गदर के पहले भी बनी हैं 2 देशों और राष्ट्र विभाजन पर केंद्रित फिल्में

एक बार फिर सेल्यूलाइड पर आया राष्ट्र विभाजन का दर्द

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गदर के पहले भी बनी हैं 2 देशों और राष्ट्र विभाजन पर केंद्रित फिल्में

अशोक मनवानी की विशेष रिपोर्ट 

फिल्म गदर -2 फिल्म भारत पाकिस्तान बंटवारे से जुड़ी प्रेम कहानी है। बीते माह से फिल्म की काफी चर्चा है।विभाजन का हादसा जो 76 वर्ष पहले हुआ, आज भी ताजा है। जख्म भरा ही नहीं।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद करने की बात कही। बंटवारे की भयावहता का दंश झेल चुके लोगों को गत मास राष्ट्र ने नमन् किया। अब अगस्त की 14 तारीख का देश और दुनिया के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान हो गया है। आजादी के अमृत महोत्सव पर उस दौर को याद करना इसलिए भी प्रासंगिक है क्योंकि यह वो पेचीदा दौर था जब लाखों परिवारों ने बंटवारे का दर्द सहा। आज भी वे बंटवारे के प्रभाव महसूस करते हैं, यह कहना गलत न होगा। बीसवीं सदी की बड़ी त्रासदियों में भारत पाकिस्तान बंटवारे को दर्ज किया गया है। बंटवारे पर बनी फिल्में देखने में भारतीय दर्शक ही नहीं अन्य देशों के दर्शक भी रूचि लेते हैं।

*तमस ने छोड़ा था अलग प्रभाव*

भारत और पाकिस्तान के विभाजन, युद्ध और दो देशों के दो प्रेमियों की प्रेम कथा पर काफी फिल्में बनी हैं। बंटवारे पर काफी कुछ साहित्य प्रकाशित हुआ है। यदि हिन्दी साहित्य की बात करें तो हिन्दी में भीष्म साहनी का तमस किसने नहीं पढ़ा होगा। साहित्य अनुरागी इसे पढ़ चुके हैं और इस पर निर्मित गोविंद निहलानी की फिल्म “तमस” भी दूरदर्शन पर देख चुके हैं। यह विभाजन पर बनी सबसे लंबी पांच घंटे अवधि की फिल्म है। साथ ही सबसे लोकप्रिय फिल्म भी इसे माना गया।

साहित्य से ही अनेक फिल्में दर्शकों के लिए बनाई गईं। अगर हम सिलसिलेवार, वर्षवार बात करें तो हमें बहुत पीछे जाना होगा। वर्ष 1958 में सिंधी भाषा में अर्जुन हिंगोरानी और दीपक आशा के निर्देशन में फिल्म “अबाणा” का निर्माण हुआ था। इसमें देश के बंटवारे की तकलीफ को अभिव्यक्ति देने वाले गायक मास्टर चंदर का गीत यादगार था। यह अभिनेत्री साधना की पहली फिल्म थी। अभिनेत्री शीला रमानी और श्याम कुमार ने भी अभिनय किया था। वर्ष 1964 में “हकीकत” फिल्म बनी। भारत चीन युद्ध पर आधारित इस फिल्म में जयंत जी और धर्मेंद्र का यादगार अभिनय सिने प्रेमियों को याद है।

साल 1973 की “गर्म हवा” फिल्म की बात करें तो उसके डायरेक्टर श्री एम.एस. सथ्यू थे। इसमें फारूख शेख और बलराज साहनी का अभिनय भी था। यह इस्मत चुगताई की कहानी पर आधारित थी। वर्ष 1973 में ही फिल्म “हिन्दुस्तान की कसम” बनी थी जो शुद्ध भारत-पाक युद्ध पर आधारित थी। चेतन आनंद की फिल्म थी। राजकुमार और अमजद खान ने फिल्म में अभिनय किया।

इसके बाद अनेक फिल्में बनीं, वर्ष 1982 में “गांधी” फिल्म आई। विभाजन पर केन्द्रित फिल्मों के विषयों में प्रेम और युद्ध भी शामिल रहे हैं। कुछ फिल्में शुद्ध विभाजन की त्रासदी को दिखाती हैं। गांधी फिल्म में भी जिसमें बेन किंग्सले ने गांधी का अभिनय किया था। काफी सफल फिल्म रही। यह फिल्म भारत पाकिस्तान की आजादी और बंटवारे की कहानी के उस तत्कालीन दौर को प्रस्तुत करती है। गोविंद निहलानी की “तमस” 1988 में आई। दूरदर्शन पर इसके एक-एक घंटे के पांच एपीसोड टेलीकास्ट किए गए थे। फिल्म समीक्षकों ने इसे बहुत सराहा।

 

*हिन्दी के साथ ही पंजाबी में भी बनी फिल्में*

 

