अदभुत शिवलिंग हजारिया महादेव जिनका आकार बढ़ रहा है निरंतर
पंकज पटेरिया की खास रिपोर्ट
तालबेहट नगर मेरा ननिहाल है। भोपाल से झांसी होते हुए ,ललितपुर जिले का एक रेल्वे स्टेशन जो राजशाही दौर में एक स्टेट भी था। यहां के नरेश महाराज राष्ट्रभक्त मरद्न सिह थे, जो १८५७ की क्रांति के एक महानायक थे। बहरहाल यहीं किले के पास स्थित है श्री हजारिया महादेव का अदभुत प्राचीन मन्दिर। जिसके निरंतर बढ़ते आकार के कारण देशभर में प्रसिद्धि है। दूर-दूर से शिवभक्त श्रद्धालुजन यहां हज़ारिया महादेव जी के दर्शन करने और मनोतिया करने सालभर आते रहते हैं। सावन के इन दिनों और शिवरात्रि में यहां विशेष पूजा, प्रार्थना, अनुष्ठान होते हैं।
तालबेहट निवासी शताब्दी शिखर की और अग्रसर मूर्धन्य साहित्य मनीषी डॉ परशुराम शुक्ल ‘विरही’ बताते हैं कि इस चमत्कारी शिवमन्दिर का निर्माण और हजारिया महादेव की स्थापना करीब सौ बरस पहले हुई थी। जो जमीनदार स्व. बनबारीलाल, आत्मज स्व. पुन्नलाल त्रिपाठी ने करवाई थी। हजारिया महादेव जी की प्राणप्रतिष्ठा प्रख्यात पुरोहित पण्डित हरीदास तिवारी ने करवाई थी। गीतकार रमेश पाठक ने बताया कि इस अदभुत चमत्कारी शिवलिंग का आकार निरंतर बढ़ रहा है। शिवलिंग का व्यास छै फिट छै इंच और जलहरी की ऊंचाई दो फिट पांच इंच है।
नर्मदा पुरम के सेवानिव्रत सांइंटिस्ट डॉ तिवारी की बहू एवं लेखिका श्रीमती शोभना आशीष तिवारी बताती हैं कि मै बचपन से हजारिया महादेव जी के दर्शन करने जाती रही हूं। भव्य विशाल शिवलिंग में ११ चक्र हैं और एक हजार छोटे-छोटे शिवलिंग उत्कीर्ण हैं इसीलिए श्री हजारिया महादेव के रूप में इनकी ख्याति है। विवाह योग्य कन्याए वर की मनोकामना करने और अन्य लोग आपदा विपदा से निदान की अर्जी लगाने आते रहते है। लगातार आकार बढ़ते रहने के कारण अब परिक्रमा पथ भी बन्द हो गया है। ५ जून १९६८ को राजमाता विजयाराजे सिंधिया महादेव के दर्शन कर अभिभूत हो गई थी। छोटे-बढ़े, गरीब-अमीर सब हजारिया महादेव जी का आशीर्वाद लेने आते रहते है। मुझे भगवान हजारिया महादेव जी के दर्शन का सौभाग्य अपनी पूज्य नानी और माता-पिता के साथ मिल चुका है। भगवान का वो स्वरूप आज भी पांच दशक बाद मेरी आंखो में वैसा ही मनोहारी बसा हुआ है।