Smell of Mahua in Europe : मध्यप्रदेश के महुआ से महकने लगा यूरोप, बाजार में कई स्नेक्स! 

यूरोपीय देशों को भा गया महुआ चाय, महुआ पावडर और महुआ स्नेक्स का स्वाद!  

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Smell of Mahua in Europe : मध्यप्रदेश के महुआ से महकने लगा यूरोप, बाजार में कई स्नेक्स! O

New Delhi : आदिवासियों का अमृत फल कहा जाने वाला महुआ अब यूरोप के बाजारों में अपनी पहचान बनाने में सफल हो रहा है। यूरोप के लोगों में महुआ ने एथनिक फ़ूड के रूप में पहचान बना ली। अब तो यूरोप के कई देशों के फ़ूड मार्केट में महुआ से बने खाद्य पदार्थ भी बिकते दिखाई देने लगे। यहां के लोग इन्हें नए स्वाद के रूप में पसंद करने लगे हैं। कुल उपज का 50% महुआ धार, अलीराजपुर, झाबुआ, उमरिया, सीधी, सिंगरौली, डिण्डौरी, मण्डला, शहडोल और बैतूल जिलों से होता है।

कंपनी की सह-संस्थापक मीरा शाह बताती हैं कि महुआ प्रकृति का उपहार है। हमें महुआ फल की उपज को संरक्षित करने का बेहतरीन अवसर मिला है। यूरोप के बाजारों में महुआ की बढ़ती लोकप्रियता के बारे में उनका कहना है कि लाखों लोग एक देश से दूसरे देश आते-जाते हैं। वे दूसरे देशों के खान-पान और वहां की संस्कृति से परिचित होना चाहते हैं।

यही कारण है कि महुआ से बने खादय पदार्थों के प्रति लोगों रूचि बढ़ रही है। वे महुआ के बने व्यंजन पसंद भी करने लगे। इनमें महुआ चाय, महुआ पावडर, महुआ निब, भुना महुआ बहुत ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं। ‘ओ-फारेस्ट’ ने मध्य प्रदेश से 200 टन महुआ खरीदने का करार किया है। इसका सीधा लाभ महुआ बीनने वाले आदिवासियों को मिलेगा।

यूके की लंदन स्थित कंपनी ओ-फारेस्ट (O-Forest) ने महुआ के कई प्रोडक्ट बाजार में उतारे हैं। इनमें मुख्य रूप से महुआ चाय, महुआ पावडर, महुआ निब-भुना महुआ मुख्य रूप से पसंद किये जा रहे हैं। ओ-फारेस्ट ने मध्यप्रदेश से 200 टन महुआ खरीदने का समझौता किया है। इससे महुआ बीनने वाले जनजातीय परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा।

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आदिवासियों का पसंदीदा जंगली फल 

मध्यप्रदेश के आदिवासियों के लिए महुआ कई तरह से मददगार और पसंदीदा जंगली फल है। वे इसके लड्डू के अलावा देसी शराब भी बनाते हैं, जो सदियों से उनका पारम्परिक पेय पदार्थ है। अब इस महुआ की शराब को हेरिटेज वाइन के रूप में सरकार भी बेच रही है। आदिवासी ये जंगली फल बीनकर लाते और उसका खुद उपयोग करते और बेचते थे।

मध्यप्रदेश सरकार ने देश में सबसे पहले महुआ और अन्य वनोपजों का समर्थन मूल्य घोषित किया। जिससे महुआ बीनने वाले आदिवासियों को बिचौलियों से मुक्ति मिली। इसके उन्हें बाजार में भी अच्छे दाम भी मिलने लगे। लेकिन, महुआ के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जाने से इन जनजातीय परिवारों को उसकी अच्छी कीमत मिलेगी। महुआ का समर्थन मूल्य 35 रूपए किलो है। जबकि, यूरोप में महुआ की खपत बढ़ने से उन्हें 100 रूपए किलो से ज्यादा के दाम मिलेंगे।

हेरिटेज वाइन की सरकारी नीति 

महुआ के फूल से बनी देसी शराब को ‘हेरिटेज वाइन’ की तरह बाजार में लाने के लिए प्रदेश सरकार ने एक पॉलिसी बनाई है। आदिवासी इलाकों के स्व-सहायता समूहों को ही इसे बनाने का लाइसेंस देने की बाध्यता दिया जाता है। लेकिन, इन समूहों के सदस्यों में 50% महिला सदस्य होना जरुरी है। स्व-सहायता समूह अपने उत्पाद का अलग नाम भी रख सकते हैं।

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महुआ से समृद्ध मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश ऐसा राज्य है जहां महुआ के पेड़ बहुत बड़ी संख्या में हैं। यहां एक मौसम में करीब साढ़े 7 लाख क्विंटल तक महुआ उपजता है। महुआ फूल का एक पेड़ एक क्विंटल तक महुआ देता है। इन इलाकों के पौने 4 लाख परिवार महुआ बीनकर अपना रोजगार करते हैं। एक परिवार कम से कम तीन पेड़ों से महुआ बीनता है। साल में औसतन दो क्विंटल तक महुआ बीन लेता है।