3 प्राचार्य सहित शिक्षा विभाग के 6 अधिकारियों – कर्मचारियों पर गंभीर धाराओं में FIR दर्ज, 1.12 करोड़ के गबन का मामला
भिण्ड से परानिधेश भारद्वाज की रिपोर्ट
भिण्ड। जिला शिक्षा अधिकारी भिंड के प्रतिवेदन पर तीन वर्तमान प्राचार्य सहित शिक्षा विभाग के कुल 6 लोगों पर गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की गई है। कुल 1 करोड़ 12 लाख से अधिक की राशि का गबन करने के मामले में यह FIR दर्ज की गई है। इंडियन पेनल कोड की गंभीर धारा 409, 420, 467, 468, 471 के साथ ही आईटी एक्ट एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी इन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को एरियर का भुगतान किए जाने के लिए वित्त विभाग से राशि प्राप्त हुई थी। लेकिन बवेड़ी संकुल के शिक्षा विभाग के कर्मचारियों अधिकारियों के द्वारा इस राशि का नियम विरुद्ध तरीके से आहरण कर इसका बंदरबांट कर लिया गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार कर्मचारी द्वारा हेरा फेरी कर हाउस रेंट अलाउंस के नाम पर वित्तीय वर्ष 2018-19 से जून 2023 के बीच अपने परिजनों के बैंक खातों में एक करोड़ 12 लाख 37 हजार 836 रुपए की राशि ट्रांसफर करवाई गई। जिसमें बवेडी संकुल के तत्कालीन प्राचार्य के साथ ही अन्य कुछ कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई। 5 साल तक चलते रहे इतने बड़े घोटाले की जानकारी जब आला अधिकारियों को हुई और मामले की भनक जैसे ही लेखा एवं वित्त विभाग को लगी वैसे इसकी जांच के आदेश दे दिए गए। जांच में कुल 6 अधिकारी कर्मचारियों को शासकीय राशि के गलत तरीके से आहरण एवं दुरुपयोग किये जाने का दोषी पाया गया। जिसके बाद पीएस चौहान वर्तमान प्राचार्य शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय नं 1, एसके गौतम वर्तमान प्राचार्य शासकीय उ.मा. स्कूल अकोड़ा, एमके तायल वर्तमान प्राचार्य शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल क्यारीपुरा, अंजन कुमार बाजपेयी शासकीय स्कूल बवेडी, अविनाश सिंह भदौरिया शासकीय एमएलबी गर्ल्स स्कूल भिण्ड, ओमप्रकाश शाक्यवार शासकीय उ.मा. विद्यालय क्रमांक 1 के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120B, सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2000 की धारा 66(D), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन अधिनियम 2018) की धारा 13(2), 13(1)(D) एवं 7 के तहत सिटी कोतवाली थाना में मामला दर्ज किया गया है। जिसमें फरियादी जिला शिक्षा अधिकारी भिण्ड हरभुवन सिंह तोमर बने हैं।
हालांकि मामले का खुलासा होते ही शासकीय राशि खुर्द बुर्द करने वाले अधिकारी कर्मचारियों के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने गबन की हुई राशि में से 95 लाख रुपए की राशि वापस जमा भी करवा दी, परंतु पूरी राशि जमा नहीं हो पाई। लेकिन शासकीय राशि का गबन तो किया गया था जिसके बाद भोपाल से वित्त एवं लेखा विभाग के डायरेक्टर द्वारा आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करवाने के लिए पत्र कलेक्टर को लिखा गया। नवागत कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा भी 2 अगस्त को जिला शिक्षा अधिकारी के नाम पत्र जारी कर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए कहा गया। जिसके लगभग 22 दिन बाद आरोपियों पर एफआईआर दर्ज हो सकी। अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा भरसक प्रयास किए गए कि मामला दबा दिया जाए और एफआईआर दर्ज न हो। लेकिन वित्त में गड़बड़ी का यह मामला बड़ा था और इसका दबाया जाना नामुमकिन था, ऐसे में आखिरकार एफआईआर दर्ज करवानी पड़ी।
हालांकि एफआईआर 6 लोगों पर दर्ज की गई है लेकिन अब इसमें जांच का विषय है कि आखिर सभी लोग दोषी हैं अथवा कुछ विभागीय कर्मचारियों द्वारा अधिकारियों को अंधेरे में रखकर राशि का गबन किया गया था। यह तो जांच के बाद ही खुलासा हो सकेगा।