नारी शक्ति वंदन से दमक उठा नया सदन…

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नारी शक्ति वंदन से दमक उठा नया सदन…

गणेश चतुर्थी के दिन भारत का लोकतंत्र संसद के नए भवन में प्रवेश कर गया है। आजादी के अमृतकाल के बाद मिले इस नए भवन से भारत को विश्वगुरू की पुनर्स्थापना का सफर तय करना है। विश्वगुरू बनने का लक्ष्य नारी शक्ति के सहयोग के बिना नामुमकिन है। पर गणेश जी बुद्धि के देवता हैं और संसद के नए भवन में प्रवेश कर जो पहला कदम नारी शक्ति को सम्मान देने और वंदना करने का उठाया गया, वह बुद्धिमत्तापूर्ण और प्रशंसनीय है। जिस तरह पुराने संसद भवन के आखिरी भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तथ्य पेश किए थे। उसके मुताबिक मोटे तौर पर दोनों सदनों में 7500 से अधिक जन प्रतिनिधियों ने सेवा की है, जहां महिला प्रतिनिधियों की संख्या लगभग 600 रही है। इसके मुताबिक औसत 8 फीसदी महिलाएं ही सदन का हिस्सा रही हैं। यह आंकड़ा फील गुड कराने वाला कतई नहीं है। और यह तथ्य और भी ज्यादा शर्मसार करने वाला है कि लोकतंत्र में महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण देने की कवायद पिछले 27 साल से चलते-चलते सोच की विडंबना का रोना रोने को मजबूर है। इन 27 सालों में भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों ने सत्ता में रहकर अपनी उपलब्धियों का भी खूब ढिंढोरा पीटा है। और मोदी सरीखा दुनिया का सबसे लोकप्रिय और ताकतवर नेता भी अपने शासनकाल के नौ साल बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम पेश कर पाया है। पर खुशी की बात है कि कम से कम नए संसद भवन का यह पहला संविधान संशोधन विधेयक नारी शक्ति वंदन अधिनियम लोकसभा में पेश हो गया है। और उम्मीद है कि इक्कीसवीं सदी के तेईसवें साल में भारत का लोकतंत्र नारी शक्ति की वंदना सफलता पूर्वक कर शास्त्रों में वर्णित ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता’ के भाव को चरितार्थ कर नए संसद भवन को मंदिर और तीर्थ बनाकर ही रहेगा।

PM Narendra Modi Lok Sabha

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन में राज्यसभा में इस बिल का उल्लेख करते हुए कहा कि विधान सभा और लोक सभा में सीधे चुनाव में बहनों की भागीदारी सुनिश्चित करने का विषय बहुत समय से चल रहा है। बहुत समय से आरक्षण की चर्चा चली थी। हर किसी ने कुछ न कुछ प्रयास किया है। 1996 से इसकी शुरूआत हुई है और अटल जी के समय तो कई बार बिल लाए गए। लेकिन नंबर कम पड़ते थे उस उग्र विरोध का भी वातावरण रहता था, एक महत्वपूर्ण काम करने में काफी असुविधा होती थी। लेकिन जब नए सदन में आए हैं। नया होने का एक उमंग भी होता है तो मुझे विश्वास है कि ये जो लंबे अरसे से चर्चा में रहा विषय है अब इसको हमने कानून बनाकर के हमारे देश की विकास यात्रा में नारी शक्ति की भागीदारी सुनिश्चित करने का समय आ चुका है। और इसलिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया है।

यह सुखद ही है कि संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया है। इस विधेयक में प्रावधान है कि लोकसभा, दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगी। यानी कि महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित होंगी। इस ऐतिहासिक बदलाव के बाद से सक्रिय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में 19 सितंबर 2023 को महिला आरक्षण बिल  पेश किया। इस विधेयक के कानून में बदलने के बाद सदन में महिलाओं की 33 प्रतिशत अनिवार्यता हो जाएगी। इसे 128वें संविधान संशोधन विधेयक के तहत पेश किया गया है। इस संशोधन के बाद लोकसभा में एक तिहाई भागीदारी महिलाओं की होगी। इस विधेयक से महिला सशक्तिकरण को मजबूती मिलने के साथ ही आधी आबादी के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा मिलेगा।

लोकतंत्र के रखवालो, नारी शक्ति के लिए लिए दरवाजे खोलिए और देखिए कि कैसे वो अपने अधिकारों को प्राप्त करती हैं। लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की 33 प्रतिशत सीटें अनिवार्य हो जाएगी। इसके तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आवंटित सीटों में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएंगी।महिलाओं की भागीदारी बढ़ जाएगी और महिलाओं के लिए लाया गया आरक्षण 15 वर्षों तक प्रभाव में रहेगा। इसके साथ ही इसमें प्रावधान है कि सीटों का आवंटन रोटेशन प्रणाली के तहत की जाएगी। इससे हर अंचल में सशक्त महिला नेतृत्व विकसित होगा। और तब नए भारत की सशक्त तस्वीर का साक्षी भारत का लोकतंत्र और इक्कीसवीं सदी बनेगी। नारी शक्ति वंदन से वास्तव में नया सदन दमक उठा है…।