अफ्रीका का गुलाम जिसने जमींदार मालिक के लिए 200 से अधिक बच्चे पैदा किए
अनिल तंवर की खास रिपोर्ट
अफ्रीका का वह व्यक्ति जिसे सिर्फ व सिर्फ बच्चा पैदा करने के लिए गुलाम बनाया गया था और इस गुलाम का नाम था पाटा सेका, जिसने अपने जमींदार मालिक के लिए 200 से अधिक बच्चे पैदा किए.
पूर्वी अफ्रीका के तंजानिया में कार्यरत बनारस निवासी रत्नेश पाण्डेय, जो वहाँ 12 वर्षों से तेल और गैस अनुसंधान पर कार्य कर रहे है, ने बताया कि पाटा सेका का असली नाम जोश फ्लोरेंसियो था. 19वीं सदी में, उसे ब्राज़ील के ज़मींदार ने गुलाम बना लिया था. पाटा सेका की लंबाई 7 फ़िट 2 इंच थी और वो बहुत ताकतवर भी था.
अफ्रीकन गुलामों के ब्राजील पहुंचने की शुरुआत सन 1532 मे हुई थी जब अफ्रीका से गुलामों को भर कर एक जलपोत पहुंचा। ब्राज़ील और इन अफ्रीकन लोगों को यहां ब्राजील में ग़ुलामी के लिए लाया गया था. सन 1532 से शुरू हुआ यह सिलसिला लंबा चला .
यहाँ महिलाओं की तुलना में पुरुष ग़ुलामों की क़ीमत ज़्यादा थी . 12 से 30 साल के पुरुषों को युवक के तौर पर गिना जाता . उनसे बिना रुके 14-15 घंटे काम कराया जाता . सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक, काम और सिर्फ काम . ग़ुलाम बनाए गए लोगों से इतना काम कराया जाता कि वे 35 साल की उम्र में ही बुढ़े दिखने लगते .
19 वी सदी मे ब्राजील मे रहने वाले अफ्रीकन मूल के ग़ुलामों के बीच एक ऐसा शख़्स भी था, जिसके खाने-पीने का बड़ा ख्याल रखा जाता . उससे शारीरिक श्रम भी कम ही कराया जाता . इस शख़्स का नाम था रोके जोस फ्लोरेंसियो, जिसे जाना गया ‘पाटा सेका’ के नाम से .
पाटा की कहानी अलग है . उसने अपने बच्चों को विरासत में ग़ुलामी दी या यूँ कह लें कि उसने अपने मालिक के लिए ग़ुलाम पैदा किए .
आमतौर पर पशुओं में नस्ल सुधार का कार्य किया जाता है किन्तु मनुष्य की यह विलक्षण कहानी इतिहास में भी दर्ज हो गई . दरअसल, पाटा सेका की कद-काठी के कारण ज़मींदार ने उसे ‘ब्रीडर’ का काम करने को मजबूर किया. हर दिन उसे कई अलग-अलग महिलाओं के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाता था. ताकि उससे पैदा होने वाली औलादें बेहद मज़बूत हो और वो खेतों में ज़्यादा काम कर सकें. साथ ही, गुलामों की संख्या भी कम न पड़े.
गूगल से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पाटा सेका की नियमित जांच होती थी. उसे अच्छा खाना खिलाया जाता था. बिल्कुल एक पशु की तरह उसे ब्रीडर के रूप में काम पर लगाया गया.
18वीं सदी में ब्राजील में कॉफी का बाज़ार बड़ा होना शुरू हुआ. इसके साथ ही बंधुवा मज़दूरी यानी जबरन श्रम के मामले भी चरम पर पहुंचने लगे . 1828 में जन्मे पाटा की कहानी भी ग़ुलामी से ही जुड़ी हुई है. उसे क्या पता था कि वह अपने जन्म के साथ दास प्रथा से जुड़ी एक निर्मम कहानी का गवाह और किरदार, दोनों बनेगा . पाटा जब जवान हुआ, तो उसकी लंबाई सात फुट से भी ज़्यादा थी. कसा हुआ शरीर और चेहरे पर गज़ब का तेज़ . वह अपने समय के युवाओं से बिल्कुल अलग था, बहुत आकर्षक . उसके इस आकर्षण और तेज़ ने उसे ग़ुलामी के गर्त में झोंक दिया . ब्राज़ील में उसे खरीदा साउ पालो के एक किसान ने . उस किसान के पास कॉफी के बागान थे . पाटा की शारीरिक बनावट से वह किसान काफी प्रभावित था . दरअसल, पाटा के हाथ और पैर लंबे और पतले थे . उस दौर में माना जाता था कि जिनके हाथ-पैर पतले और लंबे होते हैं, उनसे लड़के ही पैदा होते हैं, लड़कियां नहीं . पाटा को देखकर उस जमींदार मालिक की आंखों में चमक की वजह यही थी .
जमीदार मालिक चाहता था कि पाटा सेका उसके लिए ग़ुलाम पैदा करे यानी वह औरतों के साथ संबंध बनाए और उस किसान के बागानों के लिए ज़्यादा से ज़्यादा मज़दूर पैदा करे . उसने पाटा को सिर्फ दो ही काम दे रखे थे . एक उसे ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं के साथ संबंध बनाने होते, दूसरा वह उसके अस्तबल का ध्यान रखें . कहा जाता है कि पाटा को कई बार एक ही दिन में दर्जनों महिलाओं के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया . पाटा ने अपने ज़मींदार के लिए 200 से ज़्यादा बच्चे पैदा किए . इन बच्चों में से कुछ को बेच दिया गया . कुछ वहीं बागान में मज़दूर बने .
साल 1888 में ब्राज़ील में दास प्रथा का अंत हुआ . इसके साथ ही पाटा को आज़ादी मिली . पाटा सेका की उम्र को लेकर कहा जाता है कि वह 130 साल तक जिया . साल 1958 में 130 साल की उम्र में उनकी मौत हुई.
चित्र और जानकारी – सौजन्य गूगल