प्रतापगढ़ में गर्भवती आदिवासी महिला को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाने की घटना पर राजनीति तेज,जे पी नड्डा ने गहलोत सरकार को घेरा
गोपेंद्र नाथ भट्ट की खास रिपोर्ट
प्रतापगढ़: प्रतापगढ़ जिले के धरियावद उपखंड के गांव पहाड़ा में पाँच महीने की गर्भवती आदिवासी महिला के पति द्वारा रक्षाबंधन गुरुवार के दिन निर्वस्त्र कर अपने साथियों के साथ पूरे गांव में घुमाने की घटना पर प्रदेश में राजनीति गर्मा गई है। पूरे देश में इस घटना की चर्चा होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तत्काल इस गांव में पहुंचे। इससे पहले उन्होंने जयपुर से एडीजी दिनेश एमएन को भेजकर सारी घटना को नियंत्रित करने का प्रयास किया। पति सहित 11 अपराधियों को हिरासत में लिया गया है।
सीएम गहलोत ने कहा कि महिला को सरकार ₹10 लाख का मुआवजा और परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी के साथ ही मामले में फास्टट्रैक कोर्ट बनाकर अपराधियों को शीघ्र सजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा। सीएम गहलोत ने कहा कि जिला प्रशासन और पुलिस ने तत्परता से तत्परता से कार्रवाई की है।
सीएम गहलोत ने इसे पारिवारिक मामला बताया है और इसे मणिपुर जैसी घटना से जोड़ने तथा इस पर राजनीति करने की की निन्दा की है। पीड़ित गर्भवती महिला को पुलिस सुरक्षा में गेस्ट हाउस में रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि घटना प्रतापगढ़ जिले के धरियावद उपखंड के गांव पहाड़ा की है। यह घटना रक्षाबंधन गुरुवार को घटित हुई थी । बताया जाता है कि गर्भवती महिला मौजूदा पति को छोड़कर दूसरे पति के पास रहने चली गई थी। झगड़ा नहीं चुकाए जाने के मामले को लेकर पति ने अपने सहयोगियों को साथ लेकर उस महिला को लेने वह गांव गया और उसे लेकर अपने गांव में आया। इसके बाद इस गर्भवती महिला को निर्वस्त्र किया गया और पूरे गांव में घुमा कर यह जताने का प्रयास किया कि मैंने अपना बदला ले लिया है। इस तरह की दर्दनाक घटना का जब घटना के दो दिन बाद वीडियो वायरल हुआ तो पूरे देश में राजस्थान का नाम चर्चित हो गया।
पूरे घटना से राजनीतिक पार्टियां भी सक्रिय हो गई। भाजपा ने राजसमंद की सांसद दिया कुमारी की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी। इसके अलावा राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष रियाना रियाज अब वहां पहुंच रही है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने सवाई माधोपुर से अपनी परिवर्तन यात्रा शुरू की जहां कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद थे। उन्होंने अपने भाषण में यह मामला उठाया लेकिन वे घटनास्थल पर नहीं गए। रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी निकटवर्ती बेणेश्वर धाम आ रहे हैं। राजनीतिक तौर पर मामला गरमाया हुआ है और हर कोई अब इसमें राजनीति कर रहा है।
गहलोत ने कहा कि प्रदेश में पीडितों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें खोलने के संबंध में केन्द्र को प्रस्ताव भिजवाने के साथ ही राज्य स्तर पर भी उच्च न्यायालय से विमर्श कर फास्ट ट्रैक अदालतें खोलने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने आपराधिक घटनाओं के बाद शव रखकर प्रदर्शन को अनुचित बताते हुए कहा कि इससे अनुसंधान कार्य में वैधानिक अड़चनें आती हैं तथा यह दिवंगत के प्रति भी असंवेदनशीलता है। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा मनचलों का रिकॉर्ड पुलिस थानों में दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू होने से ऐसी घटनाओं में कमी आई है एवं महिलाओं व अभिभावकों में सुरक्षा की भावना आई है। गंभीर अपराधों में केस ऑफिसर्स स्कीम के तहत कार्यवाही कर त्वरित न्याय सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने धरियावद व कुचामन सहित अन्य घटनाओं में पुलिस द्वारा त्वरित कार्यवाही कर मुल्जिमों की तत्काल धरपकड़ की सराहना की।
इधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रतापगढ़ से जयपुर पहुँच कर शनिवार रात को मुख्यमंत्री निवास पर कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को बेहतर बनाए रखने के साथ ही अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए आदतन अपराधियों, जघन्य अपराधों में लिप्त अपराधियों, मादक पदार्थों के तस्करों आदि पर कड़ी कार्रवाई की जाए। गहलोत ने प्रत्येक थाना क्षेत्र में आदतन अपराधियों को चिन्हित कर उनके विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही अमल में लाने के निर्देश दिए।
गहलोत ने प्रभावी रात्रि गश्त की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि इस कार्य के लिए आवश्यकतानुसार अतिरिक्त होमगॉर्ड्स को नियोजित किया जाए। उन्होंने नवसृजित जिलों सहित अन्य जिलों में पुलिस नफरी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कानून व्यवस्था संधारण हेतु होमगॉर्ड्स नियोजित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने सीमावर्ती जिलों में आपराधिक तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई के साथ ही इन क्षेत्रों में अतिरिक्त जाब्ते के लिए होमगॉर्ड्स नियोजित करने एवं क्विक रेस्पांस टीमें गठित करने के निर्देश दिए। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में अतिरिक्त 112 वाहन भी नियोजित करने के निर्देश दिए।
गहलोत ने कहा कि पार्थिव देह का समय पर पोस्टमॉर्टम नहीं होने की स्थिति में साक्ष्य व सबूत कमजोर होने की संभावना रहती है और इससे अपराधियों को लाभ भी मिल सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कानून पारित किया है। उन्होंने कहा कि कई अवसरों पर पीडित पक्ष द्वारा शव रखकर प्रदर्शन करने के कारण एफआईआर देरी से दर्ज करवाई जाती है। इससे डिटेन किए गए मुल्जिमों को भी इसका लाभ मिलने की संभावनाएं रहती हैं। इन प्रदर्शनों से अनुसंधान व न्यायिक प्रक्रिया में अनेक अड़चनें पैदा करने वाली परिस्थितियां निर्मित होती हैं और पीड़ित परिवार को भी न्याय मिलने में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने असामाजिक तत्वों के उकसावे में आकर पार्थिव शरीर को लेकर प्रदर्शन करने की प्रवृत्ति को अनुचित बताते हुए आमजन से इस संबंध में कानून का पालन करने का आग्रह किया है।
बैठक में राज्य के पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा, प्रमुख शासन सचिव गृह फोटोआनंद कुमार, डीजी लॉ-एंड-ऑर्डर राजीव कुमार शर्मा, एडीजी इन्टेलीजेंस एस. सेंगथिर सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।