वर्ष 1998 में ही “ट्रेन टू पाकिस्तान” आई जो खुशवंत सिंह के उपन्यास पर आधारित थी और इसका फिल्मांकन करना कठिन था। पहले सालों में शशि कपूर और शबाना आजमी ने भी प्रयास किए थे लेकिन अंतत: यह पामिला रोक्स के हिस्से में आई और उन्होंने इस पर फिल्म बनाईं। इसमें अंग्रेजी और पंजाबी भाषा का प्रयोग था। निर्मल पांडे, रजित कपूर और मोहन आगाशे ने इस फिल्म में बहुत अच्छा अभिनय किया है।

 

*गदर के पहले शहीद-ए-मोहब्बत बूटा सिंह में दिखी दो देशों के प्रेमियों की कहानी*

 

बंटवारे की थीम पर एक बहुत अच्छी 1999 में आई थी। “शहीद-ए- मोहब्बत बूटा सिंह”, इसमें बूटा सिंह जो भारतीय नागरिक है, अपनी पाकिस्तानी प्रेमिका के साथ विवाह कर लेता है। लेकिन इस बीच पाकिस्तान से बूटा सिंह की पत्नी का परिवार उसे ले जाता है और बूटा सिंह पत्नी के गांव जा पहुंचता है। उस गाँव में अपने बेटे के साथ बूटा सिंह फिर परिवार को एक रखने के लिए संघर्ष करता है। लेकिन परिवार के दबाव में कोर्ट में बूटा सिंह की पत्नी यह बयान दे देती है कि उसका बूटा सिंह से कोई संबंध नहीं है। यह सुनकर बूटा सिंह का दिल टूट जाता है। तब उस गाँव में ही बूटा सिंह खुदकुशी कर लेता है। उसने इसी गांव में दफन होने की इच्छा व्यक्त की थी। तब गाँव के युवा उसके प्रेम के प्रति एक स्मारक और समाधि के रूप देते हैं। शहीद-ए- मोहब्बत बूटा सिंह एक मार्मिक प्रेम कथा है।

वर्ष 2000 में “हे राम” आई, जिसमें कमल हसन का शानदार अभिनय हमने देखा। इलिया राजा के संगीत से सजी फिल्म में शाहरूख खान, रानी मुखर्जी, नसीरउद्दीन शाह, हेमामालनी, ओम पुरी, गिरीश कर्नाड और सौरभ शुक्ला जैसे बेहतरीन और मंझे हुए कलाकारों ने अभिनय किया।

फिल्म “गदर” वर्ष 2001 में आई, जिसमें फिल्म “शहीद-ए- मोहब्बत बूटा सिंह” की ही थीम थी। दुखांत की जगह इसमें सुखांत था। इस फिल्म में सनी देओल का अभिनय था। इसके लेखक शक्तिमान तलवार थे, वे मूल लेखक न होकर स्क्रीन प्ले राइटर थे। यह फिल्म गदर पार्ट टू नाम से वर्ष 2023 में प्रदर्शित हो रही है। सनी देओल और अमीषा पटेल फिर से नायक नायिका के रूप में सामने आए हैं।

इसके बाद साल 2003 में डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने फिल्म “पिंजर” बनाई जो अमृता प्रीतम जी के उपन्यास पर आधारित थी। इसे राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का अवार्ड मिला था। इसी साल अर्थात वर्ष 2003 में “खामोश पानी” फिल्म बनी, जिसके लिए श्रीमती किरण खेर को बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार भी मिला। यह भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में प्रदर्शित हुई थी। यह फिल्म वर्ष 2004 में पाकिस्तान में भी प्रदर्शित हुई, इसकी राइटर प्रोमिता वोहरा थीं। सबीहा समर ने इसका निर्देशन किया। फिल्म की भाषा पंजाबी थी। “पार्टीशन” जो गुरिंदर चड्ढा की कहानी पर आधारित है। विभाजन पर जो अच्छी फिल्में बनी हैं, उनमें “वीर ज़ारा” भी शामिल है। यह फिल्म वर्ष 2004 में आई। यह फिल्म यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी थी।

फिल्म 2007 में अंग्रेजी भाषा की फिल्म पार्टीशन का निर्माण हुआ। इसकी शूटिंग कमलूप्स, ब्रिटिश कोलंबिया और कनाडा में हुई। फिल्म की कहानी पेट्रीसिया फिन और विक सरीन ने लिखी। यह भारत के विभाजन पर बनी एक अच्छी फिल्म मानी जाती है।

दो मुल्कों के रिश्ते किस तरह बनते और बिगड़ते हैं? मानवता किस तरह शर्मसार होती है? किस तरह इंसानियत एक दूसरे की मदद करती है? इन सब सवालों और कथानकों को इन फिल्मों में प्रदर्शित किया गया है। आज भी दर्शक से 75 वर्ष बाद भी उस हादसे को भूले नहीं हैं। हादसा ही मानते हैं। देश का बंट जाना और कोमों के बीच मतभेद उभरना एक त्रासदी से कम नहीं है। यह दरअसल वैश्विक त्रासदी है और मानवीय मूल्यों का एक कारूणिक अवमूलन है। लेकिन इसके बाद भी हिन्दी साहित्य और सिनेमा में आज एक आशावाद है और आज आम आदमी अपनी खोई हुई उम्मीदें ऐसे ही विषयों में तलाश रहा है।