Lesson not Learned From ‘NOTA’ : भाजपा ने ‘नोटा’ से सबक नहीं सीखा, कई जगह फिर गलती दोहराई!   

पिछले चुनाव में प्रदेश की 11 सीटें भाजपा 'नोटा' की वजह से हारी थी!     

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Lesson not Learned From ‘NOTA’ : भाजपा ने ‘नोटा’ से सबक नहीं सीखा, कई जगह फिर गलती दोहराई!   

Bhopal : विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अभी तक चार लिस्ट जारी कर दी। शुरू की दो लिस्टों के बाद तीसरी लिस्ट में एक ही नाम था। लेकिन, सबसे ज्यादा चर्चित हुई चौथी लिस्ट। उम्मीदवार की सूची में 57 नामों की घोषणा की गई। इनमें 24 मंत्री हैं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और बाकी विधायक थे। पार्टी ने कई ऐसे विधायकों को फिर टिकट दिया, जिनसे मतदाता नाराज थे।

इन नेताओं के खिलाफ स्थानीय स्तर पर रोष था भी और अभी भी होने की जानकारी है। लगता है कि 2018 के विधानसभा चुनाव से भाजपा ने कोई सबक नहीं सीखा। पार्टी ने 11 सीटों पर इस वजह से हारी थी, क्योंकि नाराज मतदाताओं ने ‘नोटा’ को हार-जीत के अंतर से ज्यादा वोट दिए थे। इसका बड़ा कारण पार्टी के वे पुराने चेहरे रहे, जिनसे मतदाता ऊब चुके हैं।

भाजपा से नाराजगी के चलते मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ न देकर ‘नोटा’ को अपना विकल्प बनाया। 230 सीटों वाले मध्य प्रदेश में भाजपा को 109 और कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं। बसपा के खाते में 2, समाजवादी पार्टी को एक और निर्दलियों को 4 सीटें मिली थीं। उस दौरान कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय विधायकों के सहारे कमलनाथ की सरकार बनाई थी।

आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के मतदाता भाजपा भाजपा से खासे नाराज थे। अगर ऐसा नहीं होता तो नोटा को इतने वोट नहीं मिलते। 11 सीटों पर नोटा को सर्वाधिक वोट न मिलते तो प्रदेश में कमलनाथ सरकार के बजाए चौथी बार भी शिवराज सरकार बनती। हालांकि, कुछ ही दिनों बाद हुआ ऐसा भी। अंतरकलह के कारण कमलनाथ सरकार गिर गई।

 

इन सीटों पर नोटा ने बदले थे चुनाव के नतीजे

नोटा पर ज्यादा वोट डलने से 2018 के विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों के नतीजे प्रभावित हुए थे। जबलपुर में पूर्व राज्यमंत्री शरद जैन 578 वोट से हारे थे और मतदाताओं ने 1209 लोगों ने नोटा को चुना था। जोबट में 2056 मतों से फैसला हुआ और नोटा में 5139 वोट पड़े। मंधाता में भी जीत-हार का फैसला 1236 वोटों से हुआ, जहां 1575 मतदाताओं ने नोटा को विकल्प बनाया। नेपानगर में भाजपा उम्मीदवार को जीतने के लिए 732 वोट चाहिए थे, पर 2551 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाकर उन्हें हरा दिया था।

ब्यावरा में कांग्रेस ने 826 वोट से जीत हासिल की, जबकि नोटा में 1481 वोट पड़े थे। दमोह में पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया 798 वोट से हारे और नोटा को 1299 मत मिले। गुन्नौर में भी जीत-हार का अंतर 1984 रहा, लेकिन नोटा को 3734 लोगों ने चुना। ग्वालियर (दक्षिण) का फैसला 121 वोटों से हुआ, लेकिन 1550 मतदाताओं ने नोटा बटन दबाया।