Vallabh Bhavan Corridor to Central Vista:85 बैच के दो IAS अधिकारियों को राहत, एक पूर्व CS, एक वर्तमान!
इसे संयोग ही माना जाना चाहिए कि प्रदेश के दो मुख्य सचिव (एक भूतपूर्व और एक वर्तमान) को अलग-अलग अदालतों से अलग-अलग मामलों में लगभग एक ही समय राहत मिली। एक को तेलंगाना हाईकोर्ट से तो दूसरे को एनजीटी की केंद्रीय पीठ से राहत मिली। यह भी संयोग की बात है कि दोनों मुख्य सचिव भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1985 बैच के अधिकारी हैं। एक कमलनाथ के चहेते अधिकारी होकर उनके मुख्य सचिव रहे और दूसरे शिवराज के पसंदीदा अधिकारी जो पिछले करीब तीन साल से मुख्य सचिव हैं।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने कलियासोत और केरवा बांध मामले की सुनवाई करते हुए अपने पिछले आदेश में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस पर की गई टिप्पणी को वापस ले लिया। साथ ही मुख्य सचिव पर लगाए 5 लाख रुपए के जुर्माने को भी हटा दिया। नए आदेश में ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार और मुख्य सचिव की ओर से उठाए गए कदमों पर संतुष्टि जताते हुए उन्हें सराहा भी गया। NGT ने राज्य सरकार की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई थी। लेकिन, शासन की तरफ से एनजीटी की केन्द्रीय पीठ को वस्तुस्थिति से अवगत कराए जाने के बाद 20 सितंबर को एनजीटी ने मुख्य सचिव के खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणी को और जुर्माने को वापस ले लिया।
उधर, प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव (CS) एम गोपाल रेड्डी को इंफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट (ED) द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट से राहत मिल गई। तेलंगाना हाईकोर्ट ने पूर्व CS के खिलाफ मामला खारिज कर दिया। ई-टेंडरिंग मामले में भोपाल की एक अदालत ने एक आरोपी को बरी करने के बाद हाईकोर्ट ने मामले को खारिज कर दिया था। तेलंगाना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति के सुरेंद्र ने कहा कि चूंकि मुख्य मामले में आरोपी को आरोपों से मुक्त कर दिया गया, इसलिए इस मुद्दे को अब जारी रखने का कोई कारण नहीं होना चाहिए।
उमा भारती का चिर असंतोष फिर सामने आया!
कुछ लोगों के बारे में धारणा बन जाती है कि वे कभी खुश नहीं होते। ऐसे लोगों में भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को भी गिना जा सकता है, जो हमेशा असंतुष्ट दिखाई देती है। वे इसी असंतोष को लेकर बयानबाजी करने के साथ काम भी करती हैं। संसद के दोनों सदनों में महिला आरक्षण बिल पास हो गया। किसी ने भी इस आरक्षण बिल का विरोध नहीं किया। लेकिन, जहां से विरोध शुरू हुआ, वह भाजपा की ही नेत्री उमा भारती है।
उन्होंने अपनी ही पार्टी को इस मुद्दे पर कटघरे में खड़ा कर दिया। उनका कहना है कि ओबीसी आरक्षण की वजह से ही यह विधेयक इतने सालों तक रुका रहा, अभी भी उस मसले के निराकरण के बिना इसे पारित कर दिया गया। इसी को लेकर उमा भारती ने ओबीसी वर्ग के नेताओं की बैठक भी बुलाई। अब यह बात अलग है कि उन्हें इस मुद्दे पर कितना समर्थन मिलता है।
उनका कहना यह है कि पिछड़े वर्गों को स्थान देने के लिए एक और संशोधन का मार्ग निकालना चाहिए। विधेयक पेश होने के दिन से ही उमा भारती इसे लेकर तलवार भांजने लगी थी। उन्होंने मध्य प्रदेश में महिला आरक्षण बिल के विरोध में अभियान शुरू करने का ऐलान भी किया। उन्होंने ओबीसी महिलाओं को अधिक आरक्षण देने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा है। लेकिन, पार्टी की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। लगता है आना भी नहीं है।
भाजपा विधायक की पीड़ा से उपजा दर्द!
भाजपा में इन दिनों अंदर ही अंदर जबरदस्त खदबदाहट देखी जा रही है। पार्टी संगठन को कई तरह का विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी से कुछ लोगों का असंतुष्ट होना स्वाभाविक है। लेकिन, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और संगठन द्वारा अपेक्षा किया जाना अलग बात है। क्योंकि, सभी को संतुष्ट किया भी नहीं जा सकता।
विदिशा जिले की सिरोंज-लटेरी विधानसभा सीट के विधायक उमाकांत शर्मा ने सोशल मीडिया पर अपनी अलग ही पीड़ा व्यक्त की है। उन्होंने लिखा कि अगर मेरे अंत के भी अंत में सिर्फ दो ही चीज धोखा देना और धोखा खाना हैं, तो में धोखा खाना ही पसंद करूंगा, फिर क्यों नहीं मुझे मृत्यु का ही वरण क्यों न करना पड़े। यह बात अलग है, कि हम सबके परम प्रिय, सिरोंज-लटेरी क्षेत्र के लाडले बेटे, मेरे सर्वस्व, मेरे मंझले भाई परम श्रद्धेय स्व लक्ष्मीकांत जी शर्मा ने धोखा भी खाया और मौत भी वरण कर ली और अब मेरा नंबर है। मैं मर जाऊंगा, लेकिन धोखा किसी को नहीं दूंगा। धोखा देकर झूठ बोलकर मुझे मारने पर तुले हुए महानुभावों भगवान आपका भी भला करें।
उनकी इस पोस्ट में न तो किसी का नाम और न उन्हें धोखा देने या धोखा खाने की किसी बात का कोई स्पष्ट उल्लेख है। लेकिन, जिस अंदाज में यह पोस्ट लिखी गई, उससे लगता है कि वे बेहद आहत हैं!
विधुड़ी के असंसदीय बयान से छिड़ी राजनीति!
अभी तक कोई भाजपा सांसद रमेश विधुड़ी का नाम भी नहीं जानता था, पर अब सब जानते हैं। इसलिए कि उन्होंने संसद में जिस तरह बीएसपी के सांसद दानिश अली के खिलाफ असंसदीय भाषा का प्रयोग किया वो किसी को रास नहीं आया। उनके खिलाफ पूरे देश में गुस्सा देखा जा रहा है। हर तरफ उनके बयान की निंदा की जा रही। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी उन्हें कारण बताओ नोटिस थमा दिया।
संसद के विशेष सत्र के दौरान भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी चंद्रयान की सफलता पर लोकसभा में बोल रहे थे। इसी दौरान वे टोका-टिप्पणी से इतना चिढ गए कि बीएसपी सांसद पर धर्मगत के साथ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने लगे। उनके बयानों के सियासी गलियारे में भूचाल आ गया। विपक्ष भी भाजपा को आड़े हाथ लेता दिखाई दे रहा है।
आपत्तिजनक टिप्पणी पर दानिश अली ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में इस तरह के बर्ताव से भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना पूरा नहीं होने वाला। इस तरह की नफरत की खेती बंद कीजिए। आपने मदर ऑफ डेमोक्रेसी कहे जाने वाले भारत की संसद में एक अल्पसंख्यक समुदाय के संसद सदस्य को ही अपमानित नहीं किया, बल्कि पूरे देश को शर्मसार किया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर रमेश बिधूड़ी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो वो सांसदी छोड़ देंगे।
PM मोदी ने फिर शहडोल की फुटबॉल क्रांति और मिनी ब्राज़ील का उल्लेख किया!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इंटरनेशनल स्टेडियम का शिलान्यास करते हुए मध्यप्रदेश के एक आदिवासी इलाके की फुटबॉल क्रांति का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस इलाके के गांव-गांव में फुलबॉल को लेकर जुनून है। दरअसल, प्रधानमंत्री कुछ महीने पहले शहडोल आए थे। यहां उन्हें बताया गया कि युवाओं में फुटबॉल को लेकर जबरदस्त क्रेज है।
प्रधानमंत्री ये जानकर बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने बाद में अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भी शहडोल की फुटबॉल क्रांति और मिनी ब्राजील के रूप में जाने गए ग्राम विचारपुर का उल्लेख किया था। प्रधानमंत्री मोदी यहाँ पिछली 1 जुलाई की यात्रा में फुटबॉल के युवा और बाल खिलाड़ियों से मिले थे। 1200 से अधिक फुटबाल क्लब शहडोल और उसके आसपास के ग्रामों में चल रहे हैं। इन क्लबों को प्रशासन ने फुटबॉल और खेल मैदान की सुविधा उपलब्ध करवाई गई हैं।
आज फिर प्रधानमंत्री ने शहडोल के फुलबॉल जुनून का अपने संसदीय क्षेत्र में स्टेडियम के शिलान्यास अवसर पर उल्लेख किया। ये वास्तव में मध्यप्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है कि यहां के एक आदिवासी इलाके का प्रधानमंत्री बार-बार उल्लेख करते हैं। दरअसल, इसके पीछे शहडोल संभाग कमिश्नर राजीव शर्मा की लगन को नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने सुविधाएं जुटाकर यहां के युवाओं को एक नई दिशा दी, जिसे हमेशा याद किया जाएगा।
कमलनाथ की ये गलती पार्टी पर भारी पड़ेगी!
चुनाव के समय जब राजनीतिक दल और नेता बहुत संभलकर चलते हैं और कोई भी ऐसा विवाद खड़ा करने से बचते हैं, जिससे उनका राजनीतिक नुकसान हो! लेकिन, लगता है कमलनाथ इसे याद नहीं रख पाए और शनिवार को उन्होंने बैठे-ठाले भाजपा को एक पका-पकाया मुद्दा तश्तरी में परसकर देने के साथ मीडिया को भी नाराज कर दिया।
इंदौर में एक कार्यक्रम में कमलनाथ ने मीडिया को बाहर निकाल दिया। इससे पहले उनके सुरक्षाकर्मी ने मीडिया से बदसलूकी की। इसका नतीजा यह हुआ कि शहर का मीडिया उनके खिलाफ खड़ा हो गया और भाजपा ने भी कांग्रेस पर हमला बोल दिया। इसलिए कि कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं और पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा हैं। लेकिन, आज उन्होंने मीडिया के साथ जिस तरह का सुलूक किया उससे लगता है उन्होंने अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार ली।
अब भले कमलनाथ और कांग्रेस कितनी भी सफाई दें, लेकिन जो होना था वह तो हो चुका। एक बात और बता दें कि कमलनाथ के साथ हमेशा दिखाई देने वाले उनके एक सुरक्षाकर्मी को लेकर पहले भी मुद्दा उठ चुका है। वह जिस तरह मंच पर कांग्रेस के नेताओं को धकियाकर दूर करते हैं ,यह माना जा रहा था कि किसी दिन यह मुद्दा विवाद खड़ा करेगा। भाजपा ने तो इसे मुद्दा बना ही लिया।
CAG में हुए तबादलों को लेकर सत्ता के गलियारों में जोरदार चर्चा
दिल्ली में सत्ता के गलियारों में CAG कार्यालय में हुए ढेर सारे तबादलों को लेकर जोरदार चर्चा चल रही है। पहली बार एकसाथ 37 IA&AS अधिकारियों के तबादले किये गये हैं। इनमें प्रधान AG से लेकर निदेशक स्तर तक के अधिकारी है। बडे पैमाने पर हुए तबादलों के पीछे की कहानी भी बडी अजीब है जो कि परिवहन मंत्रालय की आडिट रिपोर्ट से जुडी बतायी जाती है। इस रिपोर्ट की आंच महाराष्ट्र तक पहुंची इसलिए दिल्ली के साथ मुम्बई के AG भी तबादले की चपेट में आ गये। तबादला सूची में गुजरात, केरल, प्रयागराज के ए जी के भी नाम है। इन तबादलों को लेकर अधिकारियों में काफी असंतोष है।
महिला आरक्षण विधेयक और राहुल गांधी की माफी
बहु प्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक तो संसद से पारित हो गया लेकिन श्रेय लेने की होड़ में राजनीतिक दल हर सीमा को पार करने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस के राहुल गांधी तो 2010 में उनकी सरकार द्वारा यह विधेयक न पास कराने मे असमर्थ रहने के लिए क्षमा भी मांगी है। लेकिन राजनीतिक हलकों मे इस विधेयक को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। सरकारी गलियारे भी इससे अछूते नहीं है।
14 राज्यों के IAS अपर सचिव इंपैनल्ड नही हुए
पिछले हफ्ते केंद्र सरकार में अपर और संयुक्त सचिवों के एम्पैनलमेंट मे कुछ ही राज्यो के अफसरों को ही शामिल किया गया है। 14 राज्यों के आईएएस अपर सचिव एम्पैनल नही हुए। मध्य प्रदेश को भी ज्यादा सफलता नहीं मिली। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1998 बैच के केवल एक अधिकारी ही सफल हो सके।