The saga of Chhatrapati Maharaja Shivaji – Janata Raja छत्रपति महाराजा शिवाजी की गाथा – जाणता राजा
महाराष्ट्र के बाबा साहेब पुरंदरे महानाट्य जाणता राजा के ओजस्वी रचनाकार है. उनका यह प्रयास आने वाली पीढ़ियां छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ी रहेंगी . बाबासाहेब का यह काम प्रेरणा देने वाला था और निरंतर जारी है. जाणता राजा (दूरदर्शी राजा) गुरु समर्थ रामदास का अपने शिष्य शिवाजी को दिया गया विशेषण है . शिवाजी के कार्यों, निभाई गई जिम्मेदारियों और सामाजिक राजनीतिक भूमिकाओं में उभरी उनकी चारित्रिक गरिमा को शब्द देने के लिए साहित्यकारों, सहयोगियों और उनके प्रियजनों ने भिन्न संबोधनों का प्रयोग किया . इस विशेषण के जरिए शिवाजी के व्यक्तित्व, स्वभाव और चरित्र को संज्ञा देने का प्रयास है .
महू के साप्ताहिक समाचार पत्र “प्रिय पाठक” के सम्पादक, प्रसिद्ध पत्रकार दिनेश सोलंकी बताते है कि – अभी महू शहर के गेरिसन मैदान पर शुक्रवार रात 7.30 बजे से संस्कृति विभाग मप्र द्वारा आयोजित तीन दिवसीय जाणता राजा महानाट्य मंचन की शुरुआत हुई है. यहाँ के बाद इसका मंचन इंदौर में होने जा रहा है. इस नाट्य मंचन में महाराष्ट्र कीर्ति सौरभ प्रतिष्ठान पुणे के 120 से ज्यादा कलाकारों ने सवा तीन घंटे की प्रस्तुति के दौरान छत्रपति वीर शिवाजी की जन्म के पहले की स्थिति से लेकर राज्य अभिषेक तक की पूरी शौर्य गाथा का जीवंत प्रदर्शन किया . नाटक की शुरुआत क्षेत्रीय विधायक व संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर द्वारा की गई . नाटक के प्रारम्भ से पहले शहर के सीबी गर्ल्स स्कूल चौराहा से कार्यक्रम स्थल तक भगवा पताका थामे पैदल मार्च भी किया गया . इसमें आदिवासी नृत्य टोली आकर्षण का केंद्र रही . वहीं नाट्य मंचन में हाथी, ऊंट व घोड़े का उपयोग भी किया गया . नाट्य मंचन में जिला प्रशासन व स्टेशन हैडक्वार्टर का भी सहयोग रहा .
उन्होंने आगे बताया कि , यहाँ नाटक की प्रस्तुति के लिए बाकायदा किले की आकृति वाला स्टेज बनाया गया है . यह स्टेज 120 फीट लंबा, 40 फीट चौड़ा व 30 फीट ऊंचाई वाला है. इस स्टेज पर 120 से ज्यादा कलाकारों ने वीर शिवाजी के विभिन्न दृश्यों का जीवंत प्रदर्शन किया . नाटक के सूत्रधार अभिषेक जाधव व वीर शिवाजी की भूमिका डॉ. प्रसन्न परांजपे ने निभाई . नाट्य मंचन में प्रवेश पूरी तरह निशुल्क रखा गया है .
बाबा साहेब पुरंदरे द्वारा देश विदेश में अनगिनत जगह सैकड़ों की संख्या में मंचित किए गए सुप्रसिद्ध नाटक जाणता राजा भारत के गौरवशाली इतिहास का गान दुनिया भर में कर चुका है . करोड़ों लोगों तक शिवाजी महाराज के आदर्श जीवन चरित्र और उत्कृष्ट व्यक्तित्व की झांकी पहुंची है .
शिवाजी महाराज पर लिखीं प्रेरक कहानियाँ वीर शिवाजी महाराज के उदात्त जीवन चरित्र का करोड़ों लोगों में जयघोष करने वाले बाबा साहेब पुरंदरे जन्मजात प्रतिभाशाली थे . उन्होंने 12 साल की अल्पआयु में ही लेखन शुरु कर दिया था . उन्हें प्रारंभ से ही इतिहास, कला, संस्कृति व नाटकों में रुचि थी। उन्होंने बचपन से ही महाराष्ट्र की माटी से निकले वीर सपूत शिवाजी महाराज के महान व्यक्तित्व पर लेखन शुरु कर दिया था . उन्होंने शिवाजी महाराज के प्रेरक जीवन से जुड़ी अनेक कहानियां लिखीं . उन्होंने अपनी अभिरुचि और शोध को एक मंच देते हुए सन 1985 में जाणता का राजा नाटक प्रस्तुत किया .
इस नाटक को महाराष्ट्र में बहुत प्रसिद्धि मिली . इसमें बाबा साहेब ने दिखाया कि वीर शिवाजी महाराज का गौरवशाली और गरिमापूर्ण राज्य किस तरह का था . शिवाजी के शासनकाल की भव्यता कैसी थी . उस समय हिन्दवी स्वराज के लिए शिवाजी महाराज ने कैसे वीरता का जयघोष किया था एवं मुगलों से लोहा लिया था . मूल रुप से मराठी में बने इस नाटक को समूचे महाराष्ट्र में बहुत पसंद किया गया . राष्ट्रवाद की अलख जन जन तक पहुंचाने वाले इस नाटक की अपार लोकप्रियता महाराष्ट्र के बाद पूरे देश के चारों कोनों में फैली . हाथी, घोड़े व उंटों के साथ भव्य पंडाल, आकर्षक साज सज्जा, महाराष्ट्रीय वेशभूषा जाणता राजा नाटक की विशेषता है .
विदेशों तक पहुंची हिन्दवी स्वराज की अलख ओजस्वी संवाद, कुशल निर्देशन और भव्यता से परिपूर्ण यह नाटक आगे चलकर बाबा साहेब पुरंदरे की पहचान बन गया . जनता राजा का देश भर में जाणता राजा नाम से भव्य मंचन हुआ . इस नाटक की खासियत रही कि बाबा साहेब पुरंदरे हर नाट्य प्रस्तुति के समय खुद दर्शक दीर्घा में बैठकर प्रस्तुति को आंकते थे . उन्होंने बढ़ती उम्र को नजरअंदाज करते हुए दशकों तक जाणता राजा महानाट्य मंचन का कुशल निर्देशन किया . आगे चलकर भारत के बाहर विदेशों तक जाणता राजा का भव्य मंचन हुआ जिसने भारत के बाहर रहने वाले अप्रवासी भारतीयों को जहाँ अपनी संस्कृति पर गौरवांन्वित होने का मौका दिया वहीं दुनिया भर के अनगिनत लोग शिवाजी महाराज के प्रेरक व्यक्तित्व एवं आदर्श शासन व्यवस्था से परिचित हुए .
एशिया का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरे नंबर के इस महानाट्य जाणता राजा की विशेषता यह है कि एक साथ 120 से 250 की संख्या में कलाकार इसका मंचन करते हैं . खास बात यह है कि किसी भी कलाकार को संवाद नहीं बोलने होते . सिर्फ भाव प्रस्तुत करना होता है। संवाद पार्श्व में चलते हैं। सभी कलाकार किसी न किसी व्यवसाय से जुड़े हैं .
— अनिल तंवर की ख़ास रिपोर्ट