भाजपा हो या कांग्रेस…धर्मम् शरणम् गच्छामि… पितृपक्ष में टलेंगे टिकट, सूर्य के धनु राशि में जाने से पहले लेंगे शपथ

420

भाजपा हो या कांग्रेस…धर्मम् शरणम् गच्छामि… पितृपक्ष में टलेंगे टिकट, सूर्य के धनु राशि में जाने से पहले लेंगे शपथ

भोपाल
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सनानत धर्म पर होते पक्ष-विपक्ष के वार-पलटवार के बीच अब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही धर्मम् शरणम् गच्छामि की मुद्रा में दिखाई देंगे। इसके चलते उम्मीदवारों के ऐलान से लेकर उनके नामांकन भरने और मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने तक सनानती परम्परा अनुसार ही शुभ मुहूर्त में ही काम किए जाने पर जोर दिया जा रहा है।

इसके जरिए दोनों ही दल सनानती ज्ञान, संस्कार और परम्परा का पालन करने का संदेश ना सिर्फ अपनी विजय सुनिश्चित करने के लिए देंगे, बल्कि सत्ता के शिखर तक पहुंचने में भी इसका पालन दिखाई दे सकता है।

वास्तु शास्त्र का रखा ध्यान
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों ने अपने प्रदेश दफ्तर में वास्तु शास्त्र का ध्यान रखा है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के भवन में वास्तु दोष दूर करने को लेकर कई निर्माण कार्य किए गए, तो कई को सुधारा गया। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय बिल्डिंग में जहां बेसमेंट में भरे हुए पानी को निकाल कर अब कांग्रेस के कई पदाधिकारियों के चैम्बर बनाए गए हैं। वहीं भवन के वॉशरूम को भी सुधारा गया है। बैसमेंट में जाने का एक रास्ता भी बंद किया गया। इसके अलावा एक मेन गेट को भी अब बंद कर दिया गया है। इधर भाजपा हाल ही में नए भवन में शिफ्ट हुई है। इसमें भी वास्तु दोष न हो इस पर विशेष ध्यान दिया गया है। हालांकि दोनों ही दलों के भवन में वास्तु दोष से कितना लाभ मिलेगा यह आने वाले दिसंबर में पता चलेगा।
पितृपक्ष में उम्मीदवारों का ऐलान करने से बचेंगे

सूत्रों की मानी जाए तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही यह तय किया है कि इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे पितृपक्ष में प्रत्याशियों के ऐलान करने से बचा जाए। सनानत में ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में नए कार्य करने से बचना चाहिए। इसके चलते टिकटों का ऐलान करने से बच सकते हैं। भाजपा अपने उम्मीदवारों का ऐलान 28 सितम्बर तक कर सकती है। उसके बाद 15 अक्टूबर को करेगी। इसी तरह का प्लान कांग्रेस में बन रहा है कि वह भी अक्टूबर में नवरात्रि के दौरान अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करेगी।

नामांकन भी शुभ मुहूर्त में
यह परम्परा वैसे पुरानी है कि अधिकांश उम्मीदवार नामांकन शुभ मुहूर्त में भी दाखित करते हैं। इसके लिए वे एक बार अपने मुहूर्त अनुसार नामांकन जमा करने जाते हैं, जबकि दूसरी बार वे जुलूस जलसे के साथ जमा करने जाते हैं। यह परम्परा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल के अधिकांश उम्मीदवार करते आएं हैं। इस बार इस पर ज्यादा ध्यान दिया जा सकता है।

इस बार सूर्य के अस्त होने से पहले हो सकती है शपथ
ऐसा माना जाता है कि सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास या धनुर्मास प्रारंभ हो जाता है और मांगलिक कार्यो पर रोक लग जाती है। इस साल 16 दिसंबर को सूर्य, वृश्चिक राशि से निकल कर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। यह योग जनवरी में मकर संक्राति तक रहेगा। इसलिए मुख्यमंत्री की शपथ 16 दिसंबर से पहले हो सकती है।

नाथ ने खरमास में ली थी शपथ
कमलनाथ ने वर्ष 2018 में सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ 17 दिसंबर को ली थी। उस वक्त सूर्य, धनु राशि में प्रवेश कर चुके थे। उन्होंने जंबूरी मैदान पर शपथ ली थी। इसके बाद उन्होंने अपने मंत्रियों को भी इसी बीच में शपथ दिलाई थी। नतीजा यह रहा कि ना वे पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे और ना ही दिसंबर 2018 में शपथ लेने वाले कोई भी मंत्री पूरे पांच साल तक पद पर रहे।