सरकारें कितनी भी रियायत देने पर आमादा हो जाएं, लेकिन कोरोना का खतरा फिर मंडरा रहा है। स्कूल 100 फीसदी क्षमता से खोल दिए जाएं या बाजार, सिनेमा, होटल-रेस्टोरेंट, बस, ट्रेन, हवाई जहाज का सफर सब जगह भीड़ जुटा ली जाए, लेकिन यह ध्यान रहे कि सावधानी में ही सुरक्षा है। शादियों की भीड़ हो या पार्टियों की मस्ती, यह कब जिंदगी पर भारी पड़ जाएगी, कोई नहीं बता सकता।
डॉक्टर और अस्पतालों या दवा, वैक्सीन की उपलब्धता से कोई खतरा कम नहीं आंका जा सकता। कोरोना की दूसरी लहर का मातम अभी घरों में पसरा हुआ है और तीसरी लहर की भयावहता का डोज पहले ही दिया जा चुका है। अपने देश में सितंबर 2020 में पहली लहर ने कहर बरपाया था, तो अप्रैल 2021 में दूसरी लहर ने कोहराम मचाया था और अब 2021 विदा होने को है। 2022 दस्तक देने को तैयार है और कोरोना के मरीजों का आंकड़ा हौले-हौले अपनी रफ्तार बढ़ा रहा है। नया वैरिएंट बोत्सवाना या ओमिक्रॉन दुनिया में खलबली मचा रहा है।
भारत में भी दहशत है। अफ्रीका से आए दो यात्री कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें नया वैरिएंट होने की पड़ताल जारी है। यह दो का आंकड़ा एक पर एक ग्यारह की तर्ज पर अपना दायरा कई गुना बढ़ाने में माहिर है। तेजी से फैल रहा यह वैरिएंट डेल्टा से सात गुना ज्यादा संक्रामक है। तो भैया सीधे से समझ लो कि नया वैरिएंट बोत्सवाना, डेल्टा वैरिएंट का अंकल है। दूसरी लहर में अपनों को खोने का दर्द अभी दिलों में जिंदा है और आंखों के आंसू अभी सूखे भी नहीं है।
ऐसे में कोरोना के नए मरीजों की कम संख्या से चैन की सांस लेने का मन मत बनाइए और वैक्सीन के दोनों डोज ध्यान से लगवा लीजिए, ताकि सरकार और व्यवस्थाओं को दोष देने और घरों में मातम मनाने की नौबत को हर हाल में टाला जा सके। क्योंकि अगर स्थितियां प्रतिकूल हुईं तो “जाको राखे साईयां”…की कहावत के भरोसे मौत को ठेंगा दिखाने का दुस्साहस कारगर साबित नहीं हो सकेगा। शादी की खुशियां भीड़भाड़ की मोहताज नहीं हैं।
चुनावों में भीडभाड़ में मतदान करने से किसी को जीवनदान नहीं मिल सकता। 28 उपचुनावों में लोकतंत्र की भीड़ का खामियाजा जन-जन ने भुगता है और आगे भी सरकार बार-बार यह चेता रही है कि कोरोना अभी गया नहीं है। तो हमारी जिंदगी हमारी ही लापरवाहियों की भेंट चढ़े, इससे पहले ही भीड़भाड़ से दूर खड़े होने में ही भलमनसाहत है। वरना आंसुओं का सैलाब रोकने की ताकत सरकार में भी नहीं है।
सरकार … भीड़भाड़ रोकने और कोविड से सुरक्षा के कदमों का कड़ाई से पालन कराने का इंतजाम करना आपके ही वश में है। अपनी जिम्मेदारी से यह कहकर पल्ला मत झाड़िए कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रतिबंधों की अर्थी निकालना जरूरी है। स्कूल जाने के लिए मासूम बच्चों को मजबूर मत करिए…क्योंकि नौनिहालों से ही घर-संसार में खुशियों का भंडार है। लोकतंत्र को यही उजाले रोशन करेंगे। यह बुझे तो अंधेरा होने से कोई रोक नहीं सकता।
सरकारी आंकडों पर गौर करें तो प्रदेश में शनिवार तक कोविड-19 जॉच हेतु लिये गये कुल सैम्पलों की संख्या 21702349 है। अब तक कुल 793120 पॉजीटिव प्रकरण पाये गये जिनमें से 782480 कोविड-19 रोगी स्वस्थ हुए हैं तथा 10528 की मृत्यु हुई है।
वर्तमान में एक्टिव प्रकरणों की संख्या 112 है। 27.11.2021 को 12 इंदौर, 7 भोपाल, 3 रायसेन एवं जबलपुर में एक नवीन पॉजिटिव प्रकरण पाए गए हैं, जिनकी कुल संख्या 23 है तथा पॉजीटिविटी दर 0.03 प्रतिशत है। शनिवार को प्रदेश में 14 रोगी स्वस्थ्य होकर डिस्चार्ज हुए। 58052 जाँचें की गई हैं। प्रदेश में 1594 फीवर क्लीनिक एक्टिव हैं। 104 तथा 181 हेल्पलाईन नम्बर पर कुल 52428 रोगियों का टेलीकंसल्टेशन किया गया।
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तो देश में कोरोना के एक्टिव मरीज एक लाख से ज्यादा हैं और शनिवार को पिछले 24 घंटे में 8318 केस की नई एंट्री हुई है। तो आंकडों से नजर हटाइए और सरकार के इस सुर में सुर मिलाइए कि कोरोना का खतरा टला नहीं है। कर्नाटक में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। दुनिया में कहर का मंजर सामने है। देश-प्रदेश में आंकड़ों को लेकर भ्रम की लहर जारी है।
अच्छा यही है कि हम खुद अपनी सुरक्षा का ख्याल रखें, सरकार की इस मंशा पर खरे उतरें कि वैक्सीन के दोनों डोज समय पर लगवा लें। बच्चों का वैक्सीनेशन अभी नहीं हुआ। हमें यह भूलना नहीं है और भीड़भाड़ में खुशियां ढूढ़ना नहीं है। भले ही सरकारें हम सभी को भीड़ में ढ़केलने पर उतारू हैं, लेकिन हमें यह याद रखना है कि डेल्टा का अंकल है बोत्सवाना…भैया टीका के दोनों डोज जल्दी लगाना और भीड़भाड़ से खुद और परिवार को बचाना…।
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उसके साथ ही पड़ोस और समाज की चिंता भी करना और शहर, प्रदेश और देश की सुरक्षा का फर्ज भी निभाना है। तो कोरोना को बाय-बाय कहने के लिए भीड़भाड़ वाली जगहों को सबसे पहले बाय-बाय कहिए, आज ही और अभी। दो गज दूरी और मास्क भी है जरूरी।