Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : कांग्रेस ने अपनी जय के लिए जयवर्धन को सेनापति बनाया!

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : कांग्रेस ने अपनी जय के लिए जयवर्धन को सेनापति बनाया!

राजनीतिक पार्टियों के लिए इस बार के विधानसभा चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण इलाका है ग्वालियर चंबल संभाग। क्योंकि, यही वो इलाका है, जहां भाजपा को सबसे ज्यादा चुनौती मिलने वाली है। इसका कारण यह भी है कि यहां के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा को फिर सरकार बनाने का मौका दिया था। इसी ग्वालियर-चंबल संभाग में कांग्रेस ने राजनीतिक मुठभेड़ के लिए जयवर्धन सिंह को सेनापति बनाकर भेजा है।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : कांग्रेस ने अपनी जय के लिए जयवर्धन को सेनापति बनाया!

वे यहां पूरी तरह सक्रिय हैं और कांग्रेस को आगे बढ़ाने का कोई मौका नहीं चूक रहे। गुना जिले के भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी को कांग्रेस में लाने के पीछे भी जयवर्धन की ही सक्रियता रही। जानकारियां बताती है कि वे अपने काम को बखूबी से निभा भी रहे। उनकी राजनीति की एक अलग अदा है, वे कम बोलते हैं और सौम्य राजनीति करते हैं। वे बिना हल्ले-गुल्ले या प्रचार के इन दिनों ग्वालियर-चंबल संभाग में भाजपा में सेंध लगाने का काम कर रहे हैं। निश्चित रूप से उनका कोशिश असरदार दिखाई भी दे रही है।

दोनों पार्टियों को इस इलाके से सबसे ज्यादा चिंता का कारण भी यह है कि भाजपा के अधिकांश बड़े नेता इसी इलाके का प्रतिनिधित्व करते हैं। नरेंद्र तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीडी शर्मा और नरोत्तम मिश्रा यहीं के हैं। जबकि, कांग्रेस के डॉ गोविंद सिंह का ठिकाना भी यही संभाग है। ऐसे में जयवर्धन सिंह की राजनीतिक काबिलियत क्या रंग दिखाती है, ये अभी देखना बाकी है।

सूखे का संभावित संकट और मुश्किल में सरकार!

किसी भी सरकार के लिए मौसम का अनुकूल रहना सबसे ज्यादा सुखद होता है। यदि अच्छी बारिश हुई, फसलें अच्छी हुई तो सरकार को भी आराम रहता है। लेकिन, इसके उलट यदि मौसम खराब रहा और सूखे जैसी स्थिति बनी, तो सरकार के सामने कई तरह मुश्किलें खड़ी होना तय है। इस नजरिए से कहा जा सकता है कि पूरे अगस्त माह में पानी नहीं गिरने से प्रदेश के अधिकांश इलाकों में सूखे जैसे हालात हो गए।

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कई इलाकों में बारिश की लम्बी खेंच के कारण फसलें प्रभावित होने लगी। ऐसे में सरकार के सामने सबसे बड़ा संकट बिजली की आपूर्ति को लेकर बनने लगा। ऐसे में सरकार की चिंता इसलिए भी विकट है, कि थोड़े दिन बाद विधानसभा चुनाव भी होना है। जब सरकार के सामने सूखे का संकट दिखाई खड़ा हो रहा, तो प्रतिद्वंदी कांग्रेस भी इस मौके का फायदा उठाने का मौका नहीं छोड़ा। कांग्रेस ने अभी से सरकार को कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया।

उमा भारती को खुद को भुला दिए जाने का अहसास!

राजनीति में कहा जाता है कि यहां उगते सूरज को ही नमस्कार किया जाता है। लगता है पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को भी इस बात का एहसास हो गया है। उन्हें जन आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत में औपचारिक रूप से आमंत्रित ही नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में उमा भारती की ये आशंका गलत नहीं है कि चुनाव के बाद तो मुझे भुला ही दिया जाएगा।

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उमा भारती की ये बात इसलिए भी सही लग रही कि जन आशीर्वाद यात्रा को लेकर जो भी प्रचार किया गया, उसमें उमा भारती नदारद रही। उनका किसी पोस्टर में फोटो तक दिखाई नहीं दिया। पोस्टर पर सिर्फ एक महिला का फोटो दिखा जो है कविता पाटीदार! इन दिनों वे भाजपा की बड़ी नेता बनाई जा रही हैं। उन्हें भाजपा की हर समिति में शामिल किया जा रहा, उसे लेकर पार्टी में असंतोष भी है।

कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को आपत्ति है, कि पार्टी को उनमें ऐसी क्या अतुलनीय प्रतिभा दिख रही है कि वे राज्यसभा सदस्य तो बना ही दी गई, पार्टी की ज्यादातर समितियों में उनका नाम चमक रहा है। उन्हें महू से पार्टी का संभावित उम्मीदवार भी बताने की कोशिश हुई थी, पर महू के नेताओं के विरोध को देखते हुए फ़िलहाल मामला ठंडा पड़ गया। ऐसे में उमा भारती की आपत्ति सही है कि पार्टी उन्हें भुला रही! कविता पाटीदार को जिस तरह तवज्जो मिल रही, उमा भारती की नाराजगी स्वाभाविक भी है।

भाजपा में भगदड़ से दिल्ली के बड़े नेता चिंतित भी और नाराज भी!

भाजपा के नेताओं में जिस तरह भगदड़ मची है और पुराने और नए नेता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में जा रहे हैं, वह भाजपा के बड़े नेताओं के लिए चिंता की बात है। उन्हें कहीं न कहीं यह पार्टी की कमजोरी दिखाई दे रही है। बताया गया कि गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष से इस बारे में फोन पर बातचीत की।

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उन्होंने सवाल किया कि बड़े और अनुभवी नेताओं का इस तरह पार्टी छोड़कर जाना क्या पार्टी हित में है! अब इन दोनों नेताओं ने क्या जवाब दिया, यह तो नहीं पता! लेकिन, निश्चित रूप से उन्होंने पार्टी से जाने वालों के बारे में यही टिप्पणी की होगी कि उनके जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पर, कहां, कितना और कैसा फर्क पड़ेगा यह तो वक्त बताएगा।

टिकट की घोषणा के बाद किसी को टिकट न मिले तो असंतुष्ट होकर उसका पार्टी छोड़ना स्वाभाविक है। लेकिन, चुनाव से 3 महीने पहले यदि पार्टी में भगदड़ मचे तो इसे क्या कहा जाएगा? ध्यान देने वाली बात यह भी कि पार्टी से जाने वाले अधिकांश नेताओं की यही शिकायत है कि उनकी उपेक्षा की जा रही, उन्हें बोलने तक का मौका नहीं दिया जा रहा!

अब चौरसिया समाज का नंबर!

विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के हर समाज और हर वर्ग को खुश करने में लगे हैं। अभी तक वे कई समाज के लोगों के सरकारी बोर्ड का गठन करके कई को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बना चुके हैं। अब मुख्यमंत्री सचिवालय इस खोजबीन में लगे हैं कि कोई समाज उपकृत होने से बचा तो नहीं! इस खोजबीन से पता चला कि चौरसिया समाज सरकार से उपकृत होने से रह गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब चौरसिया समाज की महापंचायत होने वाली है। पान। व्यवसाय को लेकर उनके लिए भी अलग से एक बोर्ड बनाया जा सकता है। इस समाज के व्यक्ति को बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर उसे कैबिनेट स्तर के रंग से रंगा जाएगा।

पूर्व IAS अधिकारी: समय का फेर

भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1994 बैच के पूर्व IAS अधिकारी और झाबुआ के पूर्व कलेक्टर एक उदाहरण है कि कैसे समय का फेर होता है। जिस जिले के आप कलेक्टर रहे यानी राजा रहे हो,उसी जिले में अब आप एक कैदी की हैसियत से जेल की हवा खा रहे हो। हम यहां बात कर रहे हैं झाबुआ के पूर्व कलेक्टर जगदीश शर्मा की जिन्हें 2 दिन पूर्व ही कोर्ट ने 4 साल की सजा सुनाई और वे अब जेल में है।

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यह मामला 13 साल पुराना बताया जाता है जब एक प्रिंटिंग मामले में उनके साथ 6 अन्य सरकारी अधिकारियों ने नियम कायदे के विरुद्ध काम किया और इस संबंध में एक प्रिंटर द्वारा ही आरटीआई का सहारा लेकर शिकायत की गई।
बताया जाता है कि यह मामला इतना गंभीर नहीं था। लेकिन, प्रशासनीय क्षेत्र से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि कलेक्टर ने ना पहले और ना रिटायरमेंट के बाद कभी इसे गंभीरता से लिया। बताया गया है कि मेघनगर के एक प्रिंटिंग प्रेस मालिक को जब काम नहीं मिला तो उसने कलेक्टर से बात की। उसने कहा कि जैसे दूसरी प्रिंटिंग प्रेस वालों को काम दिया गया, उसे भी दे। लेकिन, जब उसको संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो कुछ दिन बाद उसने सूचना के अधिकार के तहत सारी जानकारी निकलवाई और शिकायत कर दी।

उस शिकायत की जांच हुई और 13 साल लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद अदालत ने तत्कालीन कलेक्टर और उसके साथ के छह अधिकारियों को जेल की सजा और अर्थ दंड दिया। पूर्व कलेक्टर जगदीश शर्मा के बारे में बताया गया है कि वे दतिया जिले के एक प्रतिष्ठित परिवार से हैं और प्रशासकीय सेवा काल में उनका कार्य सामान्यतः अच्छा माना गया।

10 राज्यों के साथ हो सकते हैं लोकसभा के चुनाव?

केंद्र सरकार में बीते हफ्ते दो ऐतिहासिक फैसले हुए। स्वतंत्र भारत में पहली बार पूर्व राष्ट्रपति को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। रामनाथ कोविंद को एक देश, एक चुनाव पर विचार के लिए गठित समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। यह समिति इस महत्वपूर्ण मामले पर विचार कर सरकार को सुझाव देगी।

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अगर सरकार समिति की अनुसंशा पर चली तो देश में 10 राज्यों के साथ लोकसभा के चुनाव एक साथ हो सकते हैं। पांच राज्यों में चुनाव दिसंबर जनवरी में होने हैं। उड़ीसा के मुख्यमंत्री भी समयपूर्व विधानसभा चुनाव पर सहमति दे चुके हैं। आंध्र प्रदेश के साथ महाराष्ट्र, हरियाणा और पूर्वोत्तर के एक राज्य में एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं।

जया वर्मा सिन्हा की नियुक्ति: पीएम का चौंकाने वाला फैसला

प्रधानमंत्री मोदी साहसिक और चौंकानेवाले फैसले के लिए जाने जाते हैं। उनका दूसरा निर्णय रेल मंत्रालय से संबंधित है। जया वर्मा सिन्हा पहली महिला अधिकारी है, जिन्हे रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष तथा सी ई ओ नियुक्त किया गया है। वे 1986 बैच की भारतीय रेल प्रबंधन सेवा की अधिकारी है।

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उनका रिटायर्मेंट 30 सितंबर को था लेकिन उन्हें रिटायर्मेंट के बाद 1 अक्तूबर से अगले साल 31 अगस्त तक की पुनर्नियुक्ति मिल गई है। सत्ता के गलियारों में उन्हे इस पद पर कैसे नियुक्त किया गया, इसे लेकर तमाम चर्चाएं चल रही है।

मध्यप्रदेश कैडर के 3 IAS अधिकारी पदोन्नत

पिछले हफ्ते हुए फेरबदल में मध्यप्रदेश काडर के 3 आईएएस अधिकारियों को पदोन्नत कर नई पदस्थापना दी गई। 1992 बैच के कांंता राव को खान मंत्रालय का सचिव नियुक्त किया गया है जबकि 89 बैच के आशीष उपाध्याय को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का सचिव बनाया गया है।

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वे 31 दिसंबर को वर्तमान सचिव राजीव रंजन के रिटायरमेंट के बाद पद ग्रहण करेंगे। रंजन भी मध्यप्रदेश काडर के 1989 बैच के आईएएस अधिकारी है।इसी तरह नीलम शमी राव को ई पी एफ ओ के आयुक्त पद को सचिव का वेतनमान दिया गया है।

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।