युवा वैज्ञानिक- होनहार बेटी मारिया भी रही चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा,इसरो में सेवारत है मारिया

चंद्रयान-3 की लॉचिंग से लेकर लैंडिंग तक की टीम में शामिल रही मारिया

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युवा वैज्ञानिक- होनहार बेटी मारिया भी रही चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा,इसरो में सेवारत है मारिया

अनिल तंवर की खास रिपोर्ट

मध्य प्रदेश सीमा से लगा बाँसवाड़ा राजस्थान का एक छोटा शहर है जिसकी जनसंख्या 2011 के अनुसार 99,969 थी और वर्तमान में अनुमानित 135,000 मानी गई है. आदिवासी बहुल क्षेत्र होने से यहाँ पढ़ाई की सुविधा भी सामान्य है किन्तु जिनमें जोश होता है वे बच्चे विपरीत परिस्थितियों में भी अपना परचम फैला देते है . ऐसी प्रतिभाएँ अन्य बच्चों को प्रोत्साहित करती है तथा यह सन्देश भी देती है कि “ जहाँ चाह है , वहाँ राह है”

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यहाँ के बोहरा समुदाय की श्रीमती मुनीरा एवम खोजेमा भाई अदिलखवाला की होनहार बेटी मारिया भी चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा रही है और इस मिशन में अहम दायित्व निभाया है . घर, परिवार और बोहरा समुदाय के साथ-साथ पूरे भारत में अपने शहर का नाम भी रोशन किया है . मारिया वर्तमान में इसरो में सेवारत है .

मारिया के पिता खोजेमा भाई ने बताया कि — मारिया ने 12वीं कक्षा तक बांसवाड़ा में ही पढ़ाई की . 12वीं कक्षा में उन्होंने टॉप भी किया . इसके बाद मारिया बेंगलुरु चली गईं और इसरो से संबद्ध यूनिवर्सिटी में उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की . यहीं से उनका इसरो में चयन हुआ .

मारिया के पिता की बांसवाड़ा में कस्टम पर स्पेयर मोटर पार्ट्स की दुकान है . चंद्रयान-3 की लैंडिंग के दौरान मारिया का परिवार ही नहीं, रिश्तेदार व अन्य मिलने वाले लोग भी टीवी पर लाइव टेलीकास्ट देखते रहे .

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मारिया बताती है कि—उसने 2017 में इसरो ज्वाइन किया था। यहाँ पर बैंगलोर में यूआर राव सैटेलाइट सेंटर, जिसे उस समय इसरो सैटेलाइट सेंटर कहां जाता था, वहाँ ज्वाइन किया था. 6 साल पहले जो मारिया को ग्रूप अलाट हुआ वह “स्पेस क्राफ्ट मेकनिजम ग्रूप ”कहलाता है. वह आगे बताती है कि जो हमारे स्पेस क्राफ्ट होते हैं जिन्हें आपने फोटोज में देखे, उसमें सोलर पैनल्स होते हैं. यह ऐसे स्प्रेड होते हैं, स्पेस, सिटी, अराउंड तरह और बहुत सारे ऐसे इवेंट्स होते हैं जिन्हें हम ऑर्बिट में डिप करते हैं . कहने का मतलब यह जो रॉकेट आपने देखे , तो रॉकेट के ऊपर एक स्पेस होता है जिसमें हम सैटेलाइट भेजते हैं . वो एनवेलप लिमिटेड होता है, जबकि हमारा रिक्वाइर्मन्ट ऑन ऑर्बिट उससे ज्यादा साइज का होता है। सैटेलाइट के एलिमेंट्स को फोल्ड करके लॉन्च करते हैं . हमारा काम हैं उन एलिमेंट्स का डिजाइन करना जिन्हें हमने इनीशियली फोल्ड किया। जो हम स्टाइलिंग कहते हैं, स्टाउट कंडीशन में भेजते हैं जो वहाँ जाकर डिप्लॉय करते हैं . ऐसी सारी मेकेनिज्म हमारा ग्रूप डिजाइन करता है . जैसे अभी अगर आप चन्द्रयान 3 का उदाहरण ले तो जो लैंडलाइन मेकेनिज्म है, और जो रोवर रैंप है, जिसके ऊपर से रोवर निकलकर चंद्रमा की सतह पर आया.

इम सोलर पैनल मेकेनिज्म की सारी डिजाइन हमारा ग्रूप करता है. वास्तव में इसरो में इस अभियान के सभी ग्रूप्स का वैज्ञानिकों का समय सीमा में आपसी सामंजस्य का कभी भी समाप्त नहीं होने वाला कार्य होता है, तभी सफलता भी प्राप्त होती है.

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इसरो के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत की बदौलत ही चंद्रयान मिशन -3 सफल हो पाया .

वहीं इस अभियान में महिला वैज्ञानिकों की भूमिका भी अहम सिद्ध हो चुकी है . इन्हीं में से दो वैज्ञानिक बांसवाड़ा की बेटी मारिया भी मिशन चंद्रयान- 3 में अपनी योगदान दे रही है . वह चंद्रयान की लॉचिंग से लेकर लैंडिंग तक की टीम में शामिल है . भारत के इस महान अभियान में शामिल होकर मारिया ने बांसवाड़ा ही नहीं बल्कि देश का मस्तक गौरव से ऊंचा कर दिया है .