सूची के साथ सच से सामना शुरू…

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सूची के साथ सच से सामना शुरू…

कांग्रेस ने गहन चिंतन-मनन के बाद अपनी बहुप्रतीक्षित पहली सूची नवरात्रि के पहले दिन जारी कर दी। सूची में घोषित नामों को सर्वे रिपोर्ट्स के सागर में से बार-बार गोता लगाकर छांटा गया है। कांग्रेस नेतृत्व को भरोसा होगा कि पार्टी के कार्यकर्ता इसे जस का तस स्वीकार कर घोषित प्रत्याशियों के साथ विजय यात्रा की ओर गमन कर देंगे। पर ऐसा नहीं हुआ और अब कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पूर्व विधायकों ने बगावती तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। डैमेज कंट्रोल करने की स्थिति भी अब शायद कम ही शेष है। ऐसे में सच से सामना होने के बाद कार्यकर्ताओं ने अपनी पार्टी और नेतृत्व को आइना दिखाकर यह जता दिया है कि बहुत कठिन है डगर पनघट की। जिस तरह खबरें आ रही थीं कि पार्टी की टिकट मंथन बैठक छोड़कर दिग्विजय सिंह और नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह बाहर निकल गए, उसका असर सूची में भी साफ नजर आ रहा है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का टिकट कट गया है। भोपाल दक्षिण-पश्चिम से विधायक पीसी शर्मा को पहली सूची में जगह नहीं मिल पाई है। नागौद से यादवेन्द्र सिंह का टिकट काट दिया गया है। खास बात यह है कि दिग्विजय सिंह और नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को मनाने की बजाय उनके बिना ही नाथ ने  सूची घोषित करवा दी। कहा जा रहा है कि सूची के बाद अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं में भी जमकर नाराजगी है। अल्पसंख्यकों का कहना है कि कांग्रेस को अल्पसंख्यक वर्ग के सब वोट चाहिए लेकिन 144 में से सिर्फ एक टिकट ही दिया गया।
यही नहीं अब पार्टी से तौबा करने की मुहिम भी तेज हो गई है। नागौद के पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह ने बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ली। वह नागौद से  चुनाव लड़ेंगे। नागौद में कांग्रेस में बगावत, नागौद कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष गजेंद्र सिंह सिप्पू ने इस्तीफा दिया। ग्वालियर में भी टिकट की चाह में निराशा मिलने पर केदार कंसाना ने कांग्रेस छोड़ दी है। कांग्रेस प्रत्याशी साहब सिंह गुर्जर का विरोध जारी है। साहब सिंह ने ही 2018 में हाथी पर बैठकर कांग्रेस का खेल बिगाड़ा था। धार में टिकट नहीं मिलने से नाराज़ पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी ने कांग्रेस की सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया है। छतरपुर में बिजावर सीट पर बाहरी प्रत्याशी चरण सिंह यादव को टिकट मिलने पर कांग्रेस नेतृत्व ने तीखा विरोध जताया है। कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता विजावर विधानसभा से टिकिट के प्रबल दावेदार राजेश शर्मा ने कांग्रेस सेवादल जिला अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। तो दतिया में आरएसएस पृष्ठभूमि के हाल ही में कांग्रेस में आए अवधेश नायक को टिकट मिलने का कड़ा विरोध पार्टी कार्यकर्ताओं ने जताकर लिखित हस्ताक्षरित शिकायत कर फैसले पर पुनर्विचार करने की तीखी प्रतिक्रिया दी है। दिग्विजय समर्थक केपी सिंह की सीट बदलने को भी संदेह के नजरिए से देखा जा रहा है। यह सब थोड़े से उदाहरण हैं और असंतोष की पूरी पिक्चर अभी बाकी है। हालांकि दिग्विजय सिंह ने साफ किया है कि वह आखिरी सांस तक कांग्रेस में रहेंगे। 70 विधायकों को पार्टी ने फिर से टिकट दिया है और रैगांव से कल्पना वर्मा को भी इस सूची में शामिल किया गया है। वहीं उत्तर और दक्षिण पश्चिम भोपाल के लोकप्रिय विधायकों को टिकट न मिलना पार्टी की मंशा पर सवालिया निशान सा लगा रहा है।
कहा यह भी जा रहा है कि सूची में परिवारवाद की महक तेज आ रही है, उसके बावजूद कांग्रेस के इन परिवार के दिग्गजों को भी नाराजगी का दामन थामने को मजबूर होना पड़ रहा है। परिवारवाद की झलक भी ऐसी कि दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह का नाम ,वही उनके पुत्र जयवर्धन सिंह का नाम ,परिवार के ही प्रियव्रत सिंह का नाम सूची में शामिल किया गया है। परंपरागत अजय सिंह राहुल भैया का नाम , वहीं  उनके मामा राजेंद्र सिंह का नाम भी सूची में शामिल हैं। कांतिलाल भूरिया के बदले उनके बेटे को  टिकट मिला है। सांवेर  से प्रेमचंद गुड्डू के बदले उनकी बेटी को टिकट दिया गया है। तो अरुण यादव के भाई सचिन यादव को टिकट मिला है। हालांकि सबको यह भी पता है कि कांग्रेस को परिवारवाद जैसे मुद्दों से कोई परहेज नहीं है। इसलिए ऐसी चर्चा का कोई खास मतलब नहीं है।अश्लील वीडियो वाले डबरा विधायक को टिकट मिला है। सवर्ण  समाज को गाली बकने वाले बरैया को टिकट दिया गया है।
कुल मिलाकर कांग्रेस की 144 प्रत्याशियों की सूची में कमलनाथ सहित ज्यादातर वरिष्ठ नेता शामिल हैं। पहले ही राउंड में बड़े नेताओं को टिकट देकर कांग्रेस ने स्पष्ट संदेश दिया है कि परंपरागत से हल्का सा बदलाव की गुंजाइश की संभावना बहुत कम है। सूची का दिलचस्प वाकया यह भी है कि बुधनी में शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ रामायण 2 के हनुमान जी विक्रम मस्ताल ताल ठोकेंगे। यानि कि अब राम सियाराम जैसी ध्वनियां विधानसभा चुनाव में खास तौर से कानों में बजने  लगीं हैं। तो फिलहाल देखना यही है कि सूची के साथ सच का सामना करने की कितनी हिम्मत कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं में है…।