Kissa-A-IAS: IAS बनने का जुनून, परिवार का शादी के लिए दबाव और 6 महीने की कमरा बंदी!
यूपीएससी सिविल सर्विसेज एग्जाम की तैयारी किसी जुनून से कम नहीं है। उन्हें एग्जाम की तैयारी के साथ कई सामाजिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। इसलिए कि वे जानते हैं, उन पर परिवार के साथ कई लोगों की आंखें लगी है, जो उनको लक्ष्य तक पहुंचते देखना चाहते हैं। यही कारण है कि कई बार ये जुनूनी कुछ ऐसा कर जाते हैं, कि चुनौती को भी इनके सामने हारना पड़ता है। ये कहानी भी ऐसी ही एक परीक्षार्थी की है जिसे IAS बनने से कम कुछ भी मंजूर नहीं था। ये हैं हरियाणा की निधि सिवाच जिनके घर वाले उन पर शादी करने का दबाव बना रहे थे। जबकि उनका लक्ष्य किसी तरह यूपीएससी क्लियर करना था। दो बार वे असफल हो चुकी थी, इसलिए परिवार शादी करने पर तुला था।
गुरुग्राम की रहने वाली निधि सिवाच ने 10वीं के बाद इंजीनियरिंग करने का विचार मन बनाया। 12वीं के बाद उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। निधि पहले सेना में जाना चाहती थीं। वे गुरुग्राम में पली-बढ़ी, वहां से एयर फोर्स स्टेशन बहुत पास था। वे यह देखते हुए बड़ी हुई कि अफसरों का कितना रसूख़ और मान-सम्मान होता है। उन्होंने मकैनिकल इंजीनियरिंग की, तो उनके पास कई विकल्प थे। लॉजिस्टिक, फ्लाइंग या फिर प्रशासनिक शाखा, कहीं भी जा सकती थी। निधि ने दसवीं की परीक्षा में 95 प्रतिशत और 12वीं कक्षा में 90 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। इंजीनियरिंग के बाद हैदराबाद में दो साल तक जॉब की। इस जॉब के दौरान उन्हें लग गया कि उनके लिए यह फील्ड सही नहीं है, वे कुछ अच्छा कर सकती हैं। निधि ने अपना करियर सिविल सर्विस में देखा और सिविल सर्विस की तैयारी करने का फैसला किया।
इंजीनियर बेटी का नौकरी छोड़कर सिविल सर्विस की तैयारी करने का फैसला घर वालों को रास नहीं आया। निधि ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरु की। पूरी मेहनत से प्रशासनिक सेवा में शामिल होने के लिए पढ़ाई की। उनका पूरा फोकस यूपीएससी परीक्षा पर रहा। लेकिन, वे दो बार नाकामयाब रहीं। लगातार परीक्षा में असफलता मिलने पर और नौकरी भी न होने पर उनके ऊपर दबाव आने लगा। घर वालों ने साफ़ कह दिया कि तीसरा अटेम्प्ट अंतिम होगा। इस बार सिलेक्शन नहीं हुआ तो, हमारी मर्जी से शादी करना होगी। निधि के सामने कोई चारा भी नहीं था। उसने परिवार की धमकी को चुनौती की तरह लिया और खुद को अगले 6 महीने के लिए कमरे में बंद कर लिया।
वे सब कुछ छोड़कर तैयारी में लग गईं। बिना कोचिंग के लगातार 6 महीने तक जी-जान लगाकर तैयारी की। निधि पर IAS बनने का ऐसा जुनून छाया कि वे पढ़ाई में इस कदर खो गईं कि घरवालों से भी बात नहीं कर पाती थीं। अपने कमरे से बाहर नहीं निकलती थीं। सारा वक्त किताबों और पढ़ाई में देती। मेहनत रंग लाई और इसके बाद जब यूपीएससी एग्जाम दिया तो ऑल इंडिया में 83वीं रैंक आई। तीसरे अटेम्प्ट में उन्होंने सेल्फ स्टडी के बल पर कामयाबी हासिल की।
निधि कहती हैं कि माँ को तो यकीन था कि मैं परीक्षा पास कर लूंगी और वे इसका जश्न भी मनाना चाहती थीं। लेकिन, मेरे पिता संशय में थे। परिणाम देखे बिना, वह कुछ भी मानने के लिए तैयार नहीं थे। रिज़ल्ट देखकर वह रोने लगे। मैंने उन्हें पहली बार रोते हुए देखा था। उस दिन मैंने उनके अंदर गर्व और खुशी की भावना देखी। 2018 में 83वीं रैंक हासिल करने वाली निधि सिवाच ने बताया कि यह एक बड़ा जोखिम वाला काम था। ऐसा करने के लिए मुझे अपनी ज़िंदगी को होल्ड पर रखना पड़ा, लेकिन मुझे खुशी है कि अंत में इसका परिणाम भी उतना ही अच्छा मिला। निधि का मानना है कि कोचिंग की अनिवार्यता वाली बात मिथ है। कोशिश ईमानदारी से की जाए तो सफलता को कोई नहीं रोक सकता।
निधि सिवाच को IAS बनने के बाद गुजरात कैडर मिला। वर्तमान में वे सूरत जिले के मांडवी में ट्राइबल एरिया सब प्लान में प्रोजेक्ट एडमिनिस्ट्रेटर के पद पर पदस्थ हैं। इसके पूर्व वे मेहसाणा में स्पेशल लैंड एक्विजिशन ऑफीसर के पद पर भी कार्य कर चुकी है।