MP Election 2023 : विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ‘आप’ से नुकसान क्यों और कहां!

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MP Election 2023 : विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ‘आप’ से नुकसान क्यों और कहां!

– हेमंत पाल

अभी तक यह माना जा रहा था कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में परंपरागत प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस और भाजपा में ही सीधा मुकाबला होगा। पर, अब ऐसा नहीं लग रहा। कभी समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) ने भी तीसरा विकल्प बनने की कोशिश की, पर कोई ज्यादा दम नहीं भर सकीं। इस बार ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) ने मुकाबले के लिए कमर कस ली। यहां तक कि उसने सभी 230 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया और कई सीटों पर उम्मीदवारों घोषणा भी कर दी। इससे भाजपा को उतना नुकसान होता दिखाई नहीं दे रहा, जो कांग्रेस को हो सकता है। ‘आप’ ने ऐसी स्थिति में चुनाव लड़ने का फैसला किया जब वो खुद ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) का हिस्सा है।

‘आप’ खुद को कांग्रेस के विकल्प के तौर पर पेश कर रही। प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में भी ‘आप’ ने कांग्रेस के वोटों में ही सेंध मारकर उसका नुकसान किया था। गुजरात विधानसभा चुनाव की तरह मध्यप्रदेश में भी ‘आप’ के कारण कांग्रेस को नुकसान होने की आशंका को अनदेखा नहीं किया जा सकता। ‘आप’ प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने रीवा में सभा की और इससे पहले वे मप्र में तीन रैलियां सतना, रीवा और भोपाल में कर चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस की तरह ही 6 गारंटियां दी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मध्य प्रदेश में भाजपा से सीधी टक्कर में कांग्रेस को ‘आप’ नुकसान पहुंचा सकती है।

मध्यप्रदेश की राजनीति को गंभीरता से समझने वालों का कहना है कि ‘आम आदमी पार्टी’ अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए परेशानी बनेगी। अगर ‘आप’ ने गुजरात की तरह मध्यप्रदेश में अपना असर दिखाया तो कांग्रेस को 50 से ज्यादा सीटों पर नुकसान होगा। इसका फायदा भाजपा को मिलना तय है। नगर निकाय चुनाव में 6% वोट लेने के बाद ‘आप’ का मध्यप्रदेश में आत्म विश्वास आसमान पर है। वो खुद को कांग्रेस का विकल्प बता रही है। दिल्ली और पंजाब में अपनी सरकार की उपलब्धियों को कैश करके ‘आप’ साबित करना चाहती है कि मध्य प्रदेश में वही नंबर-दो है। कांग्रेस और ‘आप’ का वोट बैंक भी समान है, इसलिए तय है कि ‘आप’ अपनी ताकत बढाकर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी करने की कोशिश करेगी।

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यह भी कहा जा रहा कि भोपाल में प्रस्तावित ‘इंडिया’ की रैली भी ‘आप’ की अड़ंगेबाजी के कारण ही नहीं हो सकी। ‘आप’ से कांग्रेस को खतरा है और वो कैसे नुकसान पहुंचा सकती है। कमलनाथ भी नहीं चाहते थे कि भोपाल में ‘इंडिया’ गठबंधन की रैली हो। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि ‘आप’ के नेता गठबंधन में है, लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि चुप रहें। ‘आप’ यदि खुलेआम चुनाव लड़ने की बात कर रही है, तो हम भी उससे मुकाबले के लिए तैयार हैं।
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस का सीधा मुकाबला हुआ था और कांग्रेस 114 और भाजपा 109 सीटें जीती थी। कांग्रेस इस बार कोई रिस्क लेना नहीं चाहती और जीत के साथ सीटों का अंतर पर बढ़ाना चाहती है, ताकि भाजपा को ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसी बगावत का मौका न मिले। इसलिए वो ‘आप’ को भी घुसपैठ करने देना नहीं चाहती। जबकि, गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जो नुकसान हुआ, वो ‘आप’ के कारण ही हुआ। ‘आप’ ने गुजरात में भले ही सीटें ज्यादा नहीं जीती, पर 13% वोट लेकर अपना रुतबा तो बढ़ा ही लिया।

18 सितंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रीवा में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ‘आम आदमी पार्टी’ के आने से पहले दिल्ली में दो ही पार्टियां थीं। दोनों में अच्छी सेटिंग थी, कि एक बार तुम राज करो, एक बार हम राज करें। एक बार तुम लूटो, एक बार हम लूटेंगे। पूर्व मंत्री अजय माकन और पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने पूछा कि अगर ‘आप’ पर भरोसा किया जा सकता है, तो वो उन राज्यों में प्रचार क्यों कर रही है, जहां भाजपा बनाम कांग्रेस की सीधी लड़ाई है? क्या इससे भाजपा को मदद नहीं मिलेगी? कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कांग्रेस इसलिए चुप नहीं रह सकती कि आम आदमी पार्टी ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल है। इसके बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भरोसा दिलाया कि अब कोई भी फैसला राज्य इकाई से सलाह के बाद ही लिया जाएगा।

भोपाल में ‘इंडिया’ की रैली न होने का कारण
भोपाल में प्रस्तावित विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ रैली और बैठक को कमलनाथ ने हरी झंडी नहीं दी। इसलिए कि वे विधानसभा चुनाव की तैयारियों में व्यस्त हैं। अगर यहां बैठक और रैली होगी, तो इस गठबंधन में शामिल सभी नेता यहां आएंगे। ऐसे में सभी से मुलाकात करनी होगी, क्योंकि सभी से उनके पुराने संबंध हैं। इसमें काफी समय जाएगा। इससे उनकी चुनावी तैयारियां प्रभावित हो जाएंगी। यही कारण है कि कमलनाथ मध्य प्रदेश में रैली नहीं चाहते।
इसलिए भोपाल में अभी ‘इंडिया’ गठबंधन की रैली नहीं होगी।

‘आप’ से ही कांग्रेस को ज्यादा नुकसान
मध्यप्रदेश में ‘आप’ का चुनावी प्रदर्शन कैसा होगा,फिलहाल इस बारे में दावे से कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन, ये तय कि वो भले ही सीटें न जीते, पर कांग्रेस को नुकसान जरूर पहुंचाएगी। ये भी एक कारण है कि कमलनाथ मध्य प्रदेश में ‘आप’ से मंच साझा करना नहीं चाहते। क्योंकि, यह रैली होती तो केजरीवाल भी आते और मीडिया से रूबरू होते। वे जो बयान देते, उससे नई कंट्रोवर्सी होती और भाजपा को इस गठबंधन के खिलाफ बोलने को मौका मिलता। ऐसे में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ही ज्यादा नुकसान होने का अंदेशा था। यही कारण है कि ‘इंडिया’ में जुड़े होने के बावजूद दोनों में मनभेद पनपे हुए हैं।