बागली को जिला बनाओं: 28 दिनों के धरने के बाद भी शासन-प्रशासन मौन, CM की मैहर ज़िले की घोषणा के बाद बागली क्षेत्रवासी आक्रोशित

ग्राम चैनपुरा-धवड़िया के ग्रामीणों ने धरने के समर्थन में कहा कि यदि बागली जिला नहीं तो चुनाव में पोलिंग एजेंट भी नहीं मिलेंगे, जन हुंकार रैली की तैयारी में डोर-टू-डोर संपर्क, दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साह

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बागली को जिला बनाओं: 28 दिनों के धरने के बाद भी शासन-प्रशासन मौन, CM की मैहर ज़िले की घोषणा के बाद बागली क्षेत्रवासी आक्रोशित

कुंवर पुष्पराज सिंह सिसौदिया की रिपोर्ट 

बागली(देवास)। बागली जिला बनाओ अभियान अंतर्गत जारी अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन के 28वें दिन मंगलवार को ग्राम धावड़िया चैनपुरा के ग्रामीण बड़ी संख्या में वाहन रैली के रूप में धरना स्थल पहुंचे।जहा संबोधित करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद मूलचंद परमार ने कहा की जब तक बागली जिला नहीं बन जाता,हम चैनपुरा वाले चैन से नहीं बैठेंगे।वही मोहनलाल मकवाना ने कहा हमने सिद्ध क्षेत्र धावडिया गादी से बागली को जिला बनाने का शंखनाद किया है,अब इसे पूर्ण करना ही हमारा प्रण है।

वरिष्ठ नेता रामचंद्र गवलाना ने अपनी पीड़ा जाहिर कर कहा कि हम 40 वर्षो से भाजपा का लगातार काम कर रहे है,यदि अब बागली जिला नहीं बनता है तो पार्टी छोड़ने से भी पीछे नहीं हटेंगे।वही किशोर मकवाना ने धरना स्थल पर संगठन को चेतावनी देते हुए कहा की अब बागली जिला नही बना तो हमारे पूरे गांव में भाजपा को पोलिंग एजेंट भी नहीं मिलेंगे।वही वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण चौधरी, उप सरपंच मुकेश सिंदालकर,बद्रीलाल सोलंकी आदि ने भी संबोधित किया।तत्पश्चात ग्राम पंचायत अंबापानी सरपंच विराम सिंह कुमारिया ने संकल्प लिया कि यदि बागली जिला नहीं बना तो वे पार्टी का काम भी नहीं करेंगे।इसके पूर्व सोमवार शाम से नगर की मातृशक्ति द्वारा घर-घर संपर्क कर लोगो को हुंकार रैली के लिए प्रेरित किया जा रहा है।वही इसके लिए 3 रथ अलग अलग क्षेत्रों में अभियान के प्रचार प्रसार हेतु तैयार किए गए है।

 

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बागली विधानसभा क्षेत्र में प्रवासी कार्यक्रम के तहत भ्रमण पर आए गुजरात के छोटे उदयपुरा की सनखेडा विधानसभा के विधायक अभेसिंह तडवी ने बागली विधानसभा के कार्यकर्ताओं द्वारा बागली को जिला बनाने का मुद्दा उठाने पर जवाब देते हुए कहा था कि आपने कहा था तो आपको बागली को जिला बनाना चाहिए। पिछले दिनों से बागली के थाने चौराहे पर धरना दे रहे बागली जिला बनाओ अभियान सहयोग समिति के प्रवक्ता मुकेश गुर्जर भी इसी पीढ़ा को जाहिर करते हुए कहते हैं कि पिछले 61 वर्षों में बागली विधानसभा को केवल वर्ष 1998 में एक बार अवसर मिला था। जब पूर्व सीएम जोशी अपना अंतिम विधानसभा चुनाव हारे थे। अन्यथा तो वर्ष 2003 से 1998 तक पिछले चार विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी प्रचंड बहुमत से जीते हैं। हमारी जायज मांग पर सीएम चौहान ने सैद्धांतिक स्वीकृति दी, आश्वासन दिए और चुनावी सभाओं में घोषणाएं भी की। लेकिन कार्य रूप में कभी परिणित नहीं किया और हमें धरने का सहारा लेना पड़ रहा है।

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कांग्रेस के मजबूत क्षेत्रों में जीतने के लिए मुख्यमंत्री लगातार ज़िले पर ज़िले घोषित कर रहे हैं लेकिन अपने मजबूत गढ़ ढहने का उन्हें एहसास ही नहीं है। हमने भी अब खिलाफत करने की ठानी है या तो जिला या पूर्ण बहिष्कार अब यही हमारा और हर एक बागली क्षेत्रवासी का नारा है।

अब हमारी बात रखने वाला भी कोई नहीं 

समिति से जुड़े पूर्व नपा अध्यक्ष अमोल राठौर, मुकेश गुप्ता, सुभाष कारपेंटर और मोहम्मद बादशाह ने बताया कि पहले तो पूर्व सीएम जोशी हमारी बात रखते थे लेकिन अब तो हमारी बात प्रदेश नेतृत्व के सामने रखने वाला कोई नहीं है। प्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐसा कोई ठिकाना नहीं जहां रूककर मुख्यमंत्री से मिलने का इंतजार किया जा सके। खंडवा लोकसभा के उप चुनाव के समय प्रदेश की पर्यटन मंत्री ने आश्वासन के साथ हमें मुख्यमंत्री से मिलने के लिए राजी किया था। लेकिन क्या अब प्रदेश सरकार को अपने लोगों की चिंता नहीं है।

*ग्राम-ग्राम में उत्साह* 

बागली जिला बनाओ आंदोलन का अगला चरण जन हुंकार रैली है। जिसमें भाग लेने के लिए ग्रामीण भी उत्साहित हैं और दूर-दराज के क्षेत्रों से भी रैली में शामिल होने के लिए क्षेत्रवासी आने की तैयारी कर रहे हैं। कार्यक्रम से जुड़े चन्दन नटेरिया और देवेंद्र उपाध्याय ने बताया कि इंटरनेट मीडिया पर भी अभियान को समर्थन मिल रहा है। लोग एक्स पर भी ज़िले के मुद्दे को उठा रहे हैं। हम हाटपिप्पल्या में पूर्व सीएम जोशी की प्रतिमा अनावरण का वह वीडियो शेयर कर रहे है जिसमें मुख्यमंत्री ने रामायण की चौपाइयां दोहराकर बागली को जिला बनाने की बात कही थी।

 *सामूहिक रूप से नाम कटवाएंगे* 

समिति के कैलाश गुप्ता और गोपी शर्मा ने कहा कि यदि अब भी शासन ने जवाबदेही तय नहीं की तो हम फॉर्म नंबर 7 भरकर मतदाता सूचियों से नाम कटवाएंगे और उसके लिए कारण यही होगा कि बागली को जिला नहीं बनाया जिससे विकास कार्य ठप हुए और रोजगार के अवसर समाप्त हुए।