1000 घंटे मंत्री बनने के लिए 1249 दिन का इंतजार…

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1000 घंटे मंत्री बनने के लिए 1249 दिन का इंतजार…

विधानसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की खबरों ने कोहराम मचा रखा है। पिछले तीन दिनों से मंत्रिमंडल विस्तार के बुखार ने पूरे प्रदेश का तापमान बढ़ा दिया है। मंत्रिमंडल विस्तार की सूची में किन विधायकों को मंत्री बनना है, तथ्यों सहित इस बात के कयास लगाए जा चुके हैं। इस बीच‌ किसी पत्रकार ने संस्कारधानी में जब मुख्यमंत्री से इस बावत सवाल दाग दिया, तो उन्होंने बड़े भोलेपन से जवाब दे दिया कि ” मुझे मंत्रिमंडल विस्तार की जानकारी नहीं है”। उसके बाद सूचनातंत्र की ओर से मंत्रिमंडल विस्तार का नया समय 26 अगस्त सुबह 9 बजे मुकर्रर कर दिया गया। इससे पहले 25 अगस्त रात 8 बजे का समय दिया गया था, जो कसौटी पर खरा नहीं उतर सका। इसमें सर्वाधिक पीड़ित पक्ष यदि कोई है, तो वह हैं मंत्री बनने के आकांक्षी वह विधायक जो बेवजह ही सूली पर लटके नजर आ रहे हैं। आखिर करें भी तो क्या करें? अगर सरकार मंत्री का पद दे रही है या थोप रही है तो भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता के तौर पर स्वीकार करना ही समझदारी है। ताकि यदि उद्देश्य जातिगत समीकरण साधना ही है, तो उसमें भी सहयोगी बनकर पार्टी के काम तो आ ही सकें। भले ही बाद में जो हो सो हो।

वैसे जो तीन नाम बड़े पुख्ता तौर पर प्रसारित हो रहे हैं, उनमें दो दिग्गज तो इतनी बार मंत्री रह चुके हैं कि उन्हें अब आखिरी वक्त पर मंत्री तमगा हासिल करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। पूर्व मंत्री के तौर पर उनकी पहचान तो पहले ही पुख्ता हो चुकी है। कहा यह जा रहा है कि एक नाम से विंध्य को साधने की कवायद है तो दूसरे नाम से महाकौशल में फील गुड कराने पर जोर है। पर उसी महाकौशल में एक दूसरे दिग्गज चेहरे को भी इसमें अपनी तौहीनी का अहसास खटास भी पैदा करने से नहीं बचा पाएगा। वहीं विंध्य में भी सर्वमान्य चेहरे पर सर्वसम्मति नहीं है सो वहां सिर मुंडाते ही ओले पड़े जैसी कहावत चरितार्थ हो सकती है। वही तीसरे नए नवेले नाम को लेकर यह कहा जा रहा है कि लोधी समुदाय सध जाएगा। उसमें भी तर्क की मजबूती इस बात पर है कि नए नवेले चेहरे पर मंत्री पद चस्पा कर वरिष्ठ को संतुष्ट करना परम उद्देश्य है। सो वैसे सरकार ने लोधी समुदाय के एक पंचवर्षीय में दूसरी बार विधायक बन केसरिया हुए एक चेहरे को कैबिनेट मंत्री दर्जा से नवाजा ही हुआ है। इसके अलावा एक नाम पर इशारा मालवा की तरफ भी है।

खैर 22 अगस्त को रात 9 बजे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल मंगू भाई पटेल से 15 मिनट की मुलाकात की थी। तब मंत्रिमंडल विस्तार के कयास शुरू हुए थे। अब 25 अगस्त को रात 10 बजे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर राज्यपाल मंगू भाई पटेल से 10 मिनट की मुलाकात कर ली है। कयासों पर विराम लगते हुए अब यह तय हो चुका है कि शनिवार सुबह 8.45 बजे मंत्रिमंडल विस्तार की रस्म अदायगी संपन्न हो जाएगी। अक्टूबर के पहले या दूसरे सप्ताह में चुनाव आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में इन मंत्रियों को अगस्त के करीब 6 दिन, सितंबर के 30 दिन और अक्टूबर के आचार संहिता लगने से पहले तक के दिन मिलाकर मोटा-मोटी एक हजार घंटे का समय मंत्री पद में निहित सभी शक्तियों का प्रयोग करने के लिए मिलेगा। इसका कितना लाभ सामाजिक, जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने पर मिलेगा, यह आगामी दिन ही बयां करेंगे। पर यह साफ है कि 23 मार्च 2020 को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उसके 1249 दिन बाद विधानसभा चुनाव के एन वक्त पहले मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री बने चेहरों को मंत्री पद पर चैन से रहने के लिए बमुश्किल 1000 घंटे का समय ही मिलने वाला है…।