Nithari Kand : बहुचर्चित ‘निठारी कांड’ के दोनों दोषियों की फांसी की सजा रद्द!
Allahabad : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहुचर्चित ‘निठारी कांड’ के दोनों दोषियों सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को बरी कर दिया। सुरेंद्र को 12 और मनिंदर को दो मामलों में मिली फांसी की सजा को रद्द कर दिया गया। सीधे तौर पर कोई सबूत और गवाह न होने के आधार पर हाईकोर्ट ने इन दोनों को बरी किया।
नोयडा के चर्चित निठारी हत्याकांड मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। यह अपराध उत्तर प्रदेश के नोएडा के एक इलाके निठारी में घटित हुआ और दिसंबर 2006 में सामने आया था। आरोप लगाया गया था कि सुरेंद्र कोली बच्चों को मिठाइयां और चॉकलेट देकर फुसलाकर घर लाता था। फिर उनकी हत्या करता था और लाशों के साथ यौन संबंध बनाता था। वह हड्डियों और शरीर के अन्य हिस्सों को घर के पीछे एक खाई में फेंक देता था।
जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस सैयद आफताब हुसैन रिजवी की पीठ ने पिछले महीने मामलों में फैसला सुरक्षित रखने के बाद पंढेर और कोली की तरफ से दायर अपील को स्वीकार कर लिया था। इसमें कोली को पहले 12 मामलों में मौत की सजा दी गई थी, वहीं पंढेर को भी दो मामलों में निचली अदालतों ने मौत की सजा सुनाई थी।
आरोपियों ने इससे पहले कोर्ट में कहा था कि इन घटनाओं का कोई चश्मदीद मौजूद नहीं है। उन्हें सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर ये सजा सुनाई गई है। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र और जस्टिस एसएचए रिजवी की बेंच ने दोनों केस में आरोपियों को बरी कर दिया।
क्या था निठारी कांड
दिसंबर 2006 में नोएडा के निठारी में एक घर के पास नाले में कंकाल पाए गए थे। बाद में पाया गया कि मोनिंदर पंढेर घर का मालिक है और कोली उसका घरेलू नौकर था। इसलिए, दोनों को एफआईआर में फंसाया गया। सीबीआई ने 16 मामले दर्ज किए, इनमें से सभी में कोली पर हत्या, अपहरण और बलात्कार के अलावा सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया गया। एक मामले में पंढेर पर अनैतिक तस्करी का आरोप लगाया गया।
हालांकि, कई पीड़ित परिवारों से संपर्क करने के बाद गाजियाबाद कोर्ट ने पंढेर को पांच अन्य मामलों में तलब किया। सीबीआई के अनुसार, कोली ने कई लड़कियों की उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके हत्या कर दी थी और फिर उन्हें उनके घर के बाहर पीछे की तरफ फेंक दिया था। लेकिन, ऐसा कोई सबूत कोर्ट में पेश नहीं किया गया और हाईकोर्ट ने दोनों को दोषमुक्त कर दिया।