रहें है।लेकिन गहलोत सरकार का कहना है कि केन्द्र सरकार की आर्थिक मदद के बिना पूरी योजना को अमल में लाना संभव नही है और यह मदद मिल सकती है क्योंकि केन्द्र में जल शक्ति मन्त्री स्वयं राजस्थान के है।

 

इधर गंगापुर के निर्दलीय विधायक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार रामकेश मीणा के नेतृत्व में गुरुवार को गंगापुर सिटी में ERCP को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को काले झंडे दिखाए।अचानक हुए इस प्रदर्शन को लेकर सुरक्षाकर्मी हक्के बक्के रह गए ।उन्होंने तत्काल विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। इसके बाद केन्द्रीय मंत्री शेखावत को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच वहां से निकाला गया।

 

उधर केंद्रीय मंत्री शेखावत ने सीएम गहलोत को ERCP पर खुली बहस की चुनौती दी है और कहा कि, “जयपुर में सचिवालय, विधानसभा या अल्बर्ट हॉल के सामने खुला मंच लगा लें, वे सिद्ध करेंगे कि राजस्थान सरकार ERCP योजना को लेकर राजनीतिक पाप कर रही।  उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परियोजना के नाम पर गहलोत की सरकार 10 जिलों के प्यासे कंठों पर राजनीति  कर रही  है । देश भर में कांग्रेस की अधूरी सिंचाई परियोजनाएं भी मोदी सरकार पूरा कर रही है।उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा पर सवाल उठाए और कहा कि उन्होंने इसे राजनीति की फुटबॉल बनाकर रख दिया है। यदि वे वास्तव में इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाना चाहते थे तो इसे लेकर राज्य सरकार की ओर से छोड़ी गई कमियों को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार ने दस बार बैठकें आयोजित कीं, एक बैठक तो जयपुर में ही बुलाई गई, लेकिन एक भी बैठक में न मुख्यमंत्री आए और न ही इनका कोई मंत्री आया। इससे साबित होता है कि ये ERCP पर काम नहीं करना चाहते, बल्कि केवल राजनीतिक रंग देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने के लिए दोनों राज्यों राजस्थान और मध्यप्रदेश की सहमति जरूरी थी। इस मामले में मध्यप्रदेश में कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ तक ने भी अपनी सहमति नहीं दी थी। ईआरसीपी की पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए शेखावत ने कहा कि वर्ष 2004 से पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने नदियों को जोडऩे की परियोजना बनाई थी। देश के 31 लिंक्स में से एक पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच चिह्नित हुआ था, लेकिन राजस्थान की असहमति के कारण से उस लिंक को उसी समय स्थगित कर दिया गया था। वर्ष 2016 में वसुंधरा जी की सरकार ने ईआरसीपी की परिकल्पना की और वर्ष 2017 में वाप्कोस को डिजाइन बनाने के लिए दिया। हालांकि, देश के तय मानक 75 प्रतिशत के बजाय इसे 50 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी पर बनाया, जिसे स्वीकृति नहीं मिली। सीडब्ल्यूसी ने इसे सही करके बनाने के लिए कहा, लेकिन दुर्भाग्य से वसुंधरा जी की सरकार बदल गई।

शेखावत ने कहा कि अब प्रधानमंत्री मोदी जी के मार्गदर्शन में ईआरसीपी परियोजना को पुरानी पीकेसी के साथ जोडकऱ एक नई परियोजना बनाई है। इससे राजस्थान को 2500 एमसीएम पानी मिलेगा। 40 हजार करोड़ की इस परियोजना में 36 हजार करोड़ केंद्र सरकार देगी, लेकिन राजस्थान सरकार इसे राजनीतिक कारणों से स्वीकृति नहीं दे रही, जबकि मध्यप्रदेश ने इसे मंजूरी दे दी है।

 

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि अब राजस्थान सरकार नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक परियोजना लेकर आई है। 15 हजार करोड़ से बनने वाले इस लिंक से केवल 521 एमसीएम पानी जयपुर, अजमेर और टोंक शहर को मिलेगा। उन्होंने कहा कि यदि गहलोत साहब की वर्तमान योजना बन जाती है तो जयपुर, टोंक और अजमेर को छोड़कर शेष 10 जिलों को भविष्य में एक बूंद पानी नहीं मिलेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय परियोजना के नाम पर गहलोत सरकार पूर्वी राजस्थान के 13 में से 10 जिलों के प्यासे कंठों पर राजनीति कर रही है। इन 10 जिलों की कुल मिलाकर 7 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई नदी जोड़ो परियोजना से मिलने वाले 2500 एमसीएम पानी से हो सकती है। ये लोग उन प्यासे खेतों और किसानों के भविष्य के साथ राजनीति कर रहे हैं।

इधर कांग्रेस शेखावत के बयानों को तथ्यों से परे बता रही हैं और कह रही है कि असली राजनीति तो भाजपा की केन्द्र सरकार कर रही है क्योंकि केन्द्रीय जल शक्ति मान रहे है कि प्रदेश के तेरह जिलों की प्यास यह महत्वाकांक्षी परियोजना बुझा सकती है । साथ ही वे यह भी कह रहे है कि राजस्थान में भाजपा सरकार बनवा दो पहली केबिनेट बैठक में ही इस परियोजना को मंज़ूरी दिलवा देंगे।लगता है इस बार भी राज्य के विधान सभा चुनावों में इस बार भी ईआरसीपी बड़ा चुनावी मुद्दा होंगी